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भारतीय मूल के अमेरिकी ने अपने गांव में गरीब बच्चों के लिए खड़े किए शिक्षण संस्थान

भारतीय मूल के अमेरिकी ने अपने गांव में गरीब बच्चों के लिए खड़े किए शिक्षण संस्थान

Thursday September 06, 2018 , 5 min Read

सहारनपुर जिले के रामपुर मनिहारन गांव में वैसे कुछ खास विकास नहीं हुआ है। लेकिन यहां इतने सारे शिक्षण संस्थान खुल गए हैं कि अब इस गांव को हर कोई जानता है। कौन है इन शिक्षण संस्थानों के पीछे, आईये जानें...

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विनोद गुप्ता अपने ही नाम से एक चैरिटेबल फाउंडेशन चलाते हैं। उनका मकसद अपने गांव के बच्चों को शिक्षित बनाना है। खासतौर पर वे ग्रामीण लड़कियों का भविष्य संवारना चाहते हैं। 

सहारनपुर जिले के एक छोटे से गांव में पैदा हुए विनोद गुप्ता आज अमेरिकी उद्योगपति हैं। लेकिन वे अपनी जड़ों को नहीं भूले हैं, तभी तो उन्होंने अपने गांव के गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों को लिए कई सारे शिक्षण संस्थान खोल दिए। सहारनपुर जिले के रामपुर मनिहारन गांव में वैसे कुछ खास विकास नहीं हुआ है। लेकिन यहां इतने सारे शिक्षण संस्थान खुल गए हैं कि अब इस गांव को हर कोई जानता है। लगभग 22,000 की आबादी वाले कस्बे में हिलेरी रोडम क्लिंटन नर्सिंग स्कूल चलता है जिसका उद्घाटन हाल ही में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और उनकी पत्नी हिलेरी क्लिंटन ने किया।

विनोद गुप्ता अपने ही नाम से एक चैरिटेबल फाउंडेशन चलाते हैं। उनका मकसद अपने गांव के बच्चों को शिक्षित बनाना है। खासतौर पर वे ग्रामीण लड़कियों का भविष्य संवारना चाहते हैं। 72 वर्षीय विनोद कहते हैं, 'अगर शिक्षा से एक लड़की की जिंदगी में बदलाव आता है तो वह तीन परिवारों की जिंदगी संवारती है- एक अपनी दूसरी जिस परिवार में उसकी शादी होती है, तीसरी जिसे वह खुद बनाती है। यह पहल सही दिशा में हो रही है।'

अमेरिका में बिग डेटा और मार्केटिंग सर्विस प्रदान करने वाली कंपनी इन्फोग्रुप के संस्थापक और पूर्व सीईओ विनोद ने अपने समाज सेवा से जुड़े कामों के लिए लगभग 50 करोड़ डॉलर रुपये दान किए हैं। उन्होंने एक बैंक से सिर्फ 100 डॉलर का लोन लेकर अपनी कंपनी की शुरुआत की थी। आज उनकी कंपनी में 5,000 लोग काम कर रहे हैं और उनका सालाना रेवेन्यू लगभग 7,500 करोड़ डॉलर का है। उनके नेतृत्व में इन्फोग्रुप कंपनी ने 45 और कंपनियों का अधिग्रहण किया और उसे 2010 में 6,080 करोड़ डॉलर में बेच दिया।

विनोद गुप्ता की शुरुआत एक छोटे से कस्बे से हुई थी। जहां वे पले बढ़े वहां बिजली, पानी और शौचालय जैसी मूल भूत जरूरतें पूरी करने के साधन भी नहीं थे। लेकिन शुरू से ही पढ़ने में मेधावी रहे विनोद का चयन आईआईटी खड़गपुर में हुआ और वहां से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। यह 1967 की बात है जब वे आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए। उन्होंने यूनिवर्सिटी ञफ नेबार्स्का से एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग एंड बिजनेस में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्हें कमॉडोर कॉर्पोरेशन में मार्केटिंग रिसर्च एनालिस्ट के पद पर नौकरी मिल गई।

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ विनोद गुप्ता

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के साथ विनोद गुप्ता


1972 में विनोद ने एक स्थानीय बैंक से 100 डॉलर का लोन लिया और खुद का बिजनेस शुरू किया। 1997 में उन्होंने अपने गांव के लिए एक शिक्षण संस्थान बनवाने से सामाजिक कार्यों की शुरुआत की थी। उन्होंने गांव लौटकर विनोद गुप्ता चैरिटेबल फाउंडेशन नाम से एक एनजीओ बनाया जिसका मकसद ग्रामीण लड़कियों को अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करना था। उन्होंने अपनी मां के नाम पर रामरती गुप्ता महिला पॉलिटेक्निक की शुरुआत की। यहां महिलाओं को कई सारे कोर्स के माध्यम से कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जाता है। इन कोर्स में फैशन डिजाइनिंग और टेक्सटाइल डिजाइन जैसे कोर्स शामिल हैं।

विनोद के कार्यों को देखते हुए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उनकी काफी तारीफ की और उन्हें वॉशिंगटन डीसी स्थित जॉन. एफ. कैनेडी सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में ट्रस्टी नियुक्त कर दिया। इतना ही नहीं उन्हें यूनाइटेड स्टेट काउंसल जनरल टू बर्मूडा के पद पर काम करने का मौका मिला था, लेकिन अपनी प्राथमिकताओं के चलते उन्होंने इस पद पर काम करने की स्वीकृति नहीं दी। विनोद कहते हैं, 'लेकिन बिल क्लिंटन से मेरे अच्छे संबंध बने रहे। हम अच्छी दोस्ती में यकीन रखते हैं। 2000 में जब वे भारत आए थे तो उन्होंने रामपुर में बिल क्लिंटन स्कूल की नींव रखी थी।' विनोद गुप्ता चैरिटेबल फाउंडेशन की मदद से सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ी लड़कियों को मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है।

नर्सिंग स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं

नर्सिंग स्कूल में पढ़ने वाली छात्राएं


रामपुर में जो एजुकेशन कॉम्प्लेक्स बना है उसमें बिल क्लिंटन स्कूल के साथ हिलेरी क्लिंटन नर्सिंग स्कूल भी शामिल है। इन संस्थानों में लाइब्रेरी और लैब समेत कई सारी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। अभी यहां 1,152 स्टूडेंट पढ़ रहे हैं जिसमें 589 लड़कियां भी हैं। इन कॉलेजों में सहारनपुर के अलावा कई अन्य जिलों के भी बच्चे पढ़ने आते हैं। नर्सिंग स्कूल के पहले बैच में रह चुकीं वर्षा बंसल बताती हैं कि वो शामली से सफर कर यहां आती थीं और देर शाम घर वापस जाती थीं। वर्षा इन दिनों मेरठ के सरकारी अस्पताल में काम कर रही हैं।

हिलेरी क्लिंटन नर्सिंग स्कूल में जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी, ऑक्जिलरी नर्सिंग और बेबी नर्सिंग एंड चाइल्ड केयर जैसे कोर्स संचालित किये जाते हैं। कॉलेज में लेक्चर हॉल और छह पुस्तकालय हैं इसमें 357 स्टूडेंट्स पढ़ते हैं जिसमें 320 लड़कियां हैं। शिक्षा के क्षेत्र के अलावा विनोद गुप्ता संस्थआन टाइगर रिजर्व और वन संरक्षण के क्षेत्र में भी कार्य कर रहा है।

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