आपकी पारंपरिक कार को बना देंगे इलेक्ट्रिक कार, हैदराबाद का यह स्टार्टअप इस सेक्टर में बनाने जा रहा है बड़ी जगह
देश में पारंपरिक ईंधन से चलने वाली कारें न सिर्फ प्रदूषण का मुख्य कारण हैं, बल्कि आगे चलकर ये कारें कबाड़ के रूप में भी समस्या पैदा करती हैं। इस समस्या से समाधान के लिए हैदराबाद के इस स्टार्टअप ने बेहतरीन समाधान खोज निकाला है।
देश में मुख्यता अभी पारंपरिक वाहनों का ही बोलबाला है। इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई कंपनियों ने अपने प्रयास शुरू कर दिये हैं, लेकिन देश के इकोसिस्टम को देखते हुए इन्हे लोगों के बीच अपनी जगह बनाने में समय लगेगा, फिर भी भविष्य में प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को देखते हुए सरकार भी इन वाहनों को प्रमोट कर रही है।
इन सब के बीच हैदराबाद में दो युवा इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर एक नई दिशा की ओर बढ़ रहे हैं, जहां वे पारंपरिक कारों को ही इलेक्ट्रिक कारों में कन्वर्ट कर रहे हैं।
एसआरएम यूनिवर्सिटी, चेन्नई से इंजीनियरिंग करने के दौरान अशर अहमद और अकबर बेग कई इवेंट्स में हिस्सा लेते थे, जो ऑटोमोबिल से संबन्धित होते थे, यहाँ वे कई तरह के प्रयोग करते थे। इस दौरान ही इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर दोनों में दिलचस्पी बढ़ी।
कॉलेज से कंपनी तक
अपनी इंजीनियरिंग के अंतिम साल में दोनों ने प्रोजेक्ट के तौर पर मारुति इस्टीम कार को इलेक्ट्रिक कार में परिवर्तित कर दिया था। प्रोजेक्ट को लेकर दोनों को लोगों से काफी सराहना हासिल हुई और तब इन्होने अपने इस काम को आगे ले जाने का मन बनाया। साल 2016 में अशर अहमद और अकबर बेग ने मिलकर बूटस्ट्रैप फंडिंग के जरिये भारत मोबी की स्थापना की।
योरस्टोरी से बात करते हुए अशर कहते हैं,
“इस तरह हम तीन मुख्य समस्याओं को सुलझा रहे हैं। एक तो है प्रदूषण, दूसरा है ट्रैफिक की समस्या और तीसरा है वाहनों को कबाड़ में तब्दील होने से बचाना।”
पारंपरिक कारें तो पेट्रोल या डीजल ईंधन से चल रही हैं, अगर उन्हे इलेक्ट्रिक व्हीकल में तब्दील कर दिया जाएगा, तो नई कारों की आवश्यकता कम रहेगी और ऐसे में ये कारें कबाड़ होने से भी बच जाएंगी। पर्यावरण की दृष्टि से आज इलेक्ट्रिक वाहन सबसे उपयुक्त हैं।
बढ़ रहे हैं कदम
भारत मोबी अभी ऑल्टो, वैगन आर और स्विफ्ट डिज़ायर के लिए कनवर्ज़न उपलब्ध करा रहे हैं। इस कनवर्ज़न की लागत करीब 5 लाख रुपये आती है। भारत मोबी ने अब तक 25 से अधिक कारों के कनवर्ज़न को पूरा किया है। दोनों संस्थापकों के साथ टीम में 20 लोग काम कर रहे हैं।
भारत मोबी द्वारा कन्वर्ट की गई कारें को चार्जिंग के लिए भी खास परेशान नहीं होना पड़ता। इन्हे कार में फिट चार्जिंग सिस्टम के जरिये 16 एम्पियर के किसी भी सॉकेट से चार्ज किया जा सकता है। कार में लगी बैटरी पूरी तरह चार्ज होने में साढ़े तीन से चार घंटे का समय लेती है।
चुनौतियाँ
देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए जरूरी इकोसिस्टम की गैर-उपलब्धता फिलहाल बड़ी समस्या बनी हुई है, हालांकि सरकार भी इलेक्ट्रिक कारों को प्रमोट कर रही है, लेकिन इस दिशा में बहुत काम किया जाना बाकी है।
अशर कहते हैं,
“देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए जगह बन रही है, ऐसे में बड़ी कंपनियाँ भी अपने इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़ी तेजी से लोगों के सामने पेश कर रही हैं। देश में मौजूदा पारंपरिक वाहन ऐसे में एक बड़ी समस्या बनकर उभरेंगे। अगर हम 2025 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की तरफ बढ़ना चाहते हैं तो हम मौजूदा वाहनों को कहाँ स्क्रैप करेंगे?”
2016 के आंकड़ों के अनुसार देश में 23 करोड़ से अधिक पारंपरिक वाहन रजिस्टर थे, इस तरह से देश में हर 1 हज़ार लोगों के बीच वाहनों की संख्या 167 के करीब है। इसी के साथ वाहनों की इतनी बड़ी संख्या के साथ देश के प्रमुख शहरों में लगने वाले जान की स्थिति और भी भयावह है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के प्रमुख शहरों में एक आम नागरिक ट्रैफिक जाम में डेढ़ घंटे से अधिक समय बर्बाद कर रहा है।
अशर कहते हैं,
“देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए इकोसिस्टम चाहिए। हमारे पास ईवी की शिक्षा उपलब्ध कराने वाले संस्थान चाहिए, जहां से प्रशिक्षित युवा निकलकर सामने आ सकें। हमें इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए फायनेंस, सर्टिफिकेशन और इन्स्योरेंश की सुविधा भी उपलब्ध करनी होगी। हमें इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए विशेष सर्विस सेंटर भी चाहिए होंगे। यह सब होने के बाद देश इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए पूरी तरह तैयार हो पाएगा।"
विंटेज कारों के कनवर्ज़न को लेकर भी अशर पूरी तरह तैयार हैं। उनका मानना है कि विंटेज कारों को इलेक्ट्रिक में तब्दील करने के बाद उन्हे और लंबे समय तक चलाया जा सकेगा। इसी के साथ देश में कई वर्षों तक अपनी सेवाएँ दे चुकी पद्मिनी टैक्सी को भी अशर ईवी में कन्वर्ट करना चाहते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से ये सभी कारें कबाड़ बनने से बच जाएंगी।