आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23: ECLGS ने छोटे उद्यमों को वित्तीय संकट से बचाया
भारत में छह करोड़ से अधिक MSME हैं, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 35 प्रतिशत का योगदान करते हैं.
इमरजेंसी क्रेडिट लिंक्ड गारंटी स्कीम (ECLGS) ने भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को वित्तीय संकट से बचाया है. यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 (Economic Survey) में कही गई. इकनॉमिक सर्वे को मंगलवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने संसद में पेश किया. सर्वे में कहा गया है कि उल्लेखनीय रूप से उच्च क्रेडिट ग्रोथ द्वारा सपोर्टेड MSME यूनिट्स की क्विक रिकवरी, उनकी ओर से भुगतान किए गए जीएसटी में वृद्धि के रूप में दिखी.
भारत में छह करोड़ से अधिक MSME हैं, जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 35 प्रतिशत का योगदान करते हैं. साथ ही विभिन्न सेक्टर्स और उद्योगों में करीब 12 करोड़ श्रमिकों को रोजगार देते हैं.
वित्त वर्ष 2020-21 में हुई थी घोषित
सरकार का कहना है कि वित्त वर्ष 2020-21 में घोषित की गई ईसीएलजीएस, जो एमएसएमई को वित्तीय संकट से बचाने में सफल रही. इकनॉमिक सर्वे के अनुसार, 'एमएसएमई सेक्टर में ऋण वृद्धि जनवरी-नवंबर 2022 के दौरान औसतन 30.6 प्रतिशत से अधिक रही, जो कि उल्लेखनीय रूप से उच्च है. यह एक्सटेंडेड ईसीएलजीएस द्वारा समर्थित रही.' सर्वे में कहा गया है, "एमएसएमई की रिकवरी तेजी से आगे बढ़ रही है, जैसा कि उनके द्वारा दिए जाने वाले जीएसटी के अमाउंट से स्पष्ट है, जबकि ईसीएलजीएस उनकी ऋण सेवा संबंधी चिंताओं को दूर कर रही है."
ECLGS के बॉरोअर्स में से 83%, माइक्रो एंटरप्राइजेस
CIBIL की एक हालिया रिपोर्ट (ECLGS इनसाइट्स, अगस्त 2022) का हवाला देते हुए सर्वे में कहा गया है कि इस योजना ने एमएसएमई को कोविड के झटके का सामना करने में मदद की है. ECLGS का फायदा लेने वाले कुल बॉरोअर्स में से 83 प्रतिशत, माइक्रो एंटरप्राइजेस हैं. इन माइक्रो यूनिट्स में आधे से अधिक ने 10 लाख रुपये से भी कम राशि का कर्ज लिया. इसके अलावा, CIBIL के आंकड़ों से यह भी पता चला है कि ECLGS बॉरोअर्स के नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स, उन उद्यमों की तुलना में कम थे जो ECLGS के लिए पात्र थे, लेकिन इसका लाभ नहीं उठाया. सर्वे में कहा गया कि MSMEs द्वारा भुगतान किया गया GST, FY21 में गिरावट के बाद से बढ़ रहा है और अब FY20 के पूर्व-कोविड स्तर को पार कर गया है.
Edited by Ritika Singh