सस्ता, सुंदर और फैशन में जबरदस्त, ओइन्द्रिला की सफलता का मंत्र
ओइन्द्रिला दासगुप्ता की यात्रा- जमशेदपुर से बैंगलोर तक कंपनी ईट.शाॅप.लव ई कॉमर्स नाम से कंपनी बनाईकंपनी बनाने के पहले ही क्वार्टर में एक मिलियन डॉलर की पूंजी इकठ्ठा कीहर दो महीने पर अपने क्लेक्शन को अपग्रेड करती हैं
भारत में ई-काॅमर्स बाजार लगभग 11 बिलियन अमेरिकी डाॅलर का है। इसमें सिर्फ फैशन उद्योग की हिस्सेदारी करीब 599 मिलियन डाॅलर है। हालांकि इस सेक्टर में अनगिनत कंपनियां उतर चुकी हैं, ओइन्द्रिला दास गुप्ता की कंपनी ईट.शाॅप.लव (ईएसएल) ने ई-काॅमर्स ग्राहकों में जैसी पैठ बनाई है, वह सचमुच ही अनूठी है। ओइन्द्रिला कहती है,
"मेरे पास फैशन की कोई डिग्री नहीं है पर नई-नई डिजाइन तैयार का हुनर मुझमें था। मैंने 'वान हसन' जैसे ब्रांडों के विज्ञापन के लिए काम किया था, इससे मुझे फैशन जगत के रूझानों को बहुत नजदीक से देखने-समझने का मौका मिला। अतः अपनी पहली गर्भावस्था के दौरान छुट्टियों में मैंने इस पर काम करना शुरू किया। मैंने लगभग एक साल व्यापक अनुसंधान के बाद अपनी कंपनी ईएसएल आरंभ किया।"
ईएसएल एक आॅनलाइन फैशन ब्रांड कंपनी है। यह कंपनी चालू फैशन से अलग चाह रखनेवाली महिलाओं के लिए हर दो माह पर अपने क्लेक्शन को अपग्रेड करती है।
ओइन्द्रिला का जन्म जमशेदपुर, झारखंड में हुआ। वह वहीं पलीं-बढ़ीं। उनकी शिक्षा प्रसिद्ध संस्थाओं में हुई, इससे उन्हें एक कुशाग्र महिला के रूप में ढलने में काफी मदद मिली। मीडिया स्नातक ओइन्द्रिला ने राष्ट्रीय दैनिक 'द हिन्दू' में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया। उसके बाद थोड़े समय के लिए वह फेमिना से जुड़ गईं। यहां उन्हें फैशन ब्रांडों को परत दर परत समझने का अवसर मिला। जेडब्ल्यूटी में शामिल होने के बाद उनके करियर में एक बड़ा परिवर्तन आया। वह फैशन ब्रांडों से और भी वाकिफ हुई। लगातार विकसित हो रहे और चमकदार फैशन उद्योग से प्रेरित होकर उन्होंने खुद अपना एक ब्रांड स्थापित करने का फैसला किया।
ओइन्द्रिला एक उद्यमी तो हैं ही, वह दो बच्चों की मां और होममेकर भी हैं। फेमिना और जेडब्ल्यूटी में काम करने के दौरान उन्हें पता चला कि उम्दा और कीमती, साथ ही औसत और सस्ता फैशन ब्रांड में भारी अंतर है। ओइन्द्रिला ने इस अंतर को पाटने की कोशिश की और ग्राहकों को सस्ती कीमतों पर फैशन ब्रांड उपलब्ध कराया। आॅनलाइन फैशन ब्रांड खड़ा करने और इस सेक्टर की इकॉनोमी को समझने के लिए उन्होंने आइआइएम बैंगलोर से सोशल मीडिया मार्केटिंग का कोर्स किया।
साल 2014 में स्थापित ईएसएल का नामकरण जूलिया राबर्ट की फिल्म ‘ईट.प्रे.लव’ से प्रेरित है। इसकी छाप ओइन्द्रिला पर है। इस फिल्म की मुख्य किरदार एलिजाबेथ गिल्बर्ट की कहानी के सुखद अहसास और सुकून ओइन्द्रिला में प्रतिबिम्बत होते हैं। एक आॅनलाइन ब्रांड स्टोर के तौर पर ईएसएल कपड़ों, गहनों और जूतों का एक बेहतरीन कलेक्शन बाजार में पेश करती है। यह कंपनी भारत में तमाम क्षेत्रों की उन महिलाओं एवं युवतियों पर फोकस करती है जो परंपरा से इतर फैशन की आकांक्षी हैं। इसने अक्तूबर 2014 में अपने पहले चक्र में ही एक मिलियन डॉलर से अधिक बेंचर पूंजी इकट्ठा की। चूंकि पोर्टल पर इसके कलेक्शन दो महीने तक ही उपलब्ध रहते हैं और इसके प्रोड्क्ट्स की क्वालिटी तेजी से बदलती रहती है फिर भी ये सस्ता बने रहते हैं।
ओइन्द्रिला कहती हैं,
"बाजार में हमारे फैशन प्रोडक्ट्स कत्तई ऐसे नहीं होंगे जो अनेक लोग पहले ही पहनकर घूम रहे होते हैं। हम हमेशा एक ऐसा आॅनलाइन फैशन ब्रांड बने रहेंगे जो विशिष्ट खरीदारों को बेहतरीन और एक्सक्लूसिव परिधान मुहैया कराता है।"
बकौल ओइन्द्रिला, सफलता शाॅर्टकट रास्ते से नहीं मिलती, कठोर मेहनत ही एक मात्र रास्ता है। "हम सबों को चाहे-अनचाहे अलग-अलग स्तरों पर समझौते करने पड़ते हैं और कुर्बानी देनी पड़ती है। मैं मानती हूं कि हरेक चीज की वजह होती है और देर-सबेर आप अपने लक्ष्य प्राप्त कर लेते हैं। ईमानदारी से काम करें, आपको निश्चय ही इसका पुरस्कार मिलेगा।"
ओइन्द्रिला का मानना है कि बिजनेस के लिए फंड उगाही सुनिश्चित करना और आगे के लिए इसकी योजना बनाना बहुत जरूरी है। बेंचर पूंजी इकट्ठा करने के दौरान ऐसे सवाल पूछे जाएंगे कि आप अपने परिवार के साथ नई कंपनी को कैसे संभालेंगे। इसका पूरी जिम्ममेदारी और तत्परता के साथ उत्तर देना होगा। अंत में वह कहती है
"मैं अपनी सबसे बड़ी आलोचक हूं। अपना लगातार मूल्यांकन करती रहती हूं। चाहे कलेक्शन का मामला हो या कैम्पेन का, मैं महसूस करती हूं कि मैं बेहतर कर सकती हूं। एक कलेक्शन को बाजार में उतारने के बाद मैं अगले कलेक्शन को बेहतर और इसके लांच को रोचक बनाने में जुट जाती हूं।"