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ड्राइवर ने बीच रास्ते में छोड़ दिया तो भाविश को आया OLA का आइडिया

Ola Cabs शुरू करने से पहले भाविश अग्रवाल माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में काम करते थे. काम के दौरान ही Desitech.in नाम से एक ब्लॉग चालू किया, उस पर काम करते हुए ही उन्हें अपना कुछ खोलने का मन किया. फिर उन्होंने Olatrips शुरू किया जिसे बाद में बदलकर Ola Cabs कर दिया गया.

ड्राइवर ने बीच रास्ते में छोड़ दिया तो भाविश को आया OLA का आइडिया

Monday August 29, 2022 , 8 min Read

कार की सवारी अभी दस साल पहले तक एक स्टेटस सिंबल मानी जाती थी. एक मिडिल क्लास परिवार के लिए खासकर वो लोग जिनकी सैलरी से बमुश्किल घर का खर्च, बच्चों की पढ़ाई, और EMI का खर्च निकल पाता था उनके लिए तो कार खरीदना और उसमें घूमना एक सपने जैसा ही हुआ करता था. मगर एक IIT मुंबई पासआउट भाविश अग्रवाल ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन का ऐसा कॉम्बिनेशन बनाया कि उसके बाद इंडिया में ट्रैवल करने का तौर-तरीका बिल्कुल ही बदल गया. हम बात कर रहे हैं Ola की. अन्य कंपनियों की तरह ही Ola के शुरू होने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है. Ola को शुरू करने वाले भाविश शुरू से ही आंत्रप्रेन्योरियल माइंडसेट के रहे हैं. 

2008 में IIT बॉम्बे से कंप्यूटर साइंस में बीटेक करने के बाद भाविश ने माइक्रोसॉफ्ट रिसर्च में 2 साल बेंगलुरु में नौकरी की. इस दौरान उन्होंने 2 पेटेंट फाइल किए और इंटरनेशनल अकादमिक जर्नल में उनके 3 रिसर्च पेपर पब्लिश हुए. काम के दौरान ही उन्होंने अपना एक ब्लॉग चालू किया, जिसका नाम रखा Desitech.in. उस ब्लॉग पर भाविश टेक्नॉलजी से जुड़े डवेलपमेंट्स पर आर्टिकल्स लिखते थे.

यह वही समय था जब इंडिया में स्टार्टअप्स का दौर शुरू हो रहा था. दूसरी कंपनियों, टेक्नॉलजी पर लिखते हुए भाविश को ख्याल आया कि उन्हें भी खुद का कुछ शुरू करना है. उन्होंने ज्यादा सोचे बगैर कंपनी को अपना इस्तीफा थमा दिया और शुरू किया olatrip.com.

Olatrip लोगों को हॉलीडे पैकेज और वीकेंड ट्रिप जैसी सर्विस ऑफर करती थी. भाविश को इस बिजनेस के सिलसिले में कई बार बेंगलुरु से बांदीपुर आना-जाना पड़ता था. एक बार उन्होंने ट्रैवल करने के लिए एक कार किराए पर ली, और फिर उनके साथ जो घटना घटी उसने लोगों के लिए ट्रैवलिंग के मायने ही बदल ही बदल दिए.

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तो ऐसे आया आइडिया

हुआ कुछ यूं कि, जिस कार को उन्होंने किराये पर लिया था उसके ड्राइवर ने बीच रास्ते में ही कार रोक दी और किराया बढ़ाने की जिद करने लगा. भाविश ने इस पर ऐतराज जताया. जब भाविश किराया बढ़ाने को राजी नहीं हुए तो ड्राइवर बीच रास्ते में ही छोड़कर चला गया. भाविश को एक पल को समझ ही नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या है. लेकिन, एक आंत्रप्रेन्योर माइंड हमेशा ही प्रॉब्लम को पहचान लेता है. ऐसा ही कुछ भाविश के साथ भी हुआ. उन्होंने सोचा जो आज मेरे साथ हुआ है ये कई और लोगों के साथ होता होगा. यानी ऐसे लोगों की बहुत बड़ी तादाद है जिन्हें भरोसेमंद कैब सर्विस की जरूरत है.

उन्होंने अधिक समय गंवाए बगैर इस पर काम शुरू कर दिया. दिसंबर, 2010 में Olatrip का बिजनेस मॉडल बदकर कैब बुकिंग सर्विस पर शिफ्ट कर दिया गया, और कंपनी का नाम हो गया Ola Cabs. आपमें से कई लोगों को लगता होगा कि Ola का कोई फुल फॉर्म होगा. वरना इसका क्या मतलब हुआ! दरअसल OLA नाम एक स्पैनिश शब्द HOLA से लिया गया है. HOLA का मतलब हैलो होता है. Ola नाम बोलने में भी काफी आसान है. लोगों की जुबान पर आसानी से चढ़ने वाला, एक कंपनी को इससे ज्यादा और क्या चाहिए होता. बस फिर Ola के नाम पर मुहर लग गई.

भाविश ने को-फाउंडर रखने में भी जरा सी भी देरी नहीं की. IIT मुंबई से पासआउट मेकैनिकल इंजीनियर अंकित भाटी को भाविश ने को फाउंडर बनाया, और उन्हें सीटीओ का जिम्मा सौंपा. अब सवाल आया Ola Cabs को शुरू कहां से किया जाए? भाविश और अंकित दोनों ने नोटिस किया कि मुंबई में कैब ऑपरेटर लोगों से मनमाना किराया ले रहे हैं. बुकिंग नहीं मिलने की वजह से उन्हें जितना समय खाली बैठे रहना पड़ता था उसकी भरपाई भी वो लोग पैंसेजर से करवा रहे थे. इसलिए Ola ने मार्केट में जरूरत देखते हुए सबसे पहले सर्विस मुंबई से शुरू की. धीरे-धीरे पॉजिटिव रेस्पॉन्स मिलने लगा. फिर 2012 में Ola बेंगलुरु और दिल्ली में शुरू हुई. मुंबई में Ola का ऑपरेशन काफी तेजी से बढ़ने लगा. 2011 में Ola Cabs को एक दिन में 10 बुकिंग मिली. जो अक्टूबर 2015 तक बढ़कर 7 लाख प्रतिदिन के पार निकल गई.

फंडिंग और एक्विजिशन

Ola का बिजनेस मॉडल इतना दमदार था कि उसे फंडिंग के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. सबसे पहले 2011 में स्नैपडील फाउंडर कुनाल बहल, रेहान यार खान और अनुपम मित्तल से एंजल इनवेस्टमेंट मिली. फिर 2012, 2013 में टाइगर ग्लोबल और मैट्रिक्स पार्टनर्स जैसे निवेशक आगे आए. आज की तारीख में Ola ने 22 फरवरी, 2022 तक 29 राउंड में 5 अरब डॉलर का फंड जुटा लिया है. फंडिंग जुटाने के दौर में ही साल 2015 में सीरिज E और F राउंड के समय Ola को अलग-अलग निवेशकों से 900 मिलियन डॉलर की रकम मिली. इस निवेश से कंपनी का वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर के पार निकल गया और वह एक यूनिकॉर्न कंपनी बन गई. 

इसी साल उसने Taxi for sure को खरीदकर अपना पहला एक्विजिशन भी किया. Ola में स्टेडव्यू कैपिटल, वारबर्ग पिनकस प्लम वुड, सॉफ्टबैंक, टेमासेक, टेंसेंट होल्डिंग जैसे बड़े निवेशकों का पैसा लगा हुआ है. 2015 में ही कंपनी ने ड्राइवर्स को किराये पर गाड़ी देना भी शुरू कर दिया. इससे उन ड्राइवर्स को काफी फायदा हुआ जो गाड़ी चलाना तो चाहते थे मगर उनके पास खुद की कोई गाड़ी नहीं थी. 

खैर, जिस वक्त Ola ने कारोबार शुरू किया था उस समय इंडिया में टैक्सी का चलन शुरू ही हो रहा था. इसलिए लोग अब भी ऑटो को ही ज्यादा पसंद कर रहे थे. Ola ने इस बात को समझा और 2014 में ऑटो सर्विस भी देनी शुरू की. आज की तारीख में Ola के पास गाड़ियों की पूरी रेंज है. बाइक से लेकर ऑटो, माइक्रो, मिनी, प्राइम सेडान, प्राइम प्ले, प्राइम एसयूवी जैसे पूरी रेंज मौजूद है. जिसे यूजर  अपने बजट और अपनी सुविधा के हिसाब से चुन सकते हैं. 

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बिजनेस मॉडल

एक यूजर के तौर पर हम में से कई लोग जानते होंगे कि Ola कैसे काम करती है. मगर एक ड्राइवर के लिए Ola का एक अलग ईकोसिस्टम है. उनके लिए अलग ऐप आता है. उस पर रजिस्टर होने से पहले ड्राइवर्स की तमाम चीजों की जांच होती है. ड्राइवर्स जब चाहें तब लॉगिन और लॉग आउट कर सकते हैं. Ola उनसे हर राइड पर किराये का औसतन 15 फीसदी कमिशन की तरह रख लेती है और इसी से उसकी कमाई होती है. 2019 तक Ola देश के 250 से ज्यादा शहरों में मौजूद थी. उसके पास 15 लाख से ज्यादा ड्राइवर्स का नेटवर्क है. इंटरनैशनल मार्केट में Ola ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, और न्यूजीलैंड में मौजूद है.

समय के साथ आपने सर्वाइवल ऑफ दी फिटेस्ट के बारे में भी सुना ही होगा. इसका मतलब होता है टिकेगा वही जिसमें सबसे ज्यादा दम हो. कॉम्पिटीशन के बीच खुद को आगे रखने के लिए Ola ने भी कई कदम उठाए. रेंटल कैब बुकिंग सर्विस के साथ शुरूआत करने वाली Ola धीरे-धीरे अलग क्षेत्रों में भी उतरने लगी. उसने मोबिलिटी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों समेत, फाइनैंशल सर्विसेज, फूड डिलीवरी क्षेत्र की कंपनियों को खरीदना शुरू किया. कंपनी ने अब तक टोटल 8 अधिग्रहण किए हैं. 

हर ग्रो करती कंपनी का सपना होता है कि सेकंड्री मार्केट यानी शेयर बाजार से पैसा जुटाना. Ola ने भी ये सपना देखा था. कंपनी 2022 में शेयर बाजार में लिस्ट होने की पूरी तैयारियां कर रही थी कि तभी लगा लॉकडाउन. लॉकडाउन की वजह से Ola का रेवेन्यू FY21 में 63 फीसदी से ज्यादा गिरा. ऐसी खबर है कि Ola इस साल के आखिर तक या अगले साल के शुरू में अपना आईपीओ ला सकती है. 

कड़ा है मुकाबला

शेयर बाजार में लिस्ट होने से पहले कई ऐसी चुनौतियां हैं जिससे Ola को निपटना है. Ola की सबसे बड़ी कॉम्पिटीटर इस समय उबर है. उसके अलावा रैपिडो उससे बाइक और ऑटो सेगमेंट में मार्केट शेयर छीन रहा है. मेरू कैब्स, कारजोनरेंट, जूमकार से भी Ola को कॉम्पिटीशन मिल रहा है. Ola के सामने इस समय प्रॉफिट में आने के अलावा राइड कैंसिलेशन, फाइनैंशल सर्विसेज देने के लिए आरबीआई से पेनाल्टी, छंटनी, सीनियर एक्जिक्यूटिव्स के इस्तीफे, फूड बिजनेस बंद होने जैसी कई चुनौतियां से डील करना बड़ी परेशानी है. 

लेकिन एक मामले में Ola मार्केट में काफी आगे चल रही है और वो है उसके इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का इनीशिएटिव. तमाम देशों में क्लाइमेट चेंज और ग्रीन एनर्जी को लेकर फोकस काफी बढ़ा है. आने वाले भविष्य में डीजल पेट्रोल गाड़ियों पर स्क्रूटनी को भांपते हुए Ola ने 2017 में Ola इलेक्ट्रिक की शुरुआत की.Ola Cabs की पैरंट कंपनी ANI टेक्नोलॉजी ही Ola इलेक्ट्रिक की भी मालिक है. इस वेंचर के जरिए कंपनी ने इलेक्ट्रिक स्कूटर और इलेक्ट्रिक कारों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की है. Ola इलेक्ट्रिक को इनवेस्टर्स से भी तगड़ा रेस्पॉन्स मिला. आलम ये है कि शुरू होने के दो साल के अंदर ही Ola इलेक्ट्रिक भी एक अलग यूनिकॉर्न कंपनी बन चुकी है.