डांस कोरोना: ये इंडियन डांसर ऑनलाइन क्लास के जरिये दूर कर रही लॉकडाउन का डिप्रेशन
लंदन, पुरस्कार विजेता भारतीय नृत्यंगाना एवं कोरियोग्राफर अरुणिमा कुमार ने ‘‘डांस कोरोना’’ बैनर के तले ब्रिटेन में भारतीय और पाश्चात्य संगीत की ऑनलाइन कक्षा शुरू की है ताकि लॉकडाउन से उपजे अवसाद का मुकाबला किया जा सके। उनकी कक्षा में कई देशों के लोग हिस्सा ले रहे हैं।
कुचिपुड़ी नृत्यांगना अरुणिमा की ऑनलाइन पाठशाला का पोलैंड, स्पेन, ब्रिटेन, भारत, अमेरिका, ब्राजील और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिभागी भी लाभ ले रहे हैं।
अरुणिमा दिल्ली पुलिस के पूर्व प्रमुख नीरज कुमार की बेटी और लंदन स्कूल ऑफ इक्नॉमिक्स से स्नातक हैं लेकिन वह कॉरपोरेट का करियर छोड़ लंदन में नृत्य कंपनी चलाती हैं। हालांकि, लॉकडाउन की वजह से ब्रिटेन, पोलैंड और फ्रांस में उनके कार्यक्रम रद्द हो गए ऐसे में उनकी टीम आर्थिक और मानसिक दबाव में आ गई।
अरुणिमा ने इसके मद्देनजर भारतीय और पाश्चात्य संगीत के लिए ऑनलाइन कक्षा शुरू की, जिसमें वह फेसबुक, इंस्टाग्राम और जूम के जरिये शिक्षा देती हैं और कुछ दिनों में करीब 100 प्रतिभागी इससे जुड़ गए।
प्रतिभागियों की मांग पर योग, भारतीय शास्त्रीय संगीत, बॉलीवुड फिटनेस और बुजुर्गों के लिए श्वास व्यायाम के साथ नृत्य आदि की कक्षाएं चला रही हैं।
अरुणिमा ने पीटीआई-भाषा से कहा,
‘‘यह तनावपूर्ण और भयभीत करने वाला समय था। हमें महसूस हुआ कि हम अपनी रोजीरोटी गंवा चुके हैं। यह हमारा स्याह समय था। मैं अपनी कंपनी और टीम बनाने के लिए पिछले दस साल से कड़ी मेहनत कर रही थी। जब इतना तनाव और चिंता हो तो मैं भारतीय कला और संस्कृति के जरिये समुदाय से जुड़ी हूं और मैं महसूस करती हूं कि यह मददगार है।’’
उन्होंने कहा कि वह लॉकडाउन की वजह से नुकसान का सामना कर रहे कलाकारों को एक साथ जोड़ने का प्रयास कर रही हैं।
अरुणिमा ने कहा,
‘‘लोगों के बिना कला नहीं है और अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि कलाकार नये तरीके से एक साथ आएं और काम करना जारी रखें जिससे वे प्यार करते हैं। कला से दुनिया के दुख पर मरहम लगाए। इस रुकावट की वजह से तकनीक हमें पूरी दुनिया में ऑनलाइन जुड़ने की सुविधा दे रही है। स्क्रीन के जरिये यह विश्व हमारा मंच है।’’
गौरतलब है कि अरुणिमा प्रशिक्षित कुचिपुड़ी नृत्यांगना हैं। वह उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सम्मान और नृत्य के लिए साहित्य कला परिषद स्कॉलरशिप प्राप्त कर चुकी है।
Edited by रविकांत पारीक