असम की त्रासदी: केवल 7 दिनों में देख लिया सूखा और बाढ़ दोनों

14 जून तक असम के 9 जिले सूखे से जूझ रहे थे. एक हफ़्ते बाद असम बाढ़ की चपेट में आ गया. असम की इस स्थिति को ग्लोबल वार्मिंग के अनप्रेडिक्टेबल परिणामों का एक क्लासिकल केस माना जा सकता है.

असम की त्रासदी: केवल 7 दिनों में देख लिया सूखा और बाढ़ दोनों

Wednesday June 29, 2022,

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असम के 35 जिलों में से 33 जिले बाढ़ से बेहद बुरे तरीक़े से प्रभावित हैं. 42 लाख से ज्यादा लोगों का जीवन प्प्रभावित है. राज्य का हर सातवाँ आदमी बाढ़ से प्रभावित है. अब तक 120 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग बेघर हो गये हैं. 

भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक़ हिमालय के उत्तरी स्ट्रेच में बसा  असम देश के सबसे वल्नरेबल राज्यों में से एक है क्योंकि देश में सबसे जयादा क्लाइमेट वल्नरेबल ज़िले 16 हैं जिनमें से 11 असम में ही हैं.  ब्रह्मपुत्र नदी के कारण यह हमेशा-से बाढ़ प्रभावित राज्य रहा है. हर साल बाढ़ आती है. लेकिन इस साल जैसी भयंकर, जानलेवा बाढ़ आने का क्या कारण हो सकता है? राज्य आपदा प्रबंधन अथॉरिटी के मुताबिक़ 20 जिलों में फैले ब्रह्मपुत्र नदी के 29 तटबंध टूट गये हैं. अभी के हालात को देखकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि क्लाइमेट चेंज की वजह से एक हफ्ते के भीतर मौसम का एकदम से बदल जाना - एक्स्ट्रीम हो जाना - इसके पीछे का मुख्य कारण है. ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मॉनसून हवा ज्यादा नमी-से भरी होती है और लगातार बारिश होना भी क्लाइमेट चेंज का ही रिजल्ट है. 

Flood

इमेज क्रेडिट: sdma_assam twitter

इसके अलावा अकुशल बाढ़ प्रबंधन और सरकार का कोताही भरा रवैया भी इन परिस्थितियों को पैदा करने के लिए ज़िम्मेदार माना जा सकता है. बाढ़ से निपटने के लिए बनाए गए उपायों में तटबंध बनाना सबसे आसान और प्रयोग में लाने जाने वाला उपाय है. वैज्ञानिकों के अनुसार लेकिन यह बहुत कारगर तरीका नहीं है क्योंकि तटबंध और नदी के बीच बसे गाँव बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं और वैसे गाँव जो तटबंधके बाहर होते हैं वह सूखे रह जाते हैं. इस बार जो बाढ़ आई उसकी वजह तटबंध का टूट जाना था जिसकी वजह से न सिर्फ अन्दर के गाँव बल्कि तटबंध के बाहर बसे गाँवों को भी बहा ले गयी. 

एक रिपोर्ट के मुताबिक़, 14 जून तक असम के 9 जिलों कारबी आंगलोंग, मोरीगांव, दरंग, गोलाघाट, जोरहट, तिनसुकिया, बारपेटा, नलबारी और कामरूपमें सूखे-अकाल जैसी परिस्थितियाँ थी. एक हफ्ते के अंतराल में ही असम बाढ़ की चपेट में है. 

जून में असम में 109 प्रतिशत अतिरिक्त बारिश दर्ज की गयी यानि जितनी बारिश औसतन इस महीने में होती है . बिना रूके हुई इस बारिश ने ब्रह्मपुत्र नदी और उसकी ट्रिब्यूट्रीज के बाँध खोल दिए. 

असम की इस  स्थिति को ग्लोबल वार्मिंग के अनप्रेडिक्टेबल परिणामों का एक क्लासिकल केस माना जा सकता है.  

अभी स्थिति सुधरने के आसार नहीं दिख रहे.  राज्य आपदा प्रबंधन अथॉरिटी ने आज  भी  20 से अधिक जगहों पर भारी बारिश होने की आशंका का अलर्ट जारी किया है.