अधिग्रहण के बाद Ford के रवैये से नाराज कर्मचारी, 63 फीसदी ने ठुकराया Tata का ऑफर लेटर
Tata Motors ने Ford India के 1000 कर्मचारियों को ऑफर लेटर दिया था. हालांकि, उसमें से केवल 370 कर्मचारियों ने उसे स्वीकार किया है.
टाटा मोटर्स
ने अपनी एक सहयोगी कंपनी के जरिए फोर्ड इंडिया के गुजरात के साणंद प्लांट का मंगलवार को अधिग्रहण पूरा कर लिया है. हालांकि, फोर्ड के केवल 37 फीसदी कर्मचारियों ने टाटा वर्कफोर्स को ज्वाइन करने के लिए ऑफर लेटर स्वीकार किया है.इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, टाटा मोटर्स ने फोर्ड के 1000 कर्मचारियों को ऑफर लेटर दिया था. हालांकि, उसमें से केवल 370 कर्मचारियों ने उसे स्वीकार किया है. ऑफर लेटर स्वीकार नहीं करने वाले कर्मचारियों ने कहा कि फोर्ड मोटर्स के सामने रखी गई मांगों को स्वीकार नहीं किए जाने के कारण उन्होंने ऑफर स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
बता दें कि, मंगलवार को फोर्ड वर्कर्स का एक नाराज ग्रुप गांधीनगर में गुजरात सरकार के श्रम एवं रोजगार विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की और मदद मांगी.
मीटिंग में मौजूद एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि उनकी मुख्य शिकायत यह है कि चेन्नई में फोर्ड कर्मचारियों को जो दिया गया था, उसकी तर्ज पर उन्हें विच्छेद पैकेज की पेशकश नहीं की गई है. इस पैकेज की मांग बड़े पैमाने पर उन कर्मचारियों द्वारा की जा रही है जो टाटा मोटर्स से जुड़ना नहीं चाहते हैं. दूसरे, उन्होंने एक क्लॉज पर आपत्ति जताई है जिसके तहत अगर उन्हें टाटा से ऑफर लेटर प्राप्त होता है, तो वे फोर्ड के कर्मचारी नहीं रहेंगे. वे चाहते थे कि सरकार चर्चा के लिए सभी स्टेकहोल्डर्स को बुलाए.
फोर्ड मोटर्स के कर्मचारियों के एक यूनियन कर्णावती कामदार एकता संघ के प्रमुख विजय बापोदरा ने कहा कि ऑफर लेटर स्वीकार नहीं करने वालों में हमारे यूनियन के भी लोग हैं. हालांकि, उनके साथ उसमें वे लोग भी शामिल हैं जो कि डिप्लोमा और डिग्रीधारी हैं और उन्होंने अपना अलग यूनियन बनाया है. हमसे टाटा के ऑफर लेटर पर हस्ताक्षर करके उसे स्वीकार करने के साथ फोर्ड से अपनी मांगे छोड़ने के लिए कहा गया. यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
साणंद स्थित फोर्ड के पूर्व कर्मचारियों की मुख्य मांग यह है कि टाटा में शामिल नहीं होने वालों को विच्छेद पैकेज दिया जाए.
यूनियन की वाइस-प्रेसिडेंट अनिल सिंह जाला ने कहा कि हमें टाटा में शामिल होने में कोई समस्या नहीं है. हालांकि, जहां हमारे कुछ सहयोगियों को टाटा ज्वाइन नहीं करने और विच्छेद पैकेज का ऑफर किया गया तो वहीं हमें वैसा ही ऑफर नहीं दिया गया.
सोर्सेज का कहना है कि जो लोग टाटा मोटर्स ज्वाइन करना चाहते हैं, वे भी मानसिक उत्पीड़न दिए जाने के कारण मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
वहीं, अभी यह पता नहीं पता चला है कि उन फोर्ड कर्मचारियों का क्या होगा, जिन्होंने टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लिमिटेड (TPEML) का ऑफर लेटर स्वीकार नहीं किया है.
टाटा मोटर्स ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि अनिवार्य शर्तों को पूरा करने और जरूरी नियामकीय मंजूरियां मिलने के बाद संबंधित पक्षों ने इस सौदे को पूरा कर लिया है और टीपीईएमएल ने साणंद संयंत्र का अधिग्रहण कर लिया है.
इसके अलावा वाहन विनिर्माण से जुड़े सभी कर्मचारियों को नौकरी की पेशकश की गई है. जिन कर्मचारियों ने टीपीईएमएल की पेशकश को स्वीकार किया है उन्हें कंपनी में स्थानांतरित कर दिया गया है और वे 10 जनवरी से टीपीईएमएल के कर्मचारी हो गए हैं.
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस के एक ईमेल के जवाब में टाटा मोटर्स ने कहा कि हम उन कर्मचारियों के फैसले का सम्मान करते हैं, जिन्होंने ज्वाइन नहीं करने का विकल्प चुना है और हम उन्हें उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं.
गुजरात सरकार के अधिकारियों ने कहा कि अगर टाटा मोटर्स ने फोर्ड कर्मचारियों को ज्वाइन करने का और अधिक समय नहीं दिया तो मामलों को इंडस्ट्रीयल ट्रिब्यूनल के पास भेज दिया जाएगा.
पिछले साल अगस्त में टाटा मोटर्स ने घोषणा की थी कि उसकी इकाई टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी लि. (टीपीईएमएल) फोर्ड इंडिया के गुजरात के साणंद संयंत्र का 725.7 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करेगी.
Edited by Vishal Jaiswal