मणिपुर का यह व्यक्ति 26 साल में हो गया था लापता, यूट्यूब की मदद से 40 साल बाद लौटा घर
youtube का कमाल: सालों पहले बिछड़े व्यक्ति को मिलवाया उसके परिवार से...
मणिपुर के रहने वाले खोमदन गंभीर सिंह की उम्र अब 66 साल है। 40 साल पहले 1976 में वह अपने परिवार से बिछड़ गए थे। घरवालों ने उन्हें खोजने की काफी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। गंभीर सिंह का कोई अता-पता नहीं था।
हाल ही में उन्हें फिरोज शाकिर नाम के व्यक्ति ने मुंबई में पुराना हिंदी गाना गाते हुए भीख मांगते देखा। शाकिर ने उनका वीडियो अपलोड कर दिया। संयोग से यह वीडियो गंभीर के परिवार वालों ने देखा और फिर शुरू हुई गौतम तक पहुंचने की कवायद।
न जाने कितने लोग अपने घर परिवार से बिछड़ जाते हैं। इनमें से कुछ ही लोग होते हैं जो लौटकर वापस आते हैं। इस हालत में परिजनों को जिंदगी भर उनके लौटने की आस में ही जीना पड़ता है। अक्सर फिल्मों में बिछड़कर मिलने की कहानियां आपने देखी होंगी, लेकिन ऐसा हकीकत में भी कई बार हो जाता है। मणिपुर के रहने वाले खोमदन गंभीर सिंह की उम्र अब 66 साल है। 40 साल पहले 1976 में वह अपने परिवार से बिछड़ गए थे। घरवालों ने उन्हें खोजने की काफी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे। गंभीर सिंह का कोई अता-पता नहीं था।
हाल ही में उन्हें फिरोज शाकिर नाम के व्यक्ति ने मुंबई में पुराना हिंदी गाना गाते हुए भीख मांगते देखा। शाकिर ने उनका वीडियो अपलोड कर दिया। संयोग से यह वीडियो गंभीर के परिवार वालों ने देखा और फिर शुरू हुई गौतम तक पहुंचने की कवायद। फिरोज शाकिर मुंबई में रहते हैं और पेशे से फैशन डिजाइनर और फोटोग्राफर हैं। अपने यूट्यूब चैनल में उन्होंने गंभीर सिंह का वीडियो अपलोड करते हुए लिखा कि गंभीर को वहां पर कई बच्चे नेपाली कहकर चिढ़ा रहे थे। लेकिन गंभीर उन बच्चों से कह रहे थे कि वे नेपाली नहीं बल्कि भारतीय हैं और मणिपुर के रहने वाले हैं।
शाकिर बांद्रा बाजार में रहते हैं और वहां हर सुबह गंभीर आते थे। शाकिर ने बताया, 'वह हर सुबह इस इलाके में आते थे और सड़क पर पुराने गाने गाते हुए लोगों से भीख मांगते थे। कई बार मैंने उन्हें पैसे दिए और कई बार पास की दुकान से कुछ खाने का सामान लाकर दे दिया। इस वजह से हम दोनों का एक जुड़ाव सा हो गया था। मैंने उनकी तस्वीरें भी खींचीं।' गंभीर ने शाकिर को यह भी बताया कि उन्होंने भारतीय सेना में भी सेवा की है। एनडीटीवी से बात करते हुए शाकिर ने बताया कि गंभीर ने सेना की कहानी सुनाई और बताया कि पिता के देहांत के बाद वह भारतीय सेना छोड़कर घर लौट आए थे।
घर लौटकर वह खेती में जुट गए थे। अपने भाइयों से कुछ मनमुटाव के चलते उन्होंने मणिपुर छोड़ दिया था और इधर उधर रहकर अपनी जिंदगी गुजारने लगे। शाकिर के यूट्यूब पर डाले गए वीडियो ने उन्हें वापस परिवार वालों से मिलने में मदद की। गंभीर के घरवालों के पड़ोसियों ने यह वीडियो देखा और उन्हें बताया। 40 साल गुजर जाने के बाद गंभीर के चेहरे में काफी परिवर्तन आ गया, लेकिन उनका कुछ चेहरा पुरानी तस्वीरों से मिल रहा था। उनके परिवार वालों ने वीडियो देखने के बाद उन्हें खोजने की कोशिश में इंफाल पुलिस की मदद मांगी।
इंफाल पुलिस ने गंभीर को खोजने का जिम्मा ले लिया और काफी खोज के बाद शाकिर से संपर्क हुआ। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन्हें एक युवा व्यक्ति की फोटो परिवार वालों की तरफ से दी गई थी। हमने उसे मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन से खोज निकाला। बाद में पुष्टि भी हुई कि ये वही गंभीर हैं जो 26 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर चले गए थे। गंभीर को अपने परिवार वालों से मिलकर काफी खुशी हुई। उनकी आंखों से गिरते आंसू इस खुशी की तस्दीक कर रहे थे। साफ देखा देखा जाए तो यह कहानी उम्मीदों की कहानी है जो बताती है कि जिंदगी में कुछ भी हो सकता है।
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