महाविध्वंस से दुनिया को बचाने वाले पेट्रोव का महाप्रस्थान
सितंबर, 1983 की सुबह अमेरिका से मिसाइल हमले की चेतावनी को तत्कालीन सोवियत संघ की आरंभिक चेतावनी प्रणाली ने पकड़ लिया। जिसके बाद यह जानकारी सामने आई कि अमेरिका ने कई मिसाइलें दाग दी हैं।
दोनों ही देशों के पास परमाणु हथियारों का इतना बड़ा जखीरा था कि जिससे पूरी दुनिया को खत्म किया जा सकता था। दोनों देशों एटमी मिसाइलें तनी रहती थीं। तब निसल्व सोवियत यूनियन के सीक्रेट कमांड सेंटर में ड्यूटी ऑफिसर थे।
दुखद पहलू यह भी है कि मीडिया सूचनाओं के मुताबिक पेट्रोव की मृत्यु मई में ही हो गई थी, जिसका खुलासा चार महीने बाद किया गया है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रतिबंधों को धता बताते हुए उत्तर कोरिया के ताजा परमाणु परीक्षण से कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव काफी बढ़ गया है। दुनिया भर में इस वक्त नौ देशों के पास करीब 16,300 परमाणु बम हैं। परमाणु निशस्त्रीकरण की मांग के बावजूद यह संख्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिका और उत्तर कोरिया में ठनी हुई है। आज अमेरिका हो या भारत, कभी कोरिया, कभी पाकिस्तान की धमकियों से दुनिया के सिर पर नाइट्रोजन बम, परमाणु बम का खतरा मंडराता रहता है लेकिन एक व्यक्ति ऐसा भी रहा है, जिसके एक फैसले से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच परमाणु युद्ध होते-होते बच गया था। उस शख्स का नाम है- स्टानिसल्व पेट्रोव, उनका निधन हो गया।
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और रूस के बीच परमाणु हमले को रुकवाकर दुनिया को महाविनाश से बचाने वाले पेट्रोव की मौत 77 साल की उम्र में हुई है। यद्यपि इस सूचना का एक दुखद पहलू यह भी है कि मीडिया सूचनाओं के मुताबिक पेट्रोव की मृत्यु मई में ही हो गई थी। उसका खुलासा चार महीने बाद किया गया है। इस दुखद घटना की जानकारी पेट्रोव के बेटे ने दुनिया को दी है। वॉशिंगटन पोस्ट की खबर के मुताबिक इसी साल, 77 वर्ष की आयु में 19 मई को उनका निधन हो गया।
बात 26 सितंबर 1983 की है। याद करिए कि वह शीत युद्ध का वक्त था। दुनिया दो गुटों में बंट गई थी। एक गुट का अगुवा था अमेरिका, दूसरे का सोवियत संघ दोनों बड़ी ताकतों के बीच आपस में कोई जंग तो नहीं होती थी लेकिन दोनों देश अपने-अपने मोहरों के साथ हमेशा जंग पर जुबान चलाते रहते थे। दोनों ही देशों के पास परमाणु हथियारों का इतना बड़ा जखीरा था कि जिससे पूरी दुनिया को खत्म किया जा सकता था। दोनों देशों एटमी मिसाइलें तनी रहती थीं। तब निसल्व सोवियत यूनियन के सीक्रेट कमांड सेंटर में ड्यूटी ऑफिसर थे। 26 सितंबर, 1983 की सुबह अमेरिका से मिसाइल हमले की चेतावनी को तत्कालीन सोवियत संघ की आरंभिक चेतावनी प्रणाली ने पकड़ लिया। जिसके बाद यह जानकारी सामने आई कि अमेरिका ने कई मिसाइलें दाग दी हैं।
हालांकि उस दौरान ड्यूटी पर तैनात स्टैनीस्लैव पेट्रोव ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बात की जानकारी न देने का फैसला किया। दरअसल सोवियत संघ के प्रोटोकॉल के अनुसार जवाबी कार्रवाई में परमाणु हमला करना था। लेकिन उन्होंने बात को दबाने का फैसला किया और अधिकारियों को अलर्ट जारी नहीं किया और अलर्ट को झूठी जानकारी बताकर नजरअंदाज कर दिया। पेट्रोव यह फैसला एक दम सटीक निकला और तकरीबन 23 मिनट बाद उन्हें जब किसी भी प्रकार के धमाके की जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने चैन की सांस ली। बाद में जब जानकार लोगों ने इस पूरी घटना का अध्यन किया तो पाया कि निसल्व की वजह से एक बड़ी विपत्ति को टाला जा सका। यह वाकया लंबे वक्त तक गोपनीय रहा। वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यह उजागर हो सका। उसके बाद यूरोप के लोगों ने चिट्ठियां लिखकर पेट्रोव का शुक्रिया अदा किया।
वर्ष 2014 में इस पर एक डोक्युमेंट्री बनी- द मैन हू सेव्ड द वर्ल्ड। उसके बाद उन्हें अमेरिका समेत पूरी दुनिया में कई जगह सम्मानित किया गया। आज दुनिया जैसे दौर से गुजर रही है, खबरें पढ़कर ही लोगों में सिहरन सी दौड़ जाती है। आज स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक परमाणु हथियारों की संख्या के मामले में रूस सबसे आगे है। 1949 में पहली बार परमाणु परीक्षण करने वाले रूस के पास 8,000 परमाणु हथियार हैं। 1945 में पहली बार परमाणु परीक्षण के कुछ ही समय बाद अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहरों पर परमाणु हमला किया।
सिप्री के मुताबिक अमेरिका के पास आज भी 7,300 परमाणु बम हैं। यूरोप में सबसे ज्यादा परमाणु हथियार फ्रांस के पास हैं. उसके एटम बमों की संख्या 300 बताई जाती है। परमाणु बम बनाने की तकनीक तक फ्रांस 1960 में पहुंचा। एक अनुमान के मुताबिक चीन के पास 250 परमाणु बम, ब्रिटेन के पास 225 परमाणु हथियार, भारत के पास 90-110 एटम बम और पाकिस्तान के पास सौ से सवा सौ परमाणु हथियार बताए गए हैं।
यह भी पढ़ें: 80 साल के वृद्ध डॉक्टर योगी गरीब जले मरीजों की सर्जरी करते हैं मुफ्त