यह सरकार दही-हांडी को देगी आधिकारिक खेल का दर्जा, ‘गोविंदा’ को खेल कोटे के तहत मिलेगी सरकारी नौकरी
उन्होंने कहा कि यदि मानव पिरामिड बनाने के दौरान किसी प्रतिभागी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलेगी. किसी खिलाड़ी के गंभीर रूप से घायल हो जाने पर सात लाख रुपये तथा मामूली रूप से घायल होने पर पांच लाख रुपये दिये जाएंगे.
आज जन्माष्टमी का त्यौहार है और देशभर में इसे मनाने की तैयारियां आखिरी चरण में हैं. इससे एक दिन पहले महाराष्ट्र सरकार ने लोकप्रिय उत्सव दही हांडी को साहसिक खेल का दर्जा देने का फैसला किया है. इसके बाद दही हांडी में शामिल होने वाले युवक खेलकूद कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर पायेंगे.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बृहस्पतिवार को विधानसभा में घोषणा की कि उनकी सरकार ने लोकप्रिय उत्सव दही हांडी को साहसिक खेल का दर्जा देने का फैसला किया है. इस आयोजन से एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने कहा कि साहसिक खेल का दर्जा मिलने से दही हांडी में शामिल होने वाले युवक खेलकूद कोटे के तहत सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन कर पायेंगे.
उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों या उनके परिवारों को मानव पिरामिड बनाने के दौरान किसी खिलाड़ी के हताहत होने की स्थिति में मुआवजा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि यदि मानव पिरामिड बनाने के दौरान किसी प्रतिभागी की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को 10 लाख रुपये की अनुग्रह राशि मिलेगी. उन्होंने कहा कि किसी खिलाड़ी के गंभीर रूप से घायल हो जाने पर सात लाख रुपये तथा मामूली रूप से घायल होने पर पांच लाख रूपये दिये जाएंगे. दही हांडी की मटकी तोड़ने वाले खिलाड़ी को महाराष्ट्र में गोविंदा भी कहा जाता है.
बता दें कि, हिंदू भगवान श्रीकृष्ण की जन्म के मौके पर जन्माष्टमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस अवसर पर कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें सबसे लोकप्रिय दही-हांडी है. इस उत्सव के दौरान दही से भरी मटकी हवा में लटक रही होती है और मानव पिरामिड बनाकर उसे तोड़ा जाता है.
इस साल, कृष्ण जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त दोनों को मनाई जा रही है. कृष्ण जन्माष्टमी को उत्तोत्सवम और गोपाल कला के रूप में भी जाना जाता है. बता दें कि, पिछली बार कोरोना के चलते जन्माष्टमी का त्योहार फीका रहा था. इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी काफी धूमधाम से मनाने की तैयारी अंतिम चरण में पहुंच गई है.
श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में बिजनेस 500 करोड़ तक पहुंचने के आसार हैं. मथुरा में कान्हा की पोशाक बन रही हैं, इनकी डिमांड विदेशों तक है. रूस, दुबई, कनाडा, पोलैंड, अमेरिका समेत 18 से ज्यादा देशों के ऑर्डर आए हैं. इस काम में मथुरा-वृंदावन में करीब 20
हजार लोग जुड़े हैं. इनमें कारीगर, कच्चा सामान बेचने वाले और पोशाक व्यापारी शामिल हैं. मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोग पेड़ा खाकर ही व्रत तोड़ते हैं. यहां हर साल करीब 12 करोड़ के पेड़े बिक जाते हैं.
Edited by Vishal Jaiswal