ईडी ने IAS पूजा सिंघल के ठिकाने पर की छापेमारी, 3 करोड़ रुपये जब्त

ईडी ने झारखंड में छापे के दौरान आईएएस पूजा सिंघल के खिलाफ PMLA मामले में 3 करोड़ रुपये जब्त किए हैं.

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी पूजा सिंघल (IAS Pooja Singhal) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छापेमारी के दौरान ₹3 करोड़ नकद जब्त किए. झारखंड के हजारीबाग जिले में एक ठिकाने पर ये छापेमारी की गई.

सिंघल ने फरवरी में विशेष पीएमएलए (PMLA) अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया था. उसी समय सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित अधिकारी को दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी ताकि वह अपनी बीमार बेटी की देखभाल कर सके.

ईडी के अधिकारियों ने बताया कि मोहम्मद ई अंसारी के रूप में पहचाने गए एक व्यक्ति के ठिकाने से बड़े पैमाने पर ₹500 और कुछ ₹2,000 के नोटों में नकदी की गड्डी जब्त की गई थी.

2000 बैच की आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को मनरेगा योजना में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 11 मई को प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ्तार किया था.

पिछले साल दिसंबर में ईडी ने जेल में बंद आईएएस अधिकारी से जुड़ी ₹82.77 करोड़ की अचल संपत्ति कुर्क की थी.

झारखंड के खनन सचिव को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में मई 2022 में गिरफ्तार किया गया था. ईडी ने 6 मई को झारखंड और कुछ अन्य स्थानों पर आईएएस अधिकारी, उनके व्यवसायी पति अभिषेक झा और अन्य के खिलाफ छापेमारी की थी.

क्या है पूरा मामला?

सिंघल और अन्य के खिलाफ ईडी की जांच एक मनी-लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित है, जिसमें झारखंड सरकार के पूर्व जूनियर इंजीनियर राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को एजेंसी द्वारा 17 जून 2020 को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किया गया था.

सिन्हा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की आपराधिक धाराओं के तहत धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार से संबंधित आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करते हुए सार्वजनिक धन की कथित रूप से धोखाधड़ी करने और इसे अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर निवेश करने का आरोप लगाया गया था. 1 अप्रैल 2008 से 21 मार्च 2011 में उन्होंने इसे अंजाम दिया था.

एजेंसी ने पहले कहा था कि उक्त धन खूंटी जिले में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत सरकारी परियोजनाओं के निष्पादन के लिए निर्धारित किया गया था.

सिन्हा ने ईडी को बताया कि "उन्होंने जिला प्रशासन को पांच प्रतिशत कमीशन (धोखाधड़ी की गई धनराशि में से) का भुगतान किया."

इस अवधि के दौरान, ईडी ने आरोप लगाया था, सिंघल के खिलाफ "अनियमितताओं" के आरोप लगाए गए थे, जबकि उन्होंने 2007 और 2013 के बीच चतरा, खूंटी और पलामू के उपायुक्त/जिला मजिस्ट्रेट के रूप में कार्य किया था.

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