कौन हैं दादा साहेब फाल्के, जिनके नाम पर दिया जाता है सिनेमा के क्षेत्र में देश का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान?
देश में सिनेमा को पहली रफ्तार देने वाले भारतीय सिनेमा उद्योग के पितामह के सम्मान में ही सिनेमा के क्षेत्र का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान दिया जाता है।
देश में बनने वाले सिनेमा को लेकर अक्सर लोग अलग-अलग राय सामने रखते हैं, इसी के साथ सिनेमा को सराहने के लिए आयोजित होने वाले अनेक पुरस्कार समारोहों की हकीकत भी लोगों तक पहुंचती रहती है, लेकिन फिर भी सिनेमा के क्षेत्र में कुछ सम्मान ऐसे हैं जिन्हे सर्वोच्च माना जाता है, सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाला ऐसा ही एक सम्मान है- दादा साहेब फाल्के पुरस्कार।
दादा साहेब फाल्के अवार्ड भारत में सिनेमा के क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है, जिसे राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाता है। इस समारोह का आयोजन सूचना और प्रसारण मंत्रालय की तरफ से किया जाता है। दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है। इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की शुरुआत 1969 में हुई थी।
कौन थे दादा साहेब फाल्के?
30 अप्रैल 1870 को त्रयंबकेश्वर में जन्मे दादा साहेब फाल्के को भारतीय फिल्म उद्योग का पितामह माना जाता है। दादा साहेब फाल्के ने ही देश की पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म ‘राजा हरिश्चंद्र’ का निर्माण किया था। इस फिल्म निर्माण के लिए उनकी पत्नी को अपने गहने तक बेंचने पड़ गए थे। शुरुआत में इस फिल्म को समीक्षकों और प्रेस ने नकार दिया, लेकिन बाद में आम दर्शकों के बीच यह फिल्म जबरदस्त हिट साबित हुई। इस फिल्म के बाद से ही देश में फीचर फिल्मों का चलन लगातार बढ़ने लगा। सिनेमा में उनके पैशन को देखते हुए दादा साहेब फाल्के को इंग्लैंड से भी कई ऑफर मिले, लेकिन उन्होने भारत में रहकर फिल्मों का निर्माण करना चुना।
दादा साहेब की राजा हरिश्चन्द्र में उन्होने ही नायक यानी हरिश्चन्द्र की भूमिका निभाई थी, लेकिन उस दौरान में उन्हे फिल्म में काम करने के लिए कोई महिला नहीं मिली, इसका नतीजा यह हुआ कि फिल्म में सभी महिला किरदार पुरुषों द्वारा ही निभाए गए। दादा साहेब फाल्के ने अपने फिल्मी करियर में कुल 125 फिल्मों का निर्माण किया, इसमें फुल फीचर लेंथ और शॉर्ट फिल्म दोनों शामिल हैं।
किसे मिलता है यह पुरस्कार?
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा के विकास में अभूतपूर्व योगदान के लिए दिया जाता है। पुरस्कार में 10 लाख रुपये की राशि के साथ स्वर्ण कमल और शॉल शामिल हैं। इस पुरस्कार को पाने वाले नामों में सत्यजीत रे, श्याम बेनेगल और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे भारतीय सिनेमा के दिग्गज निर्देशकों के नाम शामिल हैं।
दादा साहेब फाल्के के जन्म शताब्दी वर्ष यानी साल 1969 में 17वें राष्ट्रिय फिल्म पुरस्कार समारोह के दौरान यह पुरस्कार पहली बार देविका रानी को दिया गया। विशाखापट्टनम में जन्मीं और रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट से अध्ययन करने वाली देविका को भारतीय सिनेमा की शुरुआती बेहतरीन अभिनेत्रियों में गिना जाता है। साल 2019 में सिनेमा दृष्टिकोण से सदी के महानायक कहलाए जाने वाले हिन्दी फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
पैदा हुई कन्फ़्यूजन!
दादा साहेब फाल्के पुरस्कार सिनेमा के क्षेत्र में देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, वहीं इससे मिलते जुलते नामों से भी कई पुरस्कार वितरित किए जा रहे हैं, जिससे लोगों के लिए कन्फ़्यूजन भी पैदा होत है। इस अवार्ड में दादा साहेब फाल्के फिल्म फ़ाउंडेशन अवार्ड और दादा साहेब फाल्के एक्सलेन्स अवार्ड शामिल हैं। मशहूर फिल्ममेकर श्याम बेनेगल ने सरकार से दादा साहेब फाल्के के नाम का इस तरह से उपयोग होने पर आपत्ति जताते हुए इन पर रोक लगाने की मांग भी की थी, लेकिन सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने यह मांग ये कहते हुए खारिज कर दी थी कि इन अवार्ड का नाम हूबहू दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से नहीं मिलता।