शहर को हरा-भरा रखने के साथ ही प्रदूषण को नियंत्रित करेंगे पुणे मेट्रो के खंभों पर बने 'वर्टिकल गार्डन'
महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की एक सकारात्मक पहल...
इन दिनों महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन पुणे में मेट्रो रेल कनेक्टिविटी को बेहतर बना रहा है। पहले प्रॉजेक्ट के तहत पिंपरी-चिंचवाड़ से स्वारगेट तक 16.6 किलोमीटर और वनाज से रामवाड़ी के 14.7 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर काम चालू है।
इन खंभों के गार्डन में बदल जाने के बाद ये शहर की सुंदरता तो बढ़ाएंगे ही साथ ही गाड़ियों से निकलने वाले जहरीले धुएं को भी अवशोषित करेंगे। इससे हवा को स्वच्छ रखने में कुछ मदद भी मिलेगी।
जैसे-जैसे हमारे शहरों का बोझ बढ़ता जा रहा है, वैसे ही शहर का पर्यावरण भी दिन ब दिन प्रदूषित होता जा रहा है। शहरों में इतनी गाड़ियां हो गई हैं कि उनसे निकलने वाले धुएं को अवशोषित करने के लिए पेड़ पौधे नाकाफी हैं। यह धुआं पर्यावरण और जीवन के लिए घातक है। इस प्रदूषण को कम करने के लिए सरकारें और प्रशासन के अलावा कुछ सामाजिक संगठन भी काम कर रहे हैं। पुणे में शहर को हरा-भरा बनाने के लिए मेट्रो के खंभों को गार्डन के रूप में तब्दील किया जा रहा है।
इन दिनों महाराष्ट्र मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन पुणे में मेट्रो रेल कनेक्टिविटी को बेहतर बना रहा है। पहले प्रॉजेक्ट के तहत पिंपरी-चिंचवाड़ से स्वारगेट तक 16.6 किलोमीटर और वनाज से रामवाड़ी के 14.7 किलोमीटर लंबे कॉरिडोर पर काम चालू है। इन दोनों लाइनों के शुरू हो जाने के बाद शहरवासियों को परिवहन दी दृष्टि से काफी राहत मिलने वाली है। लेकिन सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बना देने से काम नहीं चलता। पर्यावरण को बचाना भी उतना ही जरूरी होता है। इसीलिए मेट्रो के अधिकारियों ने इसे हरा-भरा बनाने का फैसला किया है। मेट्रो के खंभों को इस्तेमाल किया जा रहा है और उसे गार्डन के रूप में बदला जा रहा है।
इस तरह से मेट्रो के ये खंभे एक साथ दो तरीके से काम आएंगे। इन खंभों के गार्डन में बदल जाने के बाद ये शहर की सुंदरता तो बढ़ाएंगे ही साथ ही गाड़ियों से निकलने वाले जहरीले धुएं को भी अवशोषित करेंगे। इससे हवा को स्वच्छ रखने में कुछ मदद भी मिलेगी। इसके अलावा पुणे में पहले से ही साइकिल शेयरिंग सुविधा चल रही है। इसके तहत लोग एक ऐप के जरिए साइकिल को किराए पर ले सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए महा मेट्रो के मैनेजिंग डायरेक्टर ने मेट्रो पिलर्स को गार्डन के रूप में बदले जाने के बारे में बात की।
उन्होंने बतााया कि महा मेट्रो पहले ही नागपुर में ऐसे गार्डन तैयार कर चुकी है। उन्होंने कहा, 'नागपुर का हमारा अभियान सफल रहा, उसके बाद हमने इसे पुणे में लागू करने की योजना बनाई। इन गार्डनों में ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पानी डाला जाएगा और उसे बार-बार इस्तेमाल किया जाएगा। कुछ जगहों पर हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि मेट्रो ने इस योजना को सफल बनाने के सारे इंतजाम कर लिए हैं। हालांकि शहर के प्रतिष्ठित इंजिनियरिंग कॉलेज के पास फ्लाइओवर के खंभों में पहले से ही ऐसे वर्टिकल गार्डन तैयार किए जा चुके हैं।
पुणे में मेट्रो की सेवा शुरू हो जाने के बाद शहर के ट्रैफिक में काफी सुधार होने की संभावनाएं जताई जा रही है। इससे यात्रा सुगम होने के साथ ही किफायती हो जाएगी। गाड़ियों से निकलने वाले जहरीले धुएं में भी कुछ गिरावट होने की संभावना है। पुणे में वर्टिकल गार्डन तैयार करने की कोशिश देश में नई नहीं है। इसके पहले कोच्चि और बेंगलुरु जैसे शहरों में पहले ही इसे आजमाया जा चुका है। विदेशों में सिंगापुर, मैड्रिड, पेरिस जैसे कुछ महत्वपूर्ण शहरों में भी वर्टिकल गार्डन सफल तरीके से प्रदूषण पर नियंत्रण रख रहे हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि पुणे में इस सकारात्मक पहल का असर जरूर दिखेगा।
यह भी पढ़ें: 16 सालों की इन्फ़ोसिस की नौकरी छोड़ खेती करने लगा यह इंजीनियर