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बच्चों के लिए सेविंग या इन्वेस्टमेंट की सोच रहे हैं तो न करें ये गलतियां

सही वक्त पर सही फैसला बच्चों के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा.

बच्चों के लिए सेविंग या इन्वेस्टमेंट की सोच रहे हैं तो न करें ये गलतियां

Tuesday July 05, 2022 , 3 min Read

हर माता-पिता की कोशिश यही रहती है कि वे अपने बच्चों को एक बेहतर कल दें. वे इसी कोशिश में लगे रहते हैं कि कैसे बच्चों के फ्यूचर (Child's Future) को वित्तीय तौर पर सिक्योर बनाया जाए. इसके लिए निवेश और बचत का सहारा लिया जाता है. लेकिन यह तभी कारगर है, जब आप कुछ गलतियों से बचें. सही वक्त पर सही फैसला बच्चों के लिए निर्धारित किए गए लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा. आइए जानते हैं कि बच्चों के भविष्य को वित्तीय तौर पर सुरक्षित बनाने की दिशा में कौन सी गलतियां नहीं करनी चाहिए...

देरी से बचत/निवेश शुरू करना

निवेश और बचत के लिए सबसे जरूरी फंडा है कि आप जितना जल्दी शुरू करेंगे, उतना ही अच्छा रहेगा. बच्चों के जन्म से लेकर उनके कॉलेज जाने की उम्र आने तक माता-पिता के पास काफी वक्त रहता है. इतनी लम्बी समय सीमा का लाभ उठाते हुए जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी निवेश या बचत करना शुरू कर देना चाहिए. इससे आगे चलकर वित्तीय दबाव से बचा जा सकता है.

गलत इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स का चयन

इंसान को अपने वित्तीय लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए निवेश करना चाहिए और उसी हिसाब से निवेश विकल्पों का चुनाव करना चाहिए. ऐसे इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स चुनें जो आपके पैसे को सही गति से बढ़ाएं. याद रहे कि केवल एक विकल्प में ही सारा पैसा न लगाया जाए. पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन होना जरूरी है ताकि अगर किसी एक निवेश/बचत इंस्ट्रूमेंट से लो रिटर्न हासिल भी हो तो किसी अन्य इंस्ट्रूमेंट का उच्च रिटर्न उसकी भरपाई कर दे.

शिक्षा की भविष्य की लागत का ध्यान न रखना

वर्तमान में शिक्षा काफी महंगी हो चली है. प्रभावी रूप से भारत के भीतर एक अच्छे प्रोफेशनल कोर्स की लागत लगभग 7 लाख रुपये या उससे अधिक होगी. अगर विदेश में पढ़ाई की बात करें तो इसी लागत के लगभग दस गुना होने की संभावना है. यह सच है कि यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि एक बच्चा अगले 8-10 वर्षों में क्या करेगा, लेकिन आकांक्षाओं के आधार पर अनुमान लगाया जा सकता है. इसलिए इन्वेस्टमेंट, विदेश में शिक्षा या फिर देश में ही शिक्षा के अनुरूप होना चाहिए.

खुद को इंश्योर न करना

माता-पिता के साथ घटी किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना से बच्चों का भविष्य अंधेरे में न चला जाए, इसके लिए माता-पिता को खुद के लिए इंश्योरेंस कवर लेने पर भी ध्यान देना चाहिए. प्राइमरी लाइफ इंश्योरेंस को परिवार के लिए एक प्रोटेक्शन कवर के तौर पर देख सकते हैं. चाहें तो ऐसे कवर का भी चुनाव कर सकते हैं, जो बीमा कवरेज के साथ-साथ मैच्योरिटी बेनिफिट्स भी प्रदान करे.

महंगाई को ध्यान में नहीं रखना

हर गुजरते साल के साथ उच्च शिक्षा महंगी होती जा रही है और उच्च शिक्षा की फाइनेंसिंग एक महत्वपूर्ण वित्तीय लक्ष्य माना जाता है. इस लक्ष्य के लिए कोई अमाउंट फिगर आउट करते वक्त भविष्य में महंगाई को भी ध्यान में रखना चाहिए. इसलिए मुद्रास्फीति सूचकांक की लागत से एक अंदाज लेना जरूरी है. आप जिस राशि का लक्ष्य रख रहे हैं, वह मुद्रास्फीति और शिक्षा की भविष्य की लागतों में कारक होनी चाहिए.