Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

अपने लिवर की सेहत को दुरुस्‍त रखें और अपनी एनर्जी बढ़ाएं

नियमित जाँच से डॉक्‍टर लिवर की सेहत से जुड़ी समस्‍याओं के शुरूआती संकेतों का पता लगा सकता है और उसी हिसाब से उपचार की सलाह दे सकता है. आपका डॉक्‍टर कई तरीकों से थकान से निपटने में सहायता कर सकता है, जैसे कि आपको ऊर्जा बढ़ाने के लिये नींद का बेहतर वातावरण बनाने की सलाह देकर.

अपने लिवर की सेहत को दुरुस्‍त रखें और अपनी एनर्जी बढ़ाएं

Saturday April 20, 2024 , 5 min Read

वर्ल्‍ड लिवर डे अप्रैल में आता है. यह थोड़ा पीछे मुड़कर यह समझने का सबसे अच्‍छा वक्‍त होता है कि हम जो कुछ भी खाते और पीते हैं, उसे लिवर कैसे प्रोसेस करता है. लिवर कैसे अवांछित पदार्थों को छानता है और शरीर को एनर्जी देता है. लिवर करीब 500 जरूरी काम करता है.


आसान शब्‍दों में कहें, तो लिवर शरीर को चलायमान रखता है. जब लिवर ठीक से काम नहीं करता है, तब शरीर को कठिनाई होती है. लिवर की पुरानी बीमारी वाले लोगों में लिवर जरूरी काम करने के लिये कम सक्षम होता है. ऐसे में वे लक्षण उभर सकते हैं, जो रोजाना की जिन्‍दगी पर असर डालते हैं.


लिवर की पुरानी बीमारी हमारी सोच से ज्‍यादा आम है और इसमें बढ़त भी हो रही है. दुनिया के पाँच में से करीब एक व्‍यक्ति पर इसका असर है. भारत में भी हर पाँच में से एक व्‍यक्ति को यह समस्‍या है. 

ध्‍यान देने योग्‍य संकेत: जोखिम के कारण एवं लक्षण

लिवर की पुरानी बीमारी में बढ़ोतरी ज्‍यादातर नॉन-अल्‍कोहॉलिक फैटी लिवर डिसीज (एनएएफएलडी) के रूप में दिख रही है. यह समस्‍या लिवर में फैट जमने के कारण होती है. एम्‍स के एक अध्‍ययन के मुताबिक भारत में एक-तिहाई से ज्‍यादा वयस्‍कों को फैटी लिवर या नॉन-अल्‍कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज है.


लिवर की बीमारी 100 से ज्‍यादा तरह की होती हैं. यह विभिन्‍न कारणों से हो सकती हैं, जैसे कि वायरस, अनुवांशिक रोग, अल्‍कोहल या हेपैटाइटिस बी वायरस. हालांकि, रुझान यह संकेत देते हैं कि अल्‍कोहल के सेवन में हेपैटाइटिस बी वायरस की जगह लेकर लिवर की बीमारियों का प्रमुख कारण बनने की क्षमता है.


हाई ब्‍लड शुगर लेवल्‍स से भी लिवर को नुकसान पहुंच सकता है. टाइप 2 डायबिटीज से लिवर की बीमारी होने का जोखिम बढ़ जाता है. दूसरी ओर, यदि लिवर ठीक से काम न करे, तो ब्‍लड शुगर लेवल्‍स बढ़ सकते हैं.


वजन कम होना, पसलियों के दाईं ओर दर्द और कमजोरी का अनुभव जैसे संकेत लिवर की सेहत पर ध्‍यान दिलाने के लिये होते हैं. दूसरे लक्षणों में शामिल है पेट में तरल की अधिकता, भूख न लगना, त्‍वचा या आँखों में पीलापन और पैरों या पेट में सूजन.


सबसे आम लक्षणों में से एक है थकान- इसमें काफी थकावट का एहसास होता है और ऊर्जा का स्‍तर कम हो जाता है. हम सभी थकते हैं, लेकिन स्‍थायी थकान आम थकावट से बड़ी बात होती है. दस में से लगभग एक व्‍यक्ति को स्‍थायी थकान होती है. लिवर की समस्‍या वाले लोगों में इसका प्रतिशत बहुत ज्‍यादा होता है. लिवर की समस्‍या वाले लोगों को पूरे दिन ऊर्जा की कमी महसूस होती है, चाहे वे अच्‍छी नींद ले रहे हों. ऐसा लगता है मानो शरीर रिचार्ज होने में समर्थ नहीं है.


