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बंगाल की दुर्गा पूजा में होता है 40 हजार करोड़ का कारोबार, बनते हैं तीन लाख रोजगार के अवसर

बंगाल की दुर्गा पूजा में होता है 40 हजार करोड़ का कारोबार, बनते हैं तीन लाख रोजगार के अवसर

Friday October 07, 2022 , 5 min Read

ब्राज़ील में रियो डि जनेरियो कार्निवल, जापान में चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल और पश्चिम बंगाल की दुर्गा पूजा में क्या समानता हो सकती है? ये तीनों फेस्टिवल अपने शहरों की अर्थव्यवस्था में बूस्ट लाते हैं. बंगाल की दुर्गा पूजा की भव्यता, इसकी सांस्कृतिक विरासत और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने दुर्गा पूजा को दिसंबर 2021 में 'अमूर्त सांस्कृतिक विरासत' की प्रतिनिधि सूची में दर्ज किया गया है.


नौ दिन तक चलने वाली दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था के खुदरा क्षेत्र में 85 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ प्रमुख योगदान रखती है. पूजा के लिए पंडाल बनाने, सजावट, रोशनी, मनोरंजन, विज्ञापन, खाद्य-पेय के साथ आम जनता का नए कपड़े खरीदना, मिठाइयां खरीदना, घर की सफाई करना, एक-दूसरे को गिफ्ट देना, मेले में जाना इत्यादि त्योहारी गतिविधियां राज्य के सकल घरेलू उत्पाद यानी (GDP) पर कई गुना प्रभाव डालती हैं. फेस्टिव सीजन के साथ शॉपिंग कार्निवल भी शुरू हो जाता है. इस दौरान लोग अपनी सेविंग का शॉपिंग में जमकर इस्तेमाल करते हैं. इस साल फेस्टिव सीजन में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही बाजारों में रौनक है.


नवरात्रि के पहले दिन के शंख के उद्घोष के साथ शुरू होता है बंगाल की कुल 40,000 सामुदायिक पूजा का आयोजन, जिनमें से 3,000 आयोजन अकेले कोलकाता में होते हैं. नामचीन पूजा पंडाल अपने द्वार, खंभे, बैनर और स्टॉल प्रायोजन के लिए मुहैया करवाते हैं. इन सब तैयारियों में करीब तीन-चार महीने की आर्थिक गतिविधियां शामिल रहती हैं. इन तैयारियों में कई पंडाल समितियां, पंडाल बनाने वाले, मूर्ति बनाने वाले, बिजली क्षेत्र से जुड़े लोग, सुरक्षा गार्ड, पुजारी, ढाकी, मूर्ति परिवहन से जुड़े मजदूर और ‘भोग’ एवं खानपान की व्यवस्था से जुड़े लोग शामिल होते हैं. क़रीब तीन लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर सृजित होते हैं दुर्गा पूजा के दौरान.


केवल मुख्य दुर्गा पूजा गतिविधियों से नज़र हटायें तो फैशन, वस्त्र, जूते, सौंदर्य प्रसाधन जैसे क्षेत्रों में भी लोगों की खरीद-फरोख्त बढ़ जाती है. साहित्य एवं प्रकाशन, यात्रा, होटल, रेस्तरां और फिल्म तथा मनोरंजन व्यवसाय में भी इस दौरान बिक्री में उछाल आता है. इन विभिन्न क्षेत्रों को मिलकर इस दौरान कम से कम 40,000 करोड़ रुपये का लेनदेन होता है.

अर्थव्यवस्था में दुर्गा पूजा का इतना योगदान

साल 2020 में कोविड-19 महामारी से इस उत्सव का रंग फीका पड़ गया था और ‘पूजा अर्थव्यवस्था’ भी मंदी पड़ गई थी. ब्रिटिश काउंसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में दुर्गा पूजा अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी 2.5 प्रतिशत थी. इस अप्रत्याशित स्थिति के सामान्य होने के दो साल बाद इस साल दुर्गा पूजा का रंग और मिजाज़ दोनों ही अलग थे. बाज़ार की सरगर्मी और लोगों की चहलकदमी ने इस साल दुर्गा पूजा उत्सव को वापस उसकी पूरी भव्यता के साथ पुनर्स्थापित कर दिया है. इस साल पूजा उत्सव से बाज़ार में अनुमानित 20-30 प्रतिशत उछाल आने की खबर है.


कन्फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार ने इस साल के बारे में कहा कि रुझानों के साथ देखा गया की कई खपत क्षेत्रों में, वृद्धि को सुरक्षित रूप से 20-30 प्रतिशत पर अनुमानित किया जा सकता है. रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सीईओ कुमार राजगोपालन ने कहा, "20 प्रतिशत से 25 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष में) खुदरा बिक्री 2019 के पूर्व-महामारी स्तरों पर मुद्रास्फीति के बावजूद सही तरह की वृद्धि होगी.” 2019 की तुलना में 2022 में ‘पूजा अर्थव्यवस्था’ में स्वस्थ विकास की उम्मीद के बीच, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में इसकी हिस्सेदारी 2.4-2.5 प्रतिशत रह सकती है. 2022-23 के बजट अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल की जीडीपी 17,13,154 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. पीटीआई-भाषा के मुताबिक़ राज्य के जीएसटी आयुक्त खालिद अनवर ने बताया है  कि त्योहारी सीजन के जीएसटी संग्रह के आंकड़े बाद में आएंगे. “हम राज्य जीएसटी संग्रह में लगातार उच्च वृद्धि देख रहे हैं और उम्मीद करते हैं कि त्योहारी महीने मजबूत रहेंगे. चालू वित्त वर्ष में संचयी वृद्धि 20 प्रतिशत से अधिक रही है.”


वर्ष 2013 में एसोचैम के एक अध्ययन के मुताबिक, दुर्गा पूजा उद्योग का आकार 25,000 करोड़ रुपये था. इसके लगभग 35 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है. इस हिसाब से पूजा उद्योग को अब 70,000 करोड़ रुपये के करीब पहुंच जाना चाहिए. एफएफडी की अध्यक्ष काजल सरकार के अनुसार इस साल त्योहार से करीब 50,000 करोड़ रुपये तक का लेन-देन होने का अनुमान है. बता दें ब्रिटिश काउंसिल द्वारा किये गए अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2019 में इसका योगदान 32,377 करोड़ रुपये था.


यही वजह है कि खुदरा उद्योग ने बंगाल में इस साल अच्छी वृद्धि देखी है. फेस्टिव सीजन में कमाई का फायदा लेने के लिए ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी कमर कसी है. देश की प्रमुख ई-कॉमर्स साइट् फ्लिपकार्ट अपना सालाना Big Billion Days sale की तयारी में कोलकाता से करीब 50 किलोमीटर दूर प​श्चिम बंगाल के नादिया जिले के हरिनघाटा में अपना वेयरहाउस खोला जहाँ हर दिन करीब 400 नए लोगों को काम पर रख रही थी.


वहीँ, शहर के मॉल भी अच्छे व्यवसाय का आनंद ले रहे हैं जहाँ इस साल 2021 की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक और 2020 की तुलना में 65 प्रतिशत अधिक बिक्री हुई है.