कान में तकलीफ़ को न करें नज़रअंदाज़! इस सस्ते पोर्टेबल डिवाइस से जांच हुई सस्ती और आसान
टी उदय रागा किरन कहते हैं कि अपनी 6 इंद्रियों में से हम सबसे अधिक नज़रअंदाज़ अपने कानों या सुनने की शक्ति को करते हैं। उदय पेशे से एक ऑडियोलॉजिस्ट हैं। हेल्थकेयर सिस्टम में 10 सालों से भी अधिक का अनुभव रखने वाले उदय कहते हैं कि ज़्यादातर लोगों को यह पता नहीं होता कि सुनने की शक्ति और इस प्रक्रिया में काम करने वाले अंग कितना महत्व रखते हैं। वहीं अगर आपको सुनने में किसी तरह की कोई दिक्कत पेश आती है तो महंगे इलाज की वज़ह से आप व्यवस्थित इलाज से कतराते हैं।
उदय की पत्नी रेमया भी एक ऑडियोलॉजिस्ट हैं। दोनों ने मिलकर हियरिंग हेल्थकेयर में इलाज को किफ़ायती बनाने और लोगों के बीच इस संबंध में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य के साथ नॉटिलस हियरिंग नाम से अपने स्टार्टअप की शुरुआत की। इस स्टार्टअप को सैंडबॉक्स-हुबली के माध्यम से इनक्यूबेशन का सहयोग मिला।
उदय कहते हैं, "सुनने की क्षमता का ख़त्म होना, एक ऐसा रोग है, जिसके लक्षणों का आमतौर पर लोगों को समय रहते एहसास नहीं हो पाता। आंखों की रौशनी जाने का पता शुरुआती स्तर से पता चलने लगता है, जबकि इससे इतर सुनने की शक्ति ख़त्म होने का लोग पता नहीं लगा पाते। "
वह कहते हैं कि जो लोग हियरिंग ऐड्स का इस्तेमाल करते हैं, वे कुछ समय बाद ही मशीन के परफ़ॉर्मेंस से असंतुष्ट होकर, उनका इस्तेमाल बंद कर देते हैं। इस समस्या को दूर करने के उद्देश्य के साथ उदय और उनकी पत्नी ने एक बूथ-लेस पोर्टेबल ऑडियोमीटर विकसित किया है, जिसकी मदद से डॉक्टर बड़ी ही आसानी से कान की जांच कर सकते हैं। इतना ही नहीं, यह डिवाइस टेली-ऑडियोलॉजी के फ़ीचर से लैस है, जिसकी मदद से मरीज़ किसी भी जगह अपने कान की जांच कर सकते हैं।
पोर्टेबल डिवाइस बनाने के सवाल पर उदय का कहना है कि आमतौर पर गांवों में उपयुक्त सुविधाओं के अभाव की वजह से मरीज़ों को सही इलाज नहीं मिल पाता और मरीज़ सोचते हैं कि उनकी हियरिंग डिवाइस ठीक ढंग से काम नहीं कर रही। उदय के मुताबिक़, समस्या हियरिंग डिवाइस की नहीं, बल्कि सही जांच की है।
परंपरागत तौर पर इस्तेमाल होने वाले ऑडियोमीटर्स बेहद महंगे और बड़े होते हैं। उदय बताते हैं, "इस तरह के सिस्टमों को साउंडप्रूफ़ कमरों की और एक बड़ी जगह की ज़रूरत होती है, जहां पर सभी उपकरणों को रखा जा सके। ज़्यादातर क्लीनिक्स 500 स्कवेयर फ़ीट से बड़े नहीं होते और इन जगहों पर डिवाइस का प्रयोग एक दिन में 15 मिनट से अधिक देर तक नहीं हो पाता।"
इसके अलावा इन उपकरणों की लागत भी बेहद अधिक होती है और क्लीनिक्स चलाने वालों को इसके लिए 10 लाख रुपए तक खर्च करने पड़ते हैं। इस वजह से ही ग्रामीण इलाकों में इन डिवाइसों का प्रयोग ही नहीं होता। इस समस्या का हल खोजने वाले उदय बताते हैं कि एक पोर्टेबल डिवाइस की मदद से मरीज़ कहीं भी जा सकता है और उसे टेस्टिंग की चिंता नहीं करनी पड़ती।
उदय और उनकी पत्नी इंजीनियर नहीं है, इसके बावजूद उन्होंने सही मानकों के आधार पर मात्र 2 लाख रुपए की लागत के अपनी डिवाइस तैयार की। इस डिवाइस की मदद से मात्र 10 मिनट में हियरिंग टेस्ट किया जा सकता है और यह डिवाइस एक डिजिटल डायग्नोस्टिक रिपोर्ट तैयार करती है, जिसके आधार पर मरीज़ का सही इलाज किया जा सकता है। उदय बताते हैं कि इतनी कम क़ीमत होने के बावजूद भी लोगों को अपने डिवाइस के इस्तेमाल के लिए तैयार करना एक बड़ी चुनौती रहा है।
यह डिवाइस दो वैरिएंट्स में उपलब्ध है। एक डायग्नोस्टिक प्रोडक्ट है, जिसका इस्तेमाल सर्टिफ़ाइड हेल्थकेयर प्रैक्टिशनर कर सकते हैं, वहीं दूसरी एक स्क्रीनिंग डिवाइस है, जिसका इस्तेमाल स्कूलों, कॉलेजों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य इंडस्ट्रीज़ में हो सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूरी दुनिया की लगभग 5 प्रतिशत आबादी हियरिंग लॉस की समस्या से जूझ रही है। 2050 तक, ऐसे लोगों की संख्या 900 मिलियन के पार पहुंच सकती है।
डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अनुमानित तौर पर हियरिंग लॉस की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को हर साल 750 बिलियन डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ता है। उदय के अनुसार, इसके पीछे की मुख्य वजह यह है कि लोग सुनने में समस्या को कुछ ख़ास तवज्जोह नहीं देते।
भारत में इस सेक्टर में पहले ही से फ़ोरस हेल्थकेयर, सायक्लोप्स मेडटेक, इन ऐक्सेल और सत्व मेडटेक जैसे स्टार्टअप्स मौजूद हैं। आईबीईएफ़ की रिपोर्ट के मुताबिक़, 2017 में ग्लोबल हेल्थकेयर इंडस्ट्री 160 बिलियन डॉलर की थी और अनुमान के हिसाब से चलें तो यह इंडस्ट्री 2020 तक 280 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकती है।
अपने योगदान के लिए नॉटिलस हियरिंग को कर्नाटक सरकार द्वारा एलिवेट 100 प्रोग्राम में जगह दी जा चुकी है, जिसके माध्यम से कंपनी ने फ़ंडिग भी जुटाई है। स्टार्टअप प्राथमिक जांच पूरी कर चुका है और जल्द ही क्लीनिकल ट्रायल्स की भी शुरुआत करने वाला है। कंपनी ने ऑल इंडिया इन्स्टीट्यूट ऑफ़ स्पीच ऐंड हियरिंग, मैसूर में अपने डिवाइस की टेस्टिंग की है।
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