मर रही पारंपरिक फर्नीचर बनाने की कला को पुनर्जीवित कर रही हैं उद्यमी ऐश्वर्या रेड्डी
ऐश्वर्या अपने फर्नीचर और इंटीरियर डिजाइन स्टार्टअप खेंशु के साथ, भारतीय फर्नीचर बनाने की कला को पुनर्जीवित कर रही हैं और कारीगरों को इन सदियों पुरानी तकनीकों को बनाए रखने में मदद कर रही हैं।
ऐश्वर्या रेड्डी ने इंटीरियर डिजाइनिंग इंडस्ट्री में काम किया है और वे काफी समय से देसी फर्नीचर ब्रांड की तलाश में थी। हालाँकि, उन्होंने जितना खोजा, उतने ही यूरोपीय ब्रांड मार्केट में पाए। उन्होंने महसूस किया कि भारत में एक ऐसे फर्नीचर ब्रांड का अभाव है जो भारतीय फर्नीचर बनाने के चमत्कार को दर्शाता हो।
इसके बाद ऐश्वर्या ने एक भारतीय लक्जरी फर्नीचर ब्रांड खेंशु (Khenshu) शुरू करने का फैसला किया, जो भारतीय फर्नीचर की मर रही कला को पुनर्जीवित कर रहा है। इसके साथ ही, उनकी पहल, 'मेक इन इंडिया' आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय कारीगरों का समर्थन भी करती है।
शुरुआती प्रक्रिया
बेंगलुरु की रहने वाली ऐश्वर्या ने इंटरनेशनल बिजनेस में मास्टर करने के लिए सैन फ्रांसिस्को जाने से पहले शहर में ही औद्योगिक डिजाइन (Industrial Design) का अध्ययन किया। अपनी पढ़ाई के बाद, उन्होंने न्यूयॉर्क में छह महीने के लिए इंटर्नशिप की और बाद में वापस गार्डन सिटी चली गईं। 2019 में खेंशु को शुरू करने का फैसला करने से पहले उन्होंने कुछ समय के लिए सेल्स और इंटिरियर में काम किया।
24 वर्षीय उद्यमी कहते हैं,
“मैं हमेशा क्रिएटिव फील्ड से आकर्षित थी और उसी लाइन में कुछ करना चाहती थी, लेकिन एजुकेशन ने मुझे किसी और ही काम की तरफ ढकेला। इन सभी वर्षों के बाद, खेंशु कुछ ऐसा है जो मेरी शैक्षिक पृष्ठभूमि के साथ मेरे जुनून को जोड़ता है, इसलिए मैं कह सकती हूं कि मैं वहीं हूं जहां मुझे होना चाहिए।”
इंटीरियर डिजाइन उद्योग में काम करते हुए, ऐश्वर्या ने महसूस किया कि क्लासिक डिजाइन कठिन था, विशेष रूप से भारतीय डिजाइन जो 'लक्जरी' श्रेणी में फिट होते हैं। वह कहती हैं,
“मैं भारत के वास्तुशिल्प चमत्कारों से रोमांचित थी। मैं ऐसा डेकोर और फर्नीचर चाहती थी जो उन युगों को दर्शाते हों और साथ ही आधुनिक भविष्य के घरों में भी पूरी तरह से फिट होते हों। और, एक ट्रांसेशनल डेकोर पीस की तलाश ने मुझे खेंशु शुरू करने के लिए प्रेरित किया।”
ऐश्वर्या ने व्यवसाय शुरू करने के लिए अपनी बचत से 1 करोड़ रुपये और 1 करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण लेकर निवेश किया।
एक मर रही कला को पुनर्जीवित करना
हर भारतीय क्षेत्र में कई तरह की आर्ट फॉर्म मौजूद है, और आधुनिक टेक्नोलॉजीज की शुरुआत के साथ, हम कई ऐसे पारंपरिक तरीकों और प्रथाओं को भी खो रहे हैं। खेंशु के साथ, ऐश्वर्या इस तरह की प्रथाओं को पुनर्जीवित करने और पारंपरिक कारीगरों को बनाए रखने में मदद करने के लिए आगे हैं।
वे कहती हैं,
“हाल ही में, बड़े पैमाने पर निर्माण की शुरुआत के कारण, ये कला मर रही है और इसे बनाने वाले कारीगर दूसरी इंडस्ट्री की तरफ रुख कर रहे हैं। खेंशु इन कला रूपों को वापस लाने की कोशिश कर रहा है, और इसे एक कंटेंपरेरी ट्विस्ट के साथ दुनिया को लुभा रहा है।”
Róse नामक अपने पहले कलेक्शन के साथ, ऐश्वर्या ने सिल्वर ग्लाइडिंग या सिल्वर शीटिंग की कला को शामिल किया, जो चौथी शताब्दी की शुरुआत में मिस्र में विकसित हुई थी, जो बाद में भारत सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में फैल गई।
सिल्वर शीटिंग में प्रीमियम सीजन्ड टीक पर मोटी सिल्वर शीट्स बिछाने की जटिल कला शामिल है। यह एक ऐसी कला है जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित किया गया है, जिसका संबंध राजस्थान में शाही महलों के लिए काम करने वाले कारीगरों से है।
वह कहती हैं कि कम मांग और फर्नीचर के बड़े पैमाने पर उत्पादन के कारण, ये कारीगर कला को छोड़ रहे हैं और अन्य व्यवसायों की तरफ रुख कर रहे हैं जो बेहतर आय की गारंटी देते हैं। खेंशु इन कारीगरों के साथ मिलकर काम करता है, एक डिजाइन टीम के साथ उन्हें अपने कारीगरों के कौशल का प्रदर्शन करने के लिए एक वैश्विक मंच देने में मदद करता है।
बेंगलुरु में डिजाइनरों की एक इन-हाउस टीम कारीगरों के लिए फर्नीचर डिजाइन तैयार करती है, ताकि इसकी राजस्थान फैसिलिटी में उत्पादन शुरू हो सके। डिजाइन और निर्माण प्रक्रिया पारंपरिक कला रूप और आधुनिक विनिर्माण तकनीकों को प्रभावित करती है।
वे कहती हैं,
“प्रत्येक प्रोडक्ट को पहले हाथ से स्केच किया जाता है, ग्राफिकल रूप से प्रोटोटाइप तैयार किया जाता है, 3डी प्रिंटिंग का उपयोग करके परीक्षण किया जाता है, और अन्य पारंपरिक तरीके जैसे मिट्टी की मूर्तिकला आदे से भी इसे परखा जाता है। और फिर यह हमारी राजस्थान फैसिलिटी में फुल प्रोडक्शन के लिए जाता है। लकड़ी और संगमरमर को काटने के लिए लेजर मशीनों का उपयोग करने जैसे अपवादों को छोड़ दें तो हमारा अधिकांश काम पारंपरिक तकनीकों अर्थात दस्तकारी का उपयोग करके किया है।”
टारगेट मार्केट, कॉम्पटिशन और रिवेन्यू
खेंशु में लिविंग रूम फर्नीचर, बेडरूम फर्नीचर से लेकर मिरर, कंसोल, फोटो फ्रेम और डेकोर पीस जैसे कई प्रोडक्ट्स हैं। कीमत 5,000 रुपये से 20 लाख रुपये के बीच होती है। इसके अलावा अगर आप कस्टमाइजेशन कराते हैं तो ये उस पर निर्भर करती है। इसने बेंगलुरु के लीला पैलेस होटल में द कर्नलनेड में अपना पहला फ्लैगशिप स्टोर खोला।
ऐश्वर्या कहती हैं,
“लग्जरी मार्केट वह जगह है जहां हम खुद को पोजिशन देना चाहते हैं।”
वह कहती हैं कि उनके ग्राहकों में मुख्य रूप से इंटीरियर डिजाइनर, आर्किटेक्ट या वह हर कोई शामिल है, जो लक्जरी या आर्ट से प्यार करता है। उन्होंने स्पेस के इंटीरियर डिजाइनिंग को भी अपनाया है और उन्हें एक राजसी एहसास के साथ सजाने में माहिर हैं।
ऐश्वर्या का मानना है कि खेंशु को कुछ नाम जैसे बोका दो लोबो (Boca Do Lobo) और फेंडी कासा (Fendi Casa) जैसे यूरोपीय डिजाइन हाउस से प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ता है। चीनी फर्नीचर विनिर्माण समकक्ष, जो बड़े पैमाने पर फर्नीचर का उत्पादन करते हैं, वे भी ब्रांड के लिए एक प्रतियोगिता हैं। हालांकि, उनका मानना है कि उनके ब्रांड का उन सभी पर एक अनूठा लाभ है क्योंकि खेंशु के उत्पादों को लंबी अवधि में सराहा जा सकता है।
भविष्य की योजनाएं
खेंशु का डिजाइन और एक्सपीरियंस सेंटर भी मई 2020 तक खोलने के लिए तैयार है। अन्य बातों के अलावा, ऐश्वर्या ने मौजूदा वित्त वर्ष में हैदराबाद में कारोबार का विस्तार करने की योजना बनाई है। और फिर, इसे वैश्विक रूप से ले जाने और न्यूयॉर्क और लॉस एंजिल्स में विस्तार करने की योजना है। वह अपनी टीम को विकसित करने और अन्य चीजों के साथ स्टार्टअप की परिचालन दक्षता बढ़ाने की भी योजना भी बना रही हैं।
खेंशु होटल और रेस्तरां डिजाइनिंग के साथ सुपर लक्जरी अनुभव बनाने में विस्तार करने की योजना भी बना रहा है।