EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, जानिए यह है क्या, इस पर क्यों छिड़ा है विवाद?
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. सुनवाई की शुरुआत में सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार विभिन्न फैसले हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) यानी सवर्ण गरीबों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को 3-2 के बहुमत से सोमवार को बरकरार रखा.
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. सुनवाई की शुरुआत में सीजेआई यूयू ललित ने कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर चार विभिन्न फैसले हैं.
बहुमत फैसले में क्या कहा गया?
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि 103वें संविधान संशोधन को संविधान के मूल ढांचे को भंग करने वाला नहीं कहा जा सकता.
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी ने कहा कि 103वें संविधान संशोधन को भेदभाव के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता. 75 साल के बाद हमें आरक्षण पर फिर से गौर करने की जरूरत है.
जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी जस्टिस माहेश्वरी के विचारों से सहमति जताई और संशोधन की वैधता को बरकरार रखा. बैकवर्ड क्लास तय करने की प्रक्रिया पर फिर से समीक्षा करने की जरूरत है जिससे आज के समय में यह प्रासंगिक रह सके. हालांकि EWS कोटा अनिश्चितकाल के लिए नहीं बढ़ाना चाहिए. जो लोग आगे बढ़ गए हैं, उन्हें बैकवर्ड क्लास से हटाया जाना चाहिए जिससे जरूरतमंदों की मदद की जा सके.
अल्पमत फैसले में क्या कहा गया?
जस्टिस एस रवींद्र भट ने अपना अल्पमत का विचार व्यक्त करते हुए ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन पर असहमति जताई और उसे रद्द कर दिया. सीजेआई ललित ने जस्टिस भट के विचार से सहमति व्यक्त की.
उन्होंने कहा कि आर्थिक मानदंडों पर आरक्षण का उल्लंघन नहीं है. हालांकि, एससी/एसटी/ओबीसी के गरीबों को आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों से बाहर करके (इस आधार पर कि उन्हें लाभ मिला है), 103वां संशोधन संवैधानिक रूप से भेदभाव के प्रतिबंधित रूपों को प्रैक्टिस करता है.
क्या है EWS आरक्षण, किसे मिलता है फायदा
EWS आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण है. यह आरक्षण सिर्फ जनरल कैटेगरी यानी सामान्य वर्ग के लोगों के लिए है. अन्य श्रेणी के वर्गों जैसे ओबीसी (27%), एससी (15%), और एसटी (7.5%) आरक्षण पहले से है.
इस आरक्षण का फायदा लेने के लिए परिवार की वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होनी चाहिए. इसमें स्रोतों में सिर्फ सैलरी ही नहीं, कृषि, व्यवसाय और अन्य पेशे से मिलने वाली आय भी शामिल हैं.
EWS आरक्षण के तहत व्यक्ति के पास 5 एकड़ से कम कृषि भूमि होनी जरूरी है. इसके अलावा 200 वर्ग मीटर से अधिक का आवासीय फ्लैट नहीं होना चाहिए. यहां यह गौर करने वाली बात है कि 200 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि का आवासीय फ्लैट नगरपालिका के अंतर्गत भी नहीं होना चाहिए.
क्या था मामला?
याचिकाओं ने संविधान (103वां) संशोधन अधिनियम, 2019 की वैधता को चुनौती दी थी. जनवरी 2019 में संसद द्वारा पारित संशोधन के माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में खंड (6) को सम्मिलित करके नौकरियों और शिक्षा में आर्थिक आरक्षण प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया था.
नव सम्मिलित अनुच्छेद 15(6) ने राज्य को शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण सहित नागरिकों के किसी भी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने में सक्षम बनाया.
इसमें कहा गया है कि इस तरह का आरक्षण अनुच्छेद 30 (1) के तहत आने वाले अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों को छोड़कर निजी संस्थानों सहित किसी भी शैक्षणिक संस्थान में किया जा सकता है, चाहे वह सहायता प्राप्त हो या गैर-सहायता प्राप्त. इसमें आगे कहा गया है कि आरक्षण की ऊपरी सीमा दस प्रतिशत होगी, जो मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त होगी.
तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह 5 अगस्त, 2020 को मामलों को संविधान पीठ को भेज दिया था.
इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है :
· 8 जनवरी, 2019: लोकसभा ने 103वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी.
· 9 जनवरी: राज्यसभा ने 103वें संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दी.
· 12 जनवरी: विधि और न्याय मंत्रालय ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सहमति दे दी है.
· फरवरी: नए कानून को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी गई.
· 6 फरवरी: न्यायालय ने संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार को नोटिस जारी किया.
· 8 फरवरी: न्यायालय ने 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे पर रोक लगाने से इनकार किया.
· 8 सितंबर, 2022: प्रधान न्यायाधीश यू यू ललित की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने अपील सुनने के लिए पीठ का गठन किया.
· 13 सितंबर: न्यायालय ने दलीलें सुननी शुरू कीं.
· 27 सितंबर: न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा.
· 7 नवंबर: न्यायालय ने 3:2 के बहुमत से दाखिलों, सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस को 10 फीसदी आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखा.
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