दिल्ली वक्फ बोर्ड सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में मारे गए लोगों के परिजन को देगा 5-5 लाख रुपये
दिल्ली वक्फ बोर्ड ने शनिवार को ऐलान किया कि वह नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को 5-5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता मुहैया कराएगा। बोर्ड के अध्यक्ष तथा आम आदमी पार्टी के विधायक अमानतुल्ला ने फेसबुक पर लिखी एक पोस्ट में दावा किया कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के मंगलुरु में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान "पुलिस गोलीबारी" में कई लोगों की मौत हुई है।
खान ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन में कथित रूप से 20 लोगों की मौत हुई। उन्होंने मृतकों की कथित सूची भी साझा की। इससे पहले खान ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्र मोहम्मद मिन्हाजुद्दीन को पांच लाख रुपये की वित्तीय मदद और वक्फ बोर्ड में नौकरी दिलाई।
बीते सप्ताह पुलिस ने जामिया परिसर में घुसकर कथित रूप लाठीचार्ज किया था, जिसमें मिन्हाजुद्दीन की बाईं आंख की रोशनी चली गई थी। अधिकारियों ने बताया कि उत्तर प्रदेश में हिंसक प्रदर्शनों में मरने वालों की तादाद शनिवार को बढ़कर 11 हो गई है।
एनआरसी और सीएए को लेकर जारी विरोध प्रदर्शनों में दिल्ली में जेएनयू और जामिया मिलिया इस्लामिया विवि के छात्र शामिल हुए थे। इन विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली पुलिस पर जामिया में घुसकर छात्रों को पीटने का आरोप लगा था। दिल्ली पुलिस पर आरोप है कि उसने जामिया के छात्रों की लाइब्रेरी में घुस कर न सिर्फ पिटाई की बल्कि लाइब्रेरी के भीतर ही आँसू गैस के गोले भी दागे।
एनआरसी और सीएए को लेकर उत्तर प्रदेश के कई शहरों में जमकर विरोध प्रदर्शन सामने आए, जहां प्रदर्शनकारी बड़ी संख्या में सड़कों पर उतर आए। ऐसे में उत्तर प्रदेश के कई शहरों में प्रदर्शनकारी और पुलिस आमने-सामने आ गई।
इन हिंसक प्रदर्शनों में शुक्रवार को मेरठ में चार लोगों की मौत की खबर सामने आई, वहीं कानपुर और बिजनौर में दो-दो लोगों की मौत हो गई। अधिकारियों के अनुसार वाराणसी में भगदड़ मचने से आठ वर्षीय बच्चे की जान चली गई तथा संभल और फिरोजाबाद में भी एक-एक व्यक्ति की मौत हो गई। उत्तर प्रदेश के अलावा कर्नाटक के मंगलोर से भी हिंसक झड़प के मामले सामने आए थे।