नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ने डेटा के ग़लत इस्तेमाल के लिए स्टॉक गेमिंग ऐप्स को नोटिस भेजा
NSE डेटा और एनालिटिक्स लिमिटेड ने तमाम फैंटेसी स्टॉक ट्रेडिंग ऐप्स को नोटिस भेज निर्देश दिया है कि उनके डेटा का इस्तेमाल तत्काल बंद किया जाए. फैंटेसी स्टॉक ट्रेडिंग ऐप्स वो ऐप होते हैं जो ऐसे गेम्स खेलने की सुविधा देते हैं जिनमें आप स्टॉक्स की खरीद-बिक्री कर सकते हैं. ये मात्र एक गेम होता है और इसपर हुई खरीद-फ़रोख्त असली नहीं होती. लेकिन ये ऐप्स जिