सकारात्मक फैसला: रक्तदान करने पर सरकारी कर्मचारियों को मिलेगी एक्सट्रा छुट्टी
कार्मिक मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि अभी के नियमों के मुताबिक पूरी तरह से रक्तदान के लिए ही छुट्टी की अनुमति दी जाती है। लेकिन अब एफेरेसिस रक्तदान में भी छुट्टी दी जाएगी।
अक्सर लोग यह समझते हैं कि रक्तदान करने से तबियत खराब हो जाती है, संक्रमण होने का खतरा रहता है, खून बनने में वक्त लगता है, रक्तदान की प्रक्रिया तकलीफदेह होती है, लेकिन मेडिकल साइंस की नजर में ये कोरी गलतफहमियां है जिन्हें दूर करने की दरकार है।
रक्तदान के लिए लोगों में जागरूकता लाने के उद्देश्य से सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को अलग से छुट्टी देने का फैसला किया है। यानी कि अब रक्तदान करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त छुट्टी दी जाएगी और उस दिन का वेतन भी उन्हें दिया जाएगा। कार्मिक मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि अभी के नियमों के मुताबिक पूरी तरह से रक्तदान के लिए ही छुट्टी की अनुमति दी जाती है। लेकिन अब एफेरेसिस रक्तदान में भी छुट्टी दी जाएगी। एफेरेसिस के तहत रक्त से प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जैसे अवयवों को निकालकर रक्त को वापस शरीर के अंदर भेज दिया जाता है।
सरकार की ओर से कहा गया है कि ऐसा महसूस किया गया कि नियम में एफेरेसिस रक्तदान को भी शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि इससे प्लेटलेट्स, प्लाज्मा जैसे अवयवों को हासिल करने का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।अब यह निर्णय लिया गया है कि कार्य दिवस पर लाइसेंस प्राप्त रक्त बैंकों में (विशेषकर उस दिन के लिए) रक्त दान या अपेरिसिस (रक्त कोशिकाओं, प्लाज्मा, प्लेटलेट आदि जैसे रक्त घटक) के लिए विशेष कैजुअल छुट्टी दी जा सकती है। ब्लड डोनेशन के वैध सबूत देने पर एक साल में अधिकतम चार बार छुट्टी की अनुमति दी जा सकती है।
भारत में सवा अरब की विशाल आबादी के बावजूद रक्तदान के बारे में लोग जागरूक नहीं हैं। यही वजह है कि जरूरत पड़ने पर समय पर रक्त जुटाना काफी मुश्किल हो जाता है। एक डेटा के मुताबिक जितने ब्लड की हमें जरूरत है उससे 20 से 25 प्रतिशत कम ही रक्त मिल पाता है। रक्तदान करना आज हमारे समाज की जरूरत है और इस बारे में फैसला कर के सरकार ने काफी सराहनीय कदम उठाया है। रक्तदान के बारे में हमारे समाज में कई तरह की भ्रांतियां भी मौजूद हैं जिनसे निपटना भी बेहद जरूरी है।
ऐसा कहा जाता है कि रक्तदान महादान होता है क्योंकि इससे किसी की जान बच जाती है। इसीलिए हर शहर में ब्लड बैंक स्थापित किये जाते हैं और कई सारे संगठनों की तरफ से ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया जाता है। स्वैच्छिक रक्तदान के लिए इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना बहुत जरूरी है। अक्सर लोग यह समझते हैं कि रक्तदान करने से तबियत खराब हो जाती है, संक्रमण होने का खतरा रहता है, खून बनने में वक्त लगता है, रक्तदान की प्रक्रिया तकलीफदेह होती है, एक बार से ज्यादा रक्तदान नहीं किया जा सकता आदि, लेकिन मेडिकल साइंस की नजर में ये कोरी गलतफहमियां है जिन्हें दूर करने की दरकार है।
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