कंपनी शुरू करने के बाद किन बातों का रखें ध्यान-
पिछले कुछ समय में भारत में जिस रफ्तार से स्टार्टअप्स की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है वो भारत के विकास के लिए काफी अच्छा है। नई-नई कंपनियां युवाओं को रोजगार तो दे ही रही हैं साथ ही ये देश की विकास की गति को भी बढ़ा रही है। इन स्टार्टअप्स के कारण आज युवा पैसा कमाने पर किसी पर निर्भर नहीं हैं वो खुद अपनी कंपनी खोलकर दूसरों को नौकरी दे रहे हैं।
इंटरनेट भी इन स्टार्टअप्स की आगे बढ़ने में काफी मदद कर रहा है। जिसके चलते ये कंपनियां नई-नई ऊंचाइयों को छू रही हैं। लेकिन एक बार जब आपकी कंपनी इनकॉरपोर्ट हो जाती है तो आपको विभिन्न चीजों का विशेष ध्यान रखना होता है।
1- सीआईएन डिसप्ले- इनकॉर्पोरेशन के तुरंत बाद आप अपनी कंपनी का बोर्ड अपने रजिस्टर्ड ऑफिस के बाहर लगाएं। इस बोर्ड में विभिन्न चीजों को शामिल करें
- कंपनी का नाम
- कंपनी का रजिस्टर्ड पता
- टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी
- वेबसाइट एडरस व फैक्स नंबर
इन सभी डीटेल्स को कंपनी के सारे बिजनेस लैटर्स, इनवॉइसिज, लैटरहैड्स, मेल्स वगैरा में जरूर शामिल करें। कंपनीज एक्ट 2013 के नियमानुसार भी सीआईएन नंबर हर डॉक्यूमेंट में रखना अनिवार्य है और यदि आप ऐसा नहीं करते तो आपको 1 हजार रुपय प्रतिदिन के हिसाब से पैनल्टी देनी होगी और इस पैनल्टी की रकम 1 लाख रुपय तक है।
2- ऑडिटर की न्युक्ति- जानकारी के अभाव में अमूमन ज्यादातर नई स्टार्टअप्स इसपर ध्यान नहीं देती। कंपनीज एक्ट 2013 के अनुछेद 139(6) के मुताबिक सरकारी कंपनी को छोड़कर हर किसी कपंनी को इनकॉर्पोरेशन के 30 दिन के अंदर एक ऑडिटर की न्युक्ति करना अनिवार्य है। अगर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर ऐसा नहीं करते तो 90 दिन के अंदर एक जनरल मीटिंग करके ऑडिटर की न्युक्ति करनी होगी।
सरल भाषा में कहें तो एक ऑडिटर एक चार्टेड अकॉउंटेंट होना चाहिए और उसकी न्युक्ति 30 दिन के अंदर हो जानी चाहिए। ADT-1 फॉर्म को मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर की साइट से लें। कहने का मतलब है कि आपको एक चार्टेड अकॉउंटेंट की तलाश है जो आपके इस फार्म को भर सके।
कंपनीज एक्ट 2013 के सेक्शन 147 के अनुसार अगर सेक्शन 139(6) का उल्लंघन किया गया तो कंपनी को 25 हजार से लेकर 5 लाख तक का फाइन देना पड़ सकता है।
3- पैन व टेन के लिए आवेदन- कंपनी के लिए ये अनिवार्य होता है कि उसका अपना पैन व टैन नंबर हो। इसलिए जैसे ही कंपनी इनकोर्पोरेट हो तो तुरंत पैन व टैन नंबर के लिए अप्लाई कर दें। पैन व टैन नंबर मिलने में अब कोई दिक्कत नहीं आती।
4- शेयर सर्टिफिकेट प्रकाशित करना- कंपनीज एक्ट 2013 के अनुसार कंपनी को इनकॉर्पोरेशन के 2 महीने के अंदर सभी मैमोरंडम ऑफ एसोसिएशन के सभी सब्सक्राइबर्स को शेयर सर्टिफिकेट अलॉट करना होता है। इसमें यह भी लिखा गया है कि सभी सब्सक्राइबर्स को सब्सक्रिप्शन का पैसा भी कंपनी के बैंक अकॉउंट में जमा करना होता है।
हम कंपनियों को यही राय देते हैं कि कंपनियां एक बैंक अकाउंट खोलें एमओए, आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएश की मदद से और फिर सभी सब्सक्राइबर्स से चेक लेकर कंपनी के बैंक अकाउंट में जमा करें।
कहानी- विवेक सोमानी
अनुवादक- आशुतोष