लिवर जरूरी मॉलीक्‍यूल्‍स को नियमित करने में सहायक होता है, जैसे कि सेरोटोनिन और डोपामाइन. यह मॉलीक्‍यूल्‍स पूरे शरीर में संकेत भेजते हैं और हमारे एहसास पर असर डालते हैं. जब लिवर ठीक से काम नहीं करता है, तब इन मॉलीक्‍यूल्‍स के काम में बाधा होती है. ऐसे में कम ऊर्जा और थकने का अनुभव हो सकता है.


मैक्‍स हॉस्पिटल्‍स, नई दिल्‍ली के प्रिंसिपल डायरेक्‍टर एवं हेड क्लिनिकल हीपैटोलॉजी डॉ. कौशल मदान ने कहा, ‘‘लिवर की पुरानी बीमारी का लोगों की तंदुरुस्‍ती पर बड़ा असर देखा जा सकता है. इसके कुछ लक्षण स्‍पष्‍ट होते हैं, जैसे कि त्‍वचा या आँखों में पीलापन, जिसे पीलिया भी कहा जाता है. दूसरे लक्षणों में शामिल है लगातार थकान और कमजोरी रहना. यह लक्षण कम स्‍पष्‍ट होते हैं, लेकिन नुकसान पहुँचाने में यह कम नहीं हैं. लिवर की पुरानी बीमारी के मरीजों को अपनी स्थिति समझनी चाहिये. उन्‍हें जीवनशैली के अपने लिये संभव बदलावों के बारे में सोचना चाहिये. उन्‍हें वह उपचार भी करना चाहिये, जो लक्षणों से राहत देने के लिये जरूरी हो सकता है.’’


एबॅट इंडिया के मेडिकल डायरेक्‍टर डॉ. जेजोय करण कुमार ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘‘लिवर की बीमारी का जल्‍दी पता लगाना महत्‍वपूर्ण है, ताकि उसे अच्‍छी तरह संभाला जा सके. नॉल-अल्‍कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के तेजी से बढ़ते मामले देखते हुए भी यह जरूरी है. सही समय पर निदान से उपचार और जीवनशैली में मार्गदर्शन मिल सकता है. इस प्रकार लिवर की बीमारी के मरीज थकान समेत लक्षणों को बेहतर समझकर कदम उठा सकते हैं.’’

लिवर की सेहत को बढ़ाने और शरीर को ऊर्जा देने के लिये यह 7 आसान कदम उठाये जा सकते हैं:

  • पौष्टिक और संपूर्ण आहार लें. अस्‍वास्‍थ्‍यकर वसा वाली चीजें न खाएं, जैसे कि प्रोसेस्‍ड फूड्स. इस तरह आपके लिवर में अतिरिक्‍त वसा जमा नहीं होगी.
  • नमक और शक्‍कर कम करें, क्‍योंकि ज्‍यादा मात्रा में इन्‍हें खाने से आपके लिवर को नुकसान पहुँच सकता है.
  • पर्याप्‍त पानी पियें.
  • कॉफी पीने से भी कुछ तरह की लिवर डिजीज का जोखिम कम करने में मदद मिल सकती है. हालांकि, आपके लिवर के लिये कॉफी की कितनी मात्रा सही है, इसका कोई स्‍पष्‍ट प्रमाण नहीं है. कॉफी को सामान्‍य मात्रा में या डॉक्‍टर से परामर्श के बाद लिया जाना चाहिये.
  • स्‍वस्‍थ वजन बनाये रखें.
  • अल्‍कोहल पीने से बचें, खासकर अगर आपको पहले से लिवर की कोई बीमारी हो.
  • जरूरी कामों में तेजी लाने और प्राथमिकता देने का प्रयास करें- इससे आपको पूरे दिन बेहतर तरीके से एनर्जी मिलती रहेगी और आप थकेंगे नहीं.

नियमित जाँच से डॉक्‍टर लिवर की सेहत से जुड़ी समस्‍याओं के शुरूआती संकेतों का पता लगा सकता है और उसी हिसाब से उपचार की सलाह दे सकता है. आपका डॉक्‍टर कई तरीकों से थकान से निपटने में सहायता कर सकता है, जैसे कि आपको ऊर्जा बढ़ाने के लिये नींद का बेहतर वातावरण बनाने की सलाह देकर.

लिवर का प्रदर्शन सुधारने के लिये कदम उठाकर आप बेहतरीन ढंग से जीवन जीने के लिये फिर से एनर्जी प्राप्‍त कर सकते हैं.