शौक ने बनाया सरिता को बेकिंग क्वीन, लॉच किया अपना ब्रॉड ' द बेकर्स नूक '
बचपन के खाना बनाने के शौक ने बनाया सरिथा को बेकिंग एक्सपर्ट...परिवार ने हर कदम पर दिया सरिथा का पूरा साथ...मई 2014 में 'द बेकर्स नूक ' की शुरुआत की...
जिंदगी में शौक का अपना महत्व होता है। कुछ लोग अपने शौक को अहमियत देते हैं तो कुछ नज़रअंदाज कर देते हैं। इसलिए अकसर ये कहा जाता है कि आप चाहें कितने ही व्यस्त हों पर अपने शौकों को मरने न दें। जब भी मौका मिले उन्हें पूरा करें। शौक पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती और शौक पूरा करने से जो आनंद और सुकून इंसान को मिलता है वह अदभुत होता है। सरिता सुब्रमण्यम एक ऐसी ही शख्सियत हैं जिन्होंने जीवन में अपने शौक की अहमियत को समझा और उसे अपने कैरियर के रूप में अपनाकर काफी शौहरत हासिल की। उन्होंने चेन्नई में अपनी कंपनी ' द बेकर्स नूक ' की शुरुआत की और देखते ही देखते सरिता की अपने बेहतरी काम की वजह से अच्छी पहचान बन गई।
बचपन में सरिता और उनके भाई रविवार दोपहर का बेसब्री से इंतजार करते थे। क्योंकि उस दिन उनकी मां उनके पसंद का डेज़र्ट बनाया करती थीं। इसके अलावा फैमली फंक्शन में भी वे लोग केक बनाया करते थे। सरिता बताती हैं कि मां के हाथ का बना केक हर बार उनके लिए उतना ही स्पेशल होता था। जैसे-जैसे वे बड़ी हुईं उन्होंने भी अपनी मां की मदद करनी शुरु की। उस समय किचन एप्लाइंसेज ज्यादा नहीं होते थे इसलिए किसी डिश को बनाने के लिए सभी चीज़ें खुद हाथों से तैयार करनी होती थीें। जिसमें काफी मेहनत व समय लगता था।
सरिता अपनी मां को ही अपने हुनर का श्रेय देती हैं। समय के साथ-साथ सरिता की खाना बनाने में रुचि बढ़ती गई। स्कूल के बाद वे केटरिंग कॉलेज में जाना चाहती थीं लेकिन उस दौरान उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। लेकिन उन्होंने अपने घर पर ही खाना बनाना और खाने के साथ नए-नए एक्सपेरिमेंट करना जारी रखा। कुछ समय बाद उनकी शादी हो गई और उनके दो बच्चे हुए। सरिता के परिवार ने उन्हें उनके इस शौक को लेकर बहुत प्रोत्साहित किया और उनसे कहा कि वे अपने भोजन पकाने के इस शौक को व्यवसायिक रूप में अपनाएं। और इस प्रकार सन 1994 में परिवार के सहयोग से सरिता ने केटरिंग बिजनेस शुरु किया। जिसका नाम 'क्रंच एण्ड मंच' रखा। इसमें वे चाइनीज़ और कॉन्टीनेंटल फूड, केक, कुकीज़ और डेज़र्ट्स बनाकर अपने ग्राहकों को परोसा करती थीं। वे चेन्नई के अन्ना नगर और किलपॉक में काम कर रही थीं। यह ऐसे छोटे शहर थे जहां पर इस तरह का खाना बहुत ज्यादा पापुलर नहीं था। इसी दौरान चेन्नई में केक्स एण्ड बेक्स ने फ्रैश क्रीम केक बाजार में उतारे। जिन्हें लोगों ने हाथों हाथ लिया। इस दौरान वहां की महिलाओं में कुकिंग का क्रेज बढ़ रहा था और वे कुकरी क्लासेज भी लेने में रुचि दिखा रही थीं। सरिता ने पहले बेकिंग क्लासेज लेनी शुरु कीं। देखते ही देखते उनकी क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ती चली गई। वे वहां आसान तरीकों से लोगों को खाना बनाना सिखा रही थीं। सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन सन 1996 में सरिता के पति को नौकरी के सिलसिले में विदेश जाना पड़ा। सरिता भी अपना सारा काम समेटकर पति के साथ विदेश चली गईं। लेकिन सरिता ने वहां भी अपने शौक को बनाए रखा और वहां भी वे अपने परिवार और दोस्तों को नई-नई डिशेज बनाकर खिलाती रहीं। एक दिन फेसबुक ग्रुप में वे 'होम बेकर्स गाइल्ड' ग्रुप से जुड़ी जिनसे उन्हें फिर से बेकिंग की ओर जाने के लिए प्रेरित किया। उनके मन में फिर से बेकिंग से जुड़ा कुछ नया काम करने का मन हुआ। सरिता ने कुछ समय इस विषय पर रिसर्च की, कई किताबें पढ़ीं, नेट खंगाला और जब उन्हें लगा कि अब वे पूरी तरह तैयार हैं तो मई 2014 में 'द बेकर्स नूक' की शुरुआत की। यह सरिता का बहुत बड़ा और साहस से भरा कदम था। क्योंकि वे फिर से अपने शौक को पूरा करना चाहती थीं। इस समय सबसे अच्छी बात यह थी कि अब तक सरिता के बच्चे इतने बड़े हो चुके थे कि अपना ख्याल खुद रख सकते थे।
सरिता का अब तक का सफर काफी संतुष्टि दायक रहा है। सरिथा अब तक चार बेक सेल्स कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुकी हैं। हर कार्यक्रम का उन्हें बहुत अच्छा अनुभव मिला। वहां उन्होंने कई नई चीज़ों को देखा, जाना और सीखा। अपने जैसे कई बेकर्स से मिलीं। सरिथा बताती हैं कि मैं हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करती हूं। क्योंकि बाजार लगातार अपग्रेड हो रहा है। लोगों का टेस्ट भी समय के अनुसार बदलता रहता है। इसलिए जरूरी है कि खुद को अपडेट रखा जाए।
सरिता बेकिंग से जुड़ी कई चीज़ें तैयार करती हैं। जैसे मफिन्स, कुकीज़, पाइज, डेज़र्ट कप, डेज़र्ट जार, रस्टिक, स्फट्ड ब्रेड, बन्स व रोल्स। इनके इन आइटम्स को लोग बहुत पसंद करते हैं और लगातार इनकी मांग और बढ़ती जा रही है।