मोटराइज्ड ट्रायसायकल ने दी है गैंदराम जैसे कई दिव्यांगों की जिंदगी को नयी रफ्तार
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
80 प्रतिशत से अधिक निःशक्तता के आधार पर समाज कल्याण विभाग द्वारा गैंदराम को मोटराइज्ड सायकल बिना किसी शुल्क के उपलब्ध करायी गयी है। गैंदराम जैसे कई दिव्यांगों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर हर मुमकिन मदद की जा रही है।
देश-भर में विभाग को प्राप्त नवीन डिजिटाईज आवेदनों को संख्या 66.67 हजार थी जिनमें से 45 हजार 148 दिव्यांगजनों के यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड निर्मित किया गया है।
गैंदराम विश्वकर्मा को जैसी ही मोटराइज्ड ट्रायसायकल मिली, उनकी खुशियों की कोई सीमा न रही। गरियाबंद ज़िले के विकासखण्ड फिंगेश्वर के ग्राम बहेरापाल निवासी 70 वर्षीय गैंदराम को सरकार की ओर से 35 हजार रूपए की मोटराईज्ड ट्रायसायकल निःशुल्क दी गयी है। 80 प्रतिशत से अधिक निःशक्तता के आधार पर समाज कल्याण विभाग द्वारा गैंदराम को मोटराइज्ड सायकल बिना किसी शुल्क के उपलब्ध करायी गयी है। गैंदराम जैसे कई दिव्यांगों को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर हर मुमकिन मदद की जा रही है। सरकार यह सुनिश्चित करने की कोशिश में है कि दिव्यांगता की वजह से कोई भी व्यक्ति पूरी तरह से दूसरे लोगों पर आश्रित न रहे।
ट्रायसायकल देने के बाद गैंदराम जैसे दिव्यांगों को उसे चलाने की विधि भी बताई जा रही है। दिलचस्प बात यह है गैंदराम मोटराइज्ड सायकल चलाना जानते थे इसी वजह से जैसे ही उन्हें वह वाहन मिला उन्होंने मोटराइज्ड सायकल स्टार्ट की और आगे बढ़ गये। उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कलेक्टर कार्यालय से सीधे बस स्टैण्ड की ओर निकल गये। अलग-अलग कार्यो से कलेक्टोरेट आये कई लोग उन्हें वापस आने के लिए आवाज देते रह गये। चूंकि गैंदराम सामान्य ट्रायसायकल चला चुके थे, इसलिए उन्होंने बैटरी चलित सायकल आसानी से संभाल लिया। बैटरी चलित ट्रायसायकल मिलने पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए गैंदराम ने बताया कि पहले सामान्य ट्रायसायकल में कहीं आने जाने पर काफी मेहनत करनी पड़ती थी और समय भी लगता था, पर अब यह समस्या नहीं रहेगी। मोटराइज्ड ट्रायसायकल से कुछ अधिक दूरी का रास्ता भी तय कर पायेंगे।
समाज कल्याण विभाग द्वारा अब तक छत्तीसगढ़ के लगभग 4.33 लाख दिव्यांगजनों प्रमाणीकरण पूर्ण किया जा चूका है, जिसमें से 40 प्रतिशत से अधिक निःशक्तता वाले दिव्यांगों की जनसँख्या 02 लाख 84 हजार 464 और 40 प्रतिशत से कम निःशक्तता वाले दिव्यांगों की जनसँख्या एक लाख 49 हजार है। प्रदेश-भर में विभाग को प्राप्त नवीन डिजिटाईज आवेदनों को संख्या 66.67 हजार थी जिनमें से 45 हजार 148 दिव्यांगजनों के यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड निर्मित किया गया है। रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 38 हजार दिव्यांगजनों का प्रमाणीकरण किया गया है, जबकि दुर्ग जिले में सर्वाधिक 08 हजार दिव्यांगजनों के लिए यूनिक डिसेबिलिटी आईडी कार्ड निर्मित हुए हैं।
महत्वपूर्ण बात यह भी है कि छत्तीसगढ़ सरकार की विभिन्न आवासीय योजनाओं से प्रदेश के 728 दिव्यांगजनों को लाभान्वित किया गया है। आवासीय योजनाओं के तहत वर्ष 2016-17 से लेकर अब तक प्राप्त आवेदनों के आधार पर 869 पात्र हितग्राहियों के लिए आवास की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। विगत तीन वर्षों में रायगढ़ जिले में सर्वाधिक 145 ,वहीँ कांकेर जिले में 91 और बेमेतरा 67 दिव्यांगजनों को आवास योजना का लाभ मिला है।
इतना ही नहीं मुख्यमंत्री खाद्यान्न योजना के तहत दिव्यांगजनों को प्रतिमाह 10 किलोग्राम खाद्यान्न दिया जा रहा है। राज्य सरकार द्वारा निःशक्त व्यक्ति अधिकार अधिनियम 2016 की धारा 24(एक) के परिपालन में यह योजना अमन में लायी जानी शुरू हुई है। इससे पहले दिव्यांगजनों को प्रतिमाह 07 किलोग्राम खाद्यान्न एक रुपए प्रति किलो की दर से उपलब्ध कराया जा रहा था।
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