गांधीगिरी की मदद से दादर बीच की सफाई कर रहा यह मुंबईकर, टूरिस्ट स्पॉट बनाने का सपना
22 हफ्तों में साथियों के साथ मिलकर इस शख़्स ने किया 120 टन कचरा साफ...
गणपति विसर्जन में होने वाली बीच की दुर्दशा ने चीनू को आहत किया और उन्होंने 8-10 लोगों की टीम बनाई और 'सेव द गनेशा' नाम से एक कैंपेन शुरू किया। चीनू की टीम ने लोगों से और महानगरपालिका से गुजारिश की, कि वे यह सुनश्चित करें कि मूर्तियों का विसर्जन ठीक तरह से किया जाए।
चीनू ने बताया कि दादर बीच में एक टूरिस्ट स्पॉट की बेहतरीन संभावनाएं हैं। जहां एक तरफ आप दादर बीच से वर्ली सीलिंक देख सकते हैं और वहीं दूसरी ओर बांद्रा है।
चीनू क्वात्रा (27) आरना फाउंडेशन के सह-संस्थापक हैं। चीनू मुंबई के ठाणे के रहने वाले हैं। चीनू ने, कूड़े के ढेर में तब्दील हो चुके दादर बीच की सफाई और उसे फिर से एक खूबसूरत स्पॉट में बदलने की मुहिम शुरू की है। बीच की सफाई के लिए चीनू और उनकी टीम गांधीगिरी का सहारा भी लेते हैं। जब भी कोई बेतरतीब ढंग से कूड़ा फेंकता है तो सफाई करने वाले सहयोगी उन्हें सलाम करते हैं और उनके लिए ताली बजाते हैं।
चीनू का हर रविवार बीच की सफाई की जद्दोजहद में ही खर्च होता है। चीनू की मुहिम रंग ला रही है और 22 हफ्तों में चीनू और उनके साथी मिलकर 120 टन तक कचरा साफ कर चुके हैं। धीरे-धीरे बीच की शक्ल बदल रही है और चीनू को उम्मीद है कि जल्द ही यह एक टूरिस्ट स्पॉट के रूप में विकसित हो सकेगा। चीनू ने अपने जीवन में कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। चीनू एक संपन्न परिवार में पैदा हुए थे, लेकिन जब वह 10वीं कक्षा में थे, उस दौरान उनके परिवार की आर्थिक हालत बेहद खराब हो चली थी। चीनू ने अपनी मां के सहयोग से 12वीं कक्षा तक पढ़ाई की और इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए आगे बढ़े।
चीनू मैनेजमेंट सेक्टर में काम कर चुके हैं। कुछ वक्त तक इस क्षेत्र में काम करने के बाद 2014 में चीनू ने अपनी रिश्तेदार श्वेता के साथ मिलकर आरना नाम के एनजीओ की शुरूआत की। ठाणे स्थित यह एनजीओ, तब से लगातार शिक्षा और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रहा है। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन वक्त को अभी चीनू के और इम्तेहान लेने थे। एनजीओ की शुरूआत के साल में ही चीनू की प्रेमिका की एक दुर्घटना में मौत हो गई। लंबे समय तक चीनू इस सदमे से बाहर नहीं आ सके और उन्होंने दो बार आत्महत्या के प्रयास भी किए, लेकिन घरवालों के ख्याल ने उन्हें रोक लिया।
इस बुरे दौर से निकलने के बाद चीनू ने शिक्षा देने के काम को अपनी प्रेरणा बनाया। चीनू ने स्कूली बच्चों को पढ़ाना और उनके साथ तमाम गतिविधियां करना शुरू कर दिया। यह सिलसिला सितंबर, 2017 तक जारी रहा। चीनू ने अब अपना सारा वक्त आरना को देने का फैसला लिया।
चीनू कहते हैं कि मुंबई में ही पले-बढ़े लोगों को शायद यह पता होगा कि दादर, कभी बीच के लिए भी प्रसिद्ध था, जो अब हाल में सिर्फ एक कूड़ा फेंकने की जगह बन गया है। गणपति विसर्जन में होने वाली बीच की दुर्दशा ने चीनू को आहत किया और उन्होंने 8-10 लोगों की टीम बनाई और 'सेव द गनेशा' नाम से एक कैंपेन शुरू किया। चीनू की टीम ने लोगों से और बृहन्मुंबई महानगरपालिका से गुजारिश की कि वे यह सुनश्चित करें कि मूर्तियों का विसर्जन ठीक तरह से किया जाए। चीनू को लोगों का सहयोग मिला और यहीं से स्वच्छता के लिए चीनू के मिशन की शुरूआत हुई।
चीनू ने बताया कि दादर बीच में एक टूरिस्ट स्पॉट की बेहतरीन संभावनाएं हैं। जहां एक तरफ आप दादर बीच से वर्ली सीलिंक देख सकते हैं और वहीं दूसरी ओर बांद्रा है। चीनू मानते हैं कि अगर इसे सही तरह से विकसित किया गया तो पर्यटक यहां पर घूमने और फोटो आदि खींचने के लिए बड़ी मात्रा में आ सकते हैं और ऐसे में यहां की स्थानीय अर्थव्यवस्था को बहुत लाभ मिलेगा। आगे की योजनाओं के बारे में बात करते हुए चीनू ने बताया कि वह कॉर्पोरेट इकाईयों से भी बातचीत कर रहे हैं, ताकि फंड की मदद से इलाके में लाइट, टॉयलट, डस्टबिन और प्रबंधन की व्यवस्था की जा सके।
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