ED ने चीनी लोन ऐप मामले में जब्त किए 78 करोड़ रुपये; Razorpay का इनकार
प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate - ED) ने शुक्रवार को कहा कि उसने कथित तौर पर चीनी नागरिकों द्वारा चलाए जा रहे लोन ऐप्स के अवैध संचालन के खिलाफ चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत पेमेंट गेटवे कंपनी
और कुछ बैंकों के परिसरों की तलाशी के बाद 78 करोड़ रुपये की ताजा जमा राशि को फ्रीज कर दिया है.ईडी ने कहा कि 19 अक्टूबर को बेंगलुरु में पांच परिसरों पर छापेमारी की गई.
रेजरपे ने कहा कि उसने एजेंसी के साथ सहयोग किया और उसके धन को जब्त नहीं किया गया.
रेजरपे के प्रवक्ता ने कहा, "हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि ईडी की यह हालिया छापेमारी कुछ संदिग्ध संस्थाओं के खिलाफ चल रही जांच का हिस्सा है, जिन्होंने कई पेमेंट गेटवे / बैंकों के जरिए अवैध कारोबार किया था. हमने लगभग 1.5 साल पहले उन सभी संदिग्ध संस्थाओं और उनसे जुड़े फंड्स को ब्लॉक कर दिया था. और हमने कई बार ईडी के साथ उनकी डिटेल्स शेयर की है."
उन्होंने कहा, "एक विनियमित वित्तीय संस्थान होने के नाते, हम नियमित रूप से कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ सहयोग करते हैं और जांच प्रक्रिया में सहायता के लिए मर्चेंट के बारे में जरूरी जानकारी मुहैया कराते हैं. इन छापेमारियों के हिस्से के रूप में रेजरपे से कोई धन जमा नहीं किया गया था. हम दोहराना चाहते हैं कि हमारा कामकाज और ऑनबोर्डिंग प्रक्रियाएं शासन और नियामक दिशानिर्देशों के उच्चतम मानकों का पालन करती है."
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बेंगलुरु पुलिस के साइबर अपराध पुलिस स्टेशन द्वारा कई संस्थाओं / व्यक्तियों के खिलाफ दायर की गई 18 FIR से शुरू हुआ है, जो जनता के साथ जबरन वसूली और उत्पीड़न में शामिल हैं, जिन्होंने उनके द्वारा चलाए जा रहे मोबाइल ऐप के माध्यम से छोटा लोन लिया था.
वहीं, ईडी ने कहा, "इन संस्थाओं को चीनी नागरिकों द्वारा नियंत्रित / संचालित किया जाता है. इन संस्थाओं का काम करने का तरीका भारतीयों के जाली दस्तावेजों का उपयोग करना और उन्हें डमी निदेशक बनाना और अपराध की आय उत्पन्न करना है. यह ध्यान में आया है कि उक्त संस्थाएं संदिग्ध / अवैध काम कर रही थीं. ये संस्थाएं पेमेंट गेटवे और बैंकों के पास विभिन्न मर्चेंट आईडी / खातों के जरिए ट्रेडिंग कर रही थी."
ये संस्थाएं पेमेंट गेटवे और बैंकों के पास विभिन्न मर्चेंट आईडी/खातों के माध्यम से "अपराध की आय" उत्पन्न कर रही थीं और उन्होंने केवाईसी दस्तावेजों में नकली पते जमा किए हैं.
ईडी ने कहा, "इन चीनी व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित संस्थाओं के मर्चेंट आईडी (पेमेंट गेटवे में रखे गए) और बैंक खातों में 78 करोड़ रुपये की राशि जब्त की गई है. मामले में अब तक कुल 95 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं."
एजेंसी ने इससे पहले इसी मामले में 17 करोड़ रुपये की जमा राशि जब्त की थी.
एजेंसी ने कहा कि रेजरपे प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों और कुछ बैंकों के अनुपालन कार्यालयों में नए सिरे से तलाशी ली गई.
देश में COVID-19 का प्रकोप शुरू होने के तुरंत बाद, ये पेमेंट गेटवे फर्म 2020 से ईडी के निशाने पर हैं.
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act - PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत जांच शुरू की, जब विभिन्न राज्यों में भोले-भाले कर्जदारों द्वारा अपनी जान देने के कई मामले सामने आए. पुलिस ने कहा कि उन्हें जबरन और परेशान किया जा रहा है. लोन ऐप (एप्लिकेशन) कंपनियां अपने फोन में उपलब्ध अपने व्यक्तिगत विवरण को सार्वजनिक करके और उन्हें धमकाने के लिए उच्च-स्तरीय तरीकों का उपयोग करती हैं.
यह आरोप लगाया गया था कि कंपनियों ने इन ऐप्स को अपने फोन पर डाउनलोड करने के समय लोन लेने वालों के सभी व्यक्तिगत डेटा को सोर्स किया, भले ही उनकी ब्याज दरें "अधिक" थीं.
ईडी ने कहा था कि इस मामले में अपराध की कथित आय इन पेमेंट गेटवे के माध्यम से भेजी गई थी.
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Edited by रविकांत पारीक