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डिजाइनर कपड़े पहनने वाली महिलाओं के लिए खुशखबरी

उभरते हुए फैशन डिजाइनरों के काम को सीधे पहुंचाते हैं उपभोक्ता तक फैशन के बढ़ते हुए बाजार की नब्ज को थामने की कोशिश है ‘सोलोलुक’मुफ्त करते हैं डिजाइनरों का पंजीकरण, सफल सौदों पर लेते हैं कमीशन85 डिजाइनरों और ब्रांड को पहुंचा रहे हैं दुनियाभर की फैशनपरस्त महिला ग्राहकों तक

डिजाइनर कपड़े पहनने वाली महिलाओं के लिए खुशखबरी

Thursday April 23, 2015 , 6 min Read

इस दौर में फैशन अब मध्यवर्ग की भी ज़रूरत बन गई है। मध्यवर्ग की ज़रूरत बनते ही फैशन की दुनिया में चली आ रही परिपाटी भी टूटी है। समय ने महंगे कपड़े, बड़े डिजाइनर्स का वर्चस्व और फैशन की चमचमाती दुनिया की परिभाषा को भी बदला है। फैशन की इस बदलती परिभाषा में ऑनलाइन बाजार ने बड़ी भूमिका निभाई है। हालत ये है कि ऑनलाइन बाज़ार में अब फैशन के नए और पुराने सभी खिलाड़ी मौजूद हैं और लगभग हर दिन कुछ और नए खिलाड़ी शोहरत ओर बुलंदी की चाह में इसमें गोता लगा रहे हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अपने अस्तित्व को बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है। अब जबकि लगभग हर फैशन ब्रांड ऑनलाइन बिक्री की दुनिया में कदम रख चुका है या रखने की तैयारी में है, ई कॉमर्स के क्षेत्र के नौसखिये और दिग्गजों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है। ऑनलाइन ग्राहक न केवल विविधता चाहते हैं बल्कि वे औरों से अलग चीज खरीदने की मांग करते हैं। ग्राहकों की इस मांग को पूरा करने की दिशा में ‘सोलोलुक’ ने खुद को विशेषतः महिलाओं के लिये एक फैशन वेबसाइट के रूप में स्थापित किया है।


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‘सोलोलुक’ के सहसंस्थापक हर्शल शाह अपने अनुभव साझा करते हुए बताते हैं कि, ‘‘हम प्रतिभाशाली फैशन डिजाइनर्स और विंटेज चीजों के संग्रहकर्ताओं और दुनियाभर के ग्राहकों के बीच एक सेतु का काम करते हैं। हम फैशन की दुनिया में उभरते हुए डिजाइनरों को एक मंच उपलब्ध करवाना चाहते हैं।’’


कॉमर्स की पृष्ठभूमि से आने वाले हर्शल 2009 में एक वित्तीय सेवा उपक्रम की स्थापना में भी सहयोगी रह चुके हैं। इसके बाद 2011 में उन्होंने अपने तीन दोस्तों के साथ टी-शर्ट की बिक्री के लिये भी एक सफल ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत की। ‘‘हमने टी-शर्ट से संबंधित डिजाइन और प्रिंट से संबंधित कुछ शोध किया और काम को शुरू करने में आने वाले खर्च के बारे में आपस में चर्चा की। एक अच्छे दोस्त से वेबसाइट तैयार करवाने के बाद ठेके पर कुछ लोगों को कपड़ा खरीदने और छपाई का काम सौंपने के साथ ही हम इस क्षेत्र में कूद पड़े।’’


हालांकि इस काम में उन्हें उम्मीद के अनुरूप सफलता नहीं मिली और कुछ अनुभवी विक्रेताओं की सलाह पर इन्होंने अपने पांव वापस खींचने का फैसला किया। इसी दौरान इनकी मुलाकात ई-कामर्स और तकनीक के महारथी जिगर जटाकिया से हुई जो पूर्व में एक भोजन वितरण पोर्टल ‘मैड बाईट्स’ की स्थापना कर चुके थे। आपस में मिलने के बाद इस जोड़ी ने अपना काफी समय और ऊर्जा बाजार के अनुसंधान लगाई और दोनों इस नतीजे पर पहुंचे की ई-कामर्स के क्षेत्र में इलैक्ट्रॉनिक्स के बाद फैशन सबसे उभरता हुआ बाजार है। शुरुआती सफर के बारे में बताते हुए हर्शल कहते हैं कि, ‘‘इसके अलावा हमने यह भी पाया कि कई ऐसे अनजान डिजाइनर हैं जो स्थापित लोगों से अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन उपभोक्ताओं और बाजार तक उनके बनाए डिजाइन पहुंच ही नहीं पा रहे हैं। हमने इस मौके को दोनों हाथों से लपका और पूरे जोर-शोर के साथ महिलाओं के फैशन की दुनिया में कुछ नया करने के इरादे से कूद पड़े।’’

इस जोड़ी ने सबसे पहले नए डिजाइनरों के साथ गठबंधन करके एक प्रारंभिक टीम का निर्माण किया। डिजाइनरों के साथ गठबंधन के बाद चीजों का कैटलॉग तैयार करना और उनकी अच्छी तस्वीरों की व्यवस्था करना इनके सामने सबसे बड़ी चुनौती था। ‘‘प्रांरभ में हमने इस काम को ठेके पर दूसरों को देने या डिजाइनरों के जिम्मे इस काम को छोड़ने की योजना बनाई। लेकिन बाद में हमने इसमें आने वाली परेशानियों को देखते हुए इस काम को अपने हाथों में लेने का फैसला किया। इस काम के लिये हमने एक स्टूडियो किराये पर लेने के साथ एक पूर्णकालिक फोटोग्राफर और सामग्री लेखक की सेवाएं लीं।’’

उनकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई थीं। कंपनी का पंजीकरण करवाना अब उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती थी। ‘‘हमने शुरू में एक पेशेवर कानूनी फर्म की सेवा न लेकर एक बहुत बड़ी गलती की और दो महीने से अधिक समय तक कंपनी रजिस्टर करवाने के लिये सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते रहे। यह कंपनी एक्ट में हुए बदलावों की जानकारी न होने का खामियाजा था। सौभाग्य से हम 2015 के अप्रैल महीने में कंपनी एक्ट में होने वाले नए बदलावों से पहले अपनी कंपनी रजिस्टर करवाने में कामयाब रहे।’’


हर्शल का मानना है कि किसी भी स्टार्ट-अप के लिये कानूनी अनुबंध बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और उनके बारे में हर किसी को गंभीरता से विचार करना चाहिये फिर चाहे वे कर्मचारियों अथवा विक्रेताओं के साथ ही क्यों न होने हों। ‘‘हमने बाजार में उतरने से पहले कई लोगों के साथ कानूनी अनबंध पर दस्तखत किये और इस नतीजे पर पहुंचे कि उन्हें समझना अपने आप में एक टेढ़ी खीर है। हमें महसूस हुआ कि इन दस्तावेजों की भाषा की वजह से हमारे कई साथी परेशानी महसूस कर रहे हैं इसलिये हमने अपने व्यवसायिक साथियों के साथ होने वाले अनुबंधों में सरल भाषा के इस्तेमाल का प्रयास किया।’’


वर्तमान में ‘सोलोलुक’ बिना किसी तरह का पंजीकरण या आवर्ती शुल्क लिए ‘फ्रीमियम’ मॉडल पर काम कर रहा है जिसमें कोई भी निशुल्क अपना नाम पंजीकृत करवा सकता है। हर सफल सौदे पर डिजाइनर से एक निश्चित कमीशन लिया जाता है। ‘‘वर्तमान में हमारे साथ 85 डिजायनर और ब्रांड जुड़े हुए हैं जिनमें से 25 तो पिछले 3 महीनों से लगातार हमारी वेबसाइट पर ऑनलाइन पर हैं। हमारा लक्ष्य सभी श्रेणियों में कुल मिलाकर 200 डिजाइनरों के उत्पादों को मई तक ऑनलाइन लाना है।’’


हर्शल अपनी भविष्य की रणनीति के बारे में साझा करते हुए बताते हैं कि, ‘‘हमारा लक्ष्य 18 से 42 वर्ष की उम्र की फैशन परस्त लाखों भारतीय महिलाओं को खरीददारी के लिये मंच प्रदान करना है। इसके अलावा मध्यपूर्व एशिया, अमरीका और यूरोप के अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता भी हमारी वरीयता सूची में हैं हम आने वाली तिमाही में उनतक पहुंचने का प्रयास करेंगे। हम विशेषकर मध्यपूर्व एशिया के बाजार को लेकर काफी आशान्वित हैं।’’


हर्शल बताते हैं कि एक अध्ययन के अनुसार 2020 तक भारत में 120 मिलियन से अधिक महिलाएं ऑनलाइन तरीके से खरीददारी के लिये सक्रिय होंगी और ‘सोलोलुक’ उनकी फैशन से संबंधित हर मांग को पूरा करने के लिये प्रतिबद्ध दिखना चाहता है।