पुलिसवाले ने बनाया झूला पंप, 1 घंटे में 10 हज़ार लीटर देता है पानी
महँगी होती बिजली रोज़ बढ़ते पेट्रॉल डीजल के दाम और खेती में बढ़ते लागत के बीच फसल की सिचाई करना किसानों की एक बड़ी समस्या है। लेकिन इन सब के बीच सिंचाई के लिए मोटर चलवाने की झंझट, बिजली की टेंशन, डीजल की झंझट, गैस के दाम और भी कई सारे लफड़े। अब सिंचाई को लेकर आप को भी मिल सकती है इन सभी झंझटों से फुर्सत। क्योंकि अब आ गया है झूला पंप, जिसे बनाया है बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले के कल्याणपुर थाने में पदास्थापित जमादार मेंहीलाल यादव ने।
मेंहीलाल भले ही बिहार पुलिस में ASI की नौकरी करते हों, लेकिन उनकी सोच पूर्णतया वैज्ञानिक जैसी है। हर दिन उनपर कुछ न कुछ नया करने का जुनून सवार रहता है। इसी कड़ी में मेंहीलाल यादव ने झूला पंप बनाया है। पहले भी वे पंप बना चुके हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है।
पम्प की खासियत ये है, कि इस पर बच्चे झूला झूलते रहेंगे और पंप से पानी निकलता रहेगा। कुल मिलाकर बिना किसी खर्चे के इस झूला पंप से खेतों की सिंचाई की जा सकती है। इस पंप से प्रति घंटे 10 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा भला कैसे होगा? बिना बिजली, बिना डीजल या बिना गैस के सिंचाई पंप कैसे चल सकता है, तो हम बता देते हैं, कि ऐसा मुमकिन है, जिसका हल निकला है बिहार के पूर्वी चम्पारण जिले के कल्याणपुर थाने में पदस्थापित जमादार मेंहीलाल यादव ने। मेंहीलाल भले ही बिहार पुलिस में एएसआई की नौकरी करते हों, लेकिन उनकी सोच पूर्णतया वैज्ञानिक जैसी है। हर दिन उनपर कुछ न कुछ नया करने का जुनून सवार रहता है। इसी कड़ी में मेंहीलाल यादव ने झूला पंप बनाया है। पहले भी वे पंप बना चुके हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। नया पंप पुराने पंप से बेहद सरल और अधिक पानी देनेवाला है। झूला पंप से जमीन से पानी निकालना आसान और सस्ता है। मेंहीलाल यादव ने पानी निकालने के लिए झूला पंप बनाया है। साथ ही लगातार इस झूला पंप को उन्नत कर रहे है। पम्प की खासियत ये है, कि इस पर बच्चे झूला झूलते रहेंगे और पंप से पानी निकलता रहेगा। कुल मिलाकर बिना किसी खर्चे के इस झूला पंप से खेतों की सिंचाई की जा सकती है। इस पंप से प्रति घंटे 10 हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है। इससे लामें सुधर गत भी बेहद कम आएगी। वही पुराने पंप से बेहद सरल और अधिक पानी देनेवाला है। झूला पंप से जमीन से पानी निकालना आसान और सस्ता है। इससे एक घंटे में आठ हजार लीटर पानी निकाला जा सकता है।
इससे पहले मेहीलाल ने गैस सिलेंडर से पानी निकालने की राह निकाली थी। वहीं अब इन्होंने बेहद कम खर्च में पानी के इंतजाम का यंत्र बना डाला है। खडगिया जिले के बापूनगर में रहने वाले मेंहीलाल यादव भागलपुर जिला बल में बहाल हुए। 2007 में कटिहार जिले में वे तैनात थे। वहां पर इन्होंने किसानों को डीजल और पेट्रोल की व्यवस्था करने के लिए गैलन लेकर भटकते और परेशान होते देखा। फिर क्या था, सोची ली इन्होंने किसानों की मदद करने की। आखिरकार बगैर ईंधन से संचालित होने वाले झूला पंप का निर्माण कर दिया।
मेंहीलाल ने बताया कि 'पुराने पंप में मात्र चार हेड लगे थे, जिससे एक घंटे में तीन हजार लीटर पानी निकाला जा सकता था। उसे चलाना थोड़ा कठिन था, लेकिन नए पंप में दस हेड लगे हैं।' इस झूला पंप की उपयोगिता को देखते हुए भारत सरकार के साइंस एंड टेक्नालॉजी मंत्रालय ने मेंहीलाल को 2007 में मेरिटोरियस इन्वेंशन फॉर इयर का पुरस्कार दिया था । इस दौरान उन्हें एक लाख रुपए व मेडल मिला था। उन्हें कटिहार में ही बिहार गौरव सम्मान कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण कटिहार ने किसान मेले में सम्मानित किया था। सूबे में इस योजना व विकास विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. अक्षयदय कुमार ने 2015 नवंबर में मेहीलाल का पत्र लिखकर स्टेट इनोवेशन काउंसिल की ओर से मुख्यमंत्री नवप्रवर्तन प्रोत्साहन योजना से वित्तीय सहायता प्रदान करने को कहा है। इसके पहले केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ. आर चिदंबरम ने 2007, पूर्णिया के तत्कालीन आयुक्त पंकज कुमार 2013 और कटिहार के तत्कालीन जिलाधिकारी व सांसद ने सम्मानित किया था।
मेंहीलाल की लगन और जज़्बे को देखते हुए पूर्वी चम्पारण के एसपी जितेंद्र राणा का कहना है, कि 'पुलिस विभाग में बड़ी मुश्किल से वक्त मिल पाता है। कम समय में भी जमादार ने जो प्रयास किया है, वह वाकई सराहनीय है। इस तरह से बेहतर शोध के लिए उन्हें राज्य स्तर से इनाम दिलाने की दिशा में पहल की जाएगी।'