यमुना प्रदूषण पर सख्ती: दिल्ली सरकार ने नदी में मूर्ति विसर्जन पर लगाई रोक
पर्यावरण के मद्देनज़र दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी ने दिल्ली में यमुना नदी या किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है.
राजधानी दिल्ली में आमतौर पर त्योहारों के बाद प्रतिमाओं को यमुना नदी या अन्य जलाशयों में विसर्जित किया जाता है. गणेश चतुर्थी और आने वाले कई त्योहारों को ध्यान में रखते हुए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (Delhi Pollution Control Committee) ने दिल्ली में यमुना नदी में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाई गई है. यह कदम पर्यावरण के मद्देनज़र उठाया गया है.
बता दें कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा यमुना में मूर्ति विसर्जन पर रोक है. वहीं, दिल्ली सरकार ने साल 2019 में इस संबंध में पहली बार निर्देश जारी करते हुए रोक लगाई थी. और पिछले तीन सालों से इस पर कड़ी से रोक लगाईं जाती रही है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डीपीसीसी) ने जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस साल गणेशोत्सव और दुर्गा पूजा के दौरान यमुना या किसी अन्य जल निकाय में मूर्तियां विसर्जित न की जाएं. डीपीसीसी ने सोमवार को जारी एक आदेश में कहा है कि उल्लंघन करने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना या छह साल जेल की सजा तक हो सकती है.
दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने स्थानीय निकायों से भी आवासीय क्षेत्रों के समीप कृत्रिम तालाब बनाने के लिए कहा है. बोर्ड ने दिल्ली पुलिस को शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की मूर्तियों को ले जाने वाले वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है. इसके साथ ही अवैध मूर्ति निर्माण के खिलाफ कारवाई करने के निर्देश दिए जाने की संभावना है. डीपीसीसी ने कहा कि मूर्ति विसर्जन गंभीर समस्या पैदा करता है क्योंकि उन्हें बनाने में इस्तेमाल होने वाले जहरीले रसायन पानी में मिल जाते हैं.
मूर्तियों पर लगाए जाने वाले रंगों में खतरनाक केमिकल पारा, जिंक ऑक्साइड, क्रोमियम, सीसा व कैडमियम जैसे रसायन होते हैं. यह जीव जंतुओं को नुकसान पहुंचाता है. साथ ही बाद में मनुष्यों के सेवन करने के बाद कैंसर व श्वसन संबंधी बीमारियों और त्वचा संक्रमण सहित अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है.