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Paytm, Razorpay और Cashfree पर ईडी की रेड को लेकर क्या कहती है कंपनियां, क्या है पूरा मामला?

ईडी ने छापेमारी के दौरान मर्चेंट आईडी और चीन के लोगों की ओर से नियंत्रित संस्थाओं के बैंक अकाउंट्स में रखे 17 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. एजेंसी की ओर से कहा गया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की जा रही है.

हाल ही में बीते शनिवार को प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate - ED) ने बेंगलुरु में कई ठिकानों पर छापेमारी की है. यह छापेमारी चीन की लोन देने वाली ऐप्स (Chinese Loan App) मामले से जुड़ी जांच को लेकर हुई. ईडी ने बताया कि Razorpay, Cashfree Payments, Paytmऔर चीनी व्यक्तियों द्वारा नियंत्रित और संचालित संस्थाओं के परिसरों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया. प्रवर्तन निदेशालय ने इस मामले में कई खुलासे किए हैं. 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने छापेमारी के दौरान मर्चेंट आईडी और चीन के लोगों की ओर से नियंत्रित संस्थाओं के बैंक अकाउंट्स में रखे 17 करोड़ रुपये जब्त किए हैं. एजेंसी की ओर से कहा गया कि यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 के तहत की जा रही है.

क्या है पूरा मामला?

ईडी ने कहा कि यह छापेमारी बेंगलुरु पुलिस साइबर क्राइम स्टेशन द्वारा दर्ज की गई करीब 18 एफआईआर से जुड़ी है. इन एफआईआर में आरोप है कि कई ऑर्गेनाइजेशन या अन्य लोगों द्वारा मोबाइल फोन ऐप के जरिए थोड़ी रकम का लोन दिया गया और फिर बाद में उन्हें प्रताड़ित किया गया. एजेंसी ने यह भी बताया कि ये कंपनियां गैरकानूनी तरीके से काम कर रही थीं. इनमें से अधिकतर चीनी एप्स हैं. ईडी इसमें मनी लॉन्ड्रिंग की संभावनाओं को लेकर जांच कर रही है.

ईडी के अनुसार इन संस्थाओं के काम करने का तरीका यह है कि वे भारतीय नागरिकों के जाली दस्तावेजों का उपयोग कर उन्हें डमी निदेशक बनाकर अवैध आमदनी अर्जित कर रहे हैं. ईडी ने कहा है कि इन संस्थाओं को चीन के लोगों की ओर से नियंत्रित किया जाता है.

ईडी के अनुसार ये संस्थाएं विभिन्न मर्चेंट आईडी व खातों के माध्यम से अवैध आय अर्जित कर रहीं थीं. ईडी ने यह भी कहा है कि जांच के दौरान पता चला है कि ये संस्थाएं कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की वेबसाइट पर दिए गए रजिस्टर्ड एड्रेस से भी काम नहीं कर रही हैं. वे नकली पते (fake address) से ऑपरेट कर रही हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लगभग 365 लोन ऐप्स और उनके साथ पार्टनरशिप करने वाली नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFCs) की मनी लॉन्ड्रिंग जांच की गई है. जिसमें ईडी ने कथित तौर पर माना है कि इस कारोबार में अपराध की आय का लगभग 800 करोड़ रुपये लगा हुआ है.

गौरतलब हो कि इससे पहले ईडी ने क्रिप्टो एक्सचेंज WazirX पर कार्रवाई करते हुए 64.67 करोड़ रुपये फ्रीज कर दिए थे. कंपनी की ये रकम बैंक खातों में जमा थी, जिसे फ्रीज कर दिया गया था.

ईडी ने बीते अगस्त महीने के आखिरी हफ्ते में CoinSwitch के पांच परिसरों पर छापा मारा था. ऐजेंसी इसे भी लोन ऐप से जोड़कर जांच कर रही है.

क्या कहती है कंपनियां?

वहीं, इन कंपनियों ने बयान जारी कर मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. Razorpay ने एक बयान में इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अधिकारी कंपनी की उचित परिश्रम प्रक्रिया से संतुष्ट थे.

बयान में आगे कहा गया है, "हमारे कुछ मर्चेंट्स की करीब डेढ़ साल पहले ईडी द्वारा जांच की जा रही थी. चल रही जांच के हिस्से के रूप में, अधिकारियों ने जांच में मदद करने के लिए अतिरिक्त जानकारी का अनुरोध किया. हमने KYC और दूसरी जानकारी को पूरी तरह से सहयोग और साझा किया है."

रविवार को, Cashfree Payments ने एक बयान जारी कर कहा, "हमने ईडी के संचालन के लिए अपने परिश्रमी सहयोग को बढ़ाया. उन्हें पूछताछ के उसी दिन आवश्यक जानकारी दे दी गई. हमारे संचालन और ऑन-बोर्डिंग प्रक्रियाएं PMLA और KYC निर्देशों का पालन करती हैं. और हम ऐसा करना जारी रखेंगे."

इसी कड़ी में Paytm की पैरेंट कंपनी One97 Communications ने रविवार को उन मर्चेंट्स के साथ किसी भी तरह के संबंध से इनकार किया जो चीनी लोन ऐप मामले में ईडी के दायरे में हैं.

पेटीएम ने कहा कि ईडी द्वारा जमा किया गया कोई भी फंड उसका या उसकी किसी समूह फर्म का नहीं है.

पेटीएम ने एक नियामक फाइलिंग में कहा, "मर्चेंट्स की चल रही जांच के एक हिस्से के रूप में, ईडी ने ऐसे मर्चेंट्स के बारे में जानकारी मांगी है जिन्हें हम पेमेंट प्रोसेसिंग सॉल्यूशन प्रोवाइड करते हैं. हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि ये मर्चेंट्स स्वतंत्र संस्थाएं हैं, और उनमें से कोई भी हमारी समूह संस्था नहीं है."

पेटीएम ने आगे यह भी कहा कि वह अधिकारियों के साथ पूरी तरह से सहयोग कर रही है, और सभी निर्देशात्मक कार्यों का विधिवत पालन किया जा रहा है.

ईडी की छापेमारी के आंकड़े

जुलाई महीने में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्य सभा में एक प्रश्न का जवाब देते हुए बताया कि पिछले आठ सालों [2014-2022] में ईडी ने 3010 छापे मारे हैं. उसके मुक़ाबले 2004-2014 के बीच 112 छापे मारे गए थे. पिछले आठ सालों में 99,356 करोड़ रुपए की सम्पत्ति अटैच की गयी है जबकि 2004-2014 के बीच 5,346 करोड़ रुपये की सम्पत्ति ज़ब्त की गयी थी.

क्या है ईडी, कैसे काम करता है?

एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में आने वाली संस्था है. ईडी वित्तीय रूप से किए गए गैरकानूनी कामों जैसे मनी लॉड्रिंग और फॉरेन एक्सचेंज वायलेशन की छानबीन करती है. विदेश में कर चोरी करके भेजे गए पैसे, वहाँ बनायी गयी सम्पत्ति इसके काम के दायरे में आते हैं. इसका मुख्यालय दिल्ली में है और देश के अलग-अलग शहरों में इसके जोनल ऑफिस हैं. ईडी के पास मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपियों के खिलाफ जब्ती और गिरफ्तारी के अधिकार हैं. एक जांच अधिकारी के सामने भी दिया गया बयान कोर्ट में सबूत माना जाता है. ईडी की गिरफ्तारी में जमानत मिलना मुश्किल होता है. PMLA मामलों में ईडी तीन साल तक आरोपी की जमानत रोक सकती है.

क्योंकि ईडी को आर्थिक अपराधों के लिए राजनेताओं या सरकारी अधिकारियों को तलब करने की खातिर सरकार की हरी झंडी की जरूरत नहीं पड़ती इसीलिए इसके एक्‍शन की टाइमिंग पर खूब सवाल उठते हैं. विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि ईडी को महत्‍वपूर्ण चुनावों से पहले विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है.

क्या है PMLA एक्ट 2002?

धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 (Prevention of Money Laundering Act - PMLA) को मनीलॉन्ड्रिंग को रोकने या मामले में शामिल अवैध संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया. PMLA के तहत ईडी को संपत्ति जब्त करने, छापा मारने और गिरफ्तारी का अधिकार मिला है. ईडी की ताकत अंदाजा इससे भी लगा सकते हैं कि एजेंसी पूछताछ के बिना भी संपत्ति जब्त कर सकती है. गिरफ्तारी के समय ईडी कारण बता भी सकती है, नहीं भी बता सकती है.