बेंगलुरु में 20 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है छोटे से शहर जालोर का ये उद्यमी
छोटे शहर के लोग खुली आंखों से बड़े सपने देखते हैं। कांतिलाल परमार के भी बड़े सपने थे। उनके बड़े भाई जालोर, राजस्थान से बेंगलुरु, कर्नाटक अपने पिता के दोस्त के साथ एक अगरबत्ती ट्रेडिंग फर्म में काम करने के लिए चले गए। 40 वर्षीय कांतिलाल परमार ने योरस्टोरी को बताया,
"मेरा बड़ा भाई हमारे अंकल (पिता के दोस्त) के साथ काम शुरू करने के लिए बेंगलुरु चला गया। मैं उस समय जालोर में पढ़ रहा था। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मैं भी उनकी मदद करने के लिए उनके पास चला गया। हालाँकि हम काम कर रहे थे, लेकिन हमारा कुछ बड़ा करने का सपना था।"
शुरुआत
कांतिलाल का कहना है कि उनके भाई के पास शुरू में रोटाग्रेव्योर प्रिंटिंग (rotogravure printing) का काम था, जहाँ वे विभिन्न अगरबत्ती निर्माताओं के लिए पैकेज प्रिंट करते थे। बाद में, 2003 में, दोनों भाइयों ने अगरबत्ती निर्माण के लिए उपयोग किए जाने वाले कच्चे माल में व्यापार करके खुद का विस्तार किया। वे बताते हैं, "हम परफ्यूम, पैकेजिंग सामग्री और अगरबत्ती बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य कच्चे माल का व्यापार करते थे। हमने लगभग सात वर्षों तक वही काम जारी रखा जिसके बाद हमने अपनी विनिर्माण इकाई खोलने का फैसला किया और केवल व्यापार जारी रखने के बजाय बड़े पैमाने पर काम किया।"
2009 में अपनी व्यक्तिगत बचत और प्रोपर्टी पर लोन लेकर कांतिलाल ने 1,200 वर्ग फुट जगह में 15 लाख रुपये के साथ एक अगरबत्ती निर्माण इकाई शुरू की।
उनका कहना है कि अगरबत्ती निर्माण इकाई काफी छोटी होती है जिसे कम पूंजी के साथ घर पर शुरू किया जा सकता है। हालांकि, यह स्केलिंग और कस्टमाइजेशन को रिस्ट्रिक्ट करता है, जिसे अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है। कंपनी की 15 कर्मचारियों के साथ एक छोटी शुरुआत थी।
कांतिलाल कहते हैं,
''भले ही मार्केट में हमारे कनेक्शन थे, फिर भी हमें शुरू में ऑर्डर मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा। हमने पहले पूरे साल संघर्ष किया जिसके बाद हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिलनी शुरू हुई।”
धीमी और स्थिर वृद्धि
धीरे-धीरे, कंपनी बढ़ने लगी और 2012 तक, इसके 320-डिस्ट्रीब्यूटर नेटवर्क हो गए। जबरदस्त बाजार प्रतिक्रिया को देखते हुए, कांतिलाल ने एक साहसिक कदम उठाया और 8,000 वर्ग फुट जगह में एक और विनिर्माण इकाई स्थापित करने का फैसला किया।
वे कहते हैं,
“पुरानी यूनिट से ऑर्डर सप्लाई करना मुश्किल हो रहा था। कच्चा माल डालने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं थी। जैसे-जैसे हम बढ़ रहे थे, हमने उद्योग के विस्तार के बारे में सोचा।”
कंपनी ने धीरे-धीरे विकास किया, अपने उत्पादों को बाजार में उतारने के लिए 50 श्रमिकों और 20 बिक्री प्रतिनिधियों को नियुक्त किया। कांतिलाल ने 2012 में एमएसएमई योजना के तहत 'चामुंडी अगरबत्ती' का पंजीकरण कराया और स्थापना के तीन साल के भीतर, यह ब्रांड अगरबत्ती के शीर्ष निर्माताओं में से एक बन गया। आज, यह 20 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार कर रहा है। ब्रांड अहमदाबाद से लकड़ी के पाउडर जैसे कच्चे माल का स्रोत है। यह वियतनाम और चीन से क्रमशः जोस पाउडर (joss powder) और बांस जैसी सामग्री भी आयात करता है। अन्य कच्चे माल जयपुर, मुंबई, और अन्य स्थानों से आते होते हैं।
वर्तमान में, कंपनी की उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल सहित भारत के लगभग सभी प्रमुख बाजारों में डिस्ट्रीब्यूटर्स और छोटे खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से मौजूदगी है। अब इसके पास लगभग 70 वर्कर्स और लगभग 50 सदस्यों की सेल्स टीम है।
ब्रांड मलेशिया, मॉरीशस और श्रीलंका में अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बिना ब्रांडिंग के एजेंटों के माध्यम से निर्यात करता है। अगरबत्ती से कंपनी ने विभिन्न श्रेणियों जैसे धूपबत्ती, धूप कोन, कप धूप, मसाला अगरबत्ती, फूलों की अगरबत्ती आदि में खुद का विस्तार किया है।
चुनौतियां और प्रतियोगिता
कांतिलाल का कहना है कि उद्योग में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है स्टॉक को उधार में देना।
वे कहते हैं,
“शुरुआत में, लंबी अवधि के लिए उधार में देना बहुत मुश्किल था। हालांकि, जब हमने विस्तार किया तो हमने डिस्ट्रीब्यूटर्स से मिलने वाले पेमेंट के आधार पर उन्ह सात दिन, 15 दिन, या 21 दिन के लिए उधार देना शुरू कर दिया।”
अब तक, संगठित भारतीय अगरबत्ती उद्योग 3,000 करोड़ रुपये पर आंका गया है। कांतिलाल का दावा है कि ब्रांड कुशलतापूर्वक मार्केटिंग प्रोडक्ट्स और सबसे उचित मूल्य पर बेस्ट क्वालिटी प्रदान करके अपने प्रतिद्वंद्वियों से अलग है।
भविष्य की योजनाएं
कांतिलाल बड़े सपने देखते रहते हैं। वह कहते हैं कि वे वर्तमान में डिस्ट्रीब्यूटर्स के माध्यम से काम कर रहे हैं और भविष्य में बिग बाजार, डीमार्ट, रिलायंस आदि में शेल्फ स्पेस के माध्यम से खुदरा क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि वे अपने घर शहर जालोर में एक और ऑफिस स्पेस खोलने की प्रक्रिया में हैं, ताकि उस क्षेत्र और बाहर ब्रांड की मार्केटिंग की जा सके।