दृष्टिहीनों की दुनिया को सुगंधित करने वाला बगीचा
छूकर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा..किशोर कुमार की आवाज़ में आज भी यह गीत जब बजता है तो लोग झूम उठते हैं। केरल के कालिकट विश्वविद्यालय ने नेत्रहीनों के लिए ऐसा ही एक पार्क बनाया है, जिसमें पौधों की सुंगंध और छूकर उन्हें महसूस करने से दृष्टिहीन लोगों को कुछ देर के लिए नयी दुनिया का एहसास होता है।
देश में दृष्टिहीन लोगों के लिए अपनी तरह का पहला स्पर्श से महसूस करने वाले बगीचे का केरल विधानसभा अध्यक्ष पी. श्रीरामकृष्णन द्वारा उद्घाटन किया गया। यह बगीचा कालीकट विश्वविद्यालय में बनाया गया है।
इस बगीचे में करीब 70 सुगंधित, चिकित्सीय लाभ वाले और हर्बल पौधे हैं, जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से लाया गया है। इस बगीचे में दृष्टिहीन लोगों को न केवल छूकर, सूंघकर और महसूस कर, बल्कि आडियो इनपुट के जरिए इन पौधों का अध्ययन करने का अवसर मिलेगा।
बगीचे को इस तरह से व्यवस्थित किया गया है कि दृष्टिहीन लोग मुक्त भाव से घूम सकते हैं। इसे पर्यावरण मंत्रालय से 17 लाख रुपये की सहायता से एक साल में तैयार किया गया है।
कालीकट विश्वविद्यालय की कोशिश काफी सराहनीय है। विश्वविद्यालय में यह काम देख रहे प्रो. साबु के अनुसार, इस बगीचे का निर्माण विशेष रूप से देखने की चुनौती का सामना करने वाले विद्यार्थियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया गया है। विशेषकर नीम, अरुता, मिंट, पुदिना, तथा मीठे पत्तों के पौधे अपनी सुगंध से लोगों को प्रभावित करते हैं।
पौधों के बीच चलने के लिए सुविधाजनक पाँव रास्ते बनाए गये हैं। कुलपति के. मुहम्मद बशीर के अनुसार, इस बगीचे में टेक्नोलोजी के सहयोग से कई और सुविधाएँ स्थापित की जाएँगी। यह बगीचा विश्वविद्यालय के लिए गौरवनीय संपदा होगी।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय जैव विविधता शोध संस्थान लखनऊ में भी नेत्रहीनों के लिए एक पार्क है, लेकिन कालीकट विश्वविद्यालय में स्थापित यह बगीचा उस बगीचे से काफी बड़ा है। - (पीटीआई से सहयोग के साथ)