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महंगाई की मार! यूरोपीय सेंट्रल बैंक 11 साल बाद बढ़ाने जा रहा ब्याज दर

रूस और यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है और यूरोपीय संघ पर रूसी तेल और गैस के विकल्प खोजने के लिए दबाव डाला है, जिस पर वह बहुत अधिक निर्भर है.

महंगाई की मार! यूरोपीय सेंट्रल बैंक 11 साल बाद बढ़ाने जा रहा ब्याज दर

Friday June 10, 2022 , 2 min Read

यूरोपीय सेंट्रल बैंक (ECB) ने मुद्रास्फीति (Inflation) से लड़ने के लिए अगले महीने ब्याज दरों (Interest Rates) में बढ़ोतरी की योजना बनाई है. CNN बिजनेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोपीय सेंट्रल बैंक 11 साल बाद ब्याज दरों में वृद्धि करने वाला है. बैंक ने घोषणा की है कि वह जुलाई में उधार लेने की लागत में 25 आधार अंकों यानी 0.25 प्रतिशत की वृद्धि करेगा. यह भी कहा कि यदि मध्यम अवधि की मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण बना रहता है या बिगड़ता है तो सितंबर में एक बड़ी वृद्धि हो सकती है.

ईसीबी प्रेसिडेंट क्रिस्टीन लेगार्ड ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा, "मुद्रास्फीति अवांछित रूप से अधिक है और कुछ समय के लिए हमारे लक्ष्य से ऊपर रहने की उम्मीद है." केंद्रीय बैंक बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए दरों में वृद्धि के बीच एक नाजुक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इतना नहीं कि यह इस क्षेत्र को मंदी की ओर ले जाए.

ग्रोथ फोरकास्ट को घटाया

ईसीबी ने इस वर्ष यूरोजोन में वार्षिक मुद्रास्फीति के लिए अपने पूर्वानुमान को काफी बढ़ाकर 6.8% कर दिया. ईसीबी ने कहा था कि यह 2024 में अपने 2% के लक्ष्य से ठीक ऊपर रहेगी. ईसीबी ने अपने विकास पूर्वानुमानों में भी कटौती की. यूरो का उपयोग करने वाले 19 देशों की जीडीपी अब 2022 में 2.8% और अगले वर्ष केवल 2.1% बढ़ने का अनुमान है. Eurostat के अनुसार, यूरोजोन मुद्रास्फीति पिछले महीने 8.1% के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई.

रूस-यूक्रेन युद्ध ने महंगाई बढ़ाई

रूस और यूक्रेन में युद्ध ने वैश्विक मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया है और यूरोपीय संघ पर रूसी तेल और गैस के विकल्प खोजने के लिए दबाव डाला है, जिस पर वह बहुत अधिक निर्भर है. यूरोप अपने निर्यात को बंद करने के लिए सहमत हो गया है और तेल व कोयले पर चरणबद्ध तरीके से प्रतिबंध शुरू कर रहा है. यूरोप अब जीवाश्म ईंधन की बढ़ती कीमतों को देखते हुए ऊर्जा की वैकल्पिक आपूर्ति के स्रोत के लिए हाथ-पांव मार रहा है.

ऊर्जा की कीमतें लगभग 40% अधिक

रिपोर्ट में कहा गया कि लेगार्ड का कहना है कि मई 2021 की तुलना में ऊर्जा की कीमतें लगभग 40% अधिक हैं और निकट अवधि में उच्च बनी रहेंगी. उन्होंने कहा कि अगर युद्ध आगे बढ़ता है तो आर्थिक भावना खराब हो सकती है, आपूर्ति पक्ष की बाधाएं बढ़ सकती हैं और ऊर्जा व खाद्य लागत अपेक्षा से लगातार अधिक रह सकती है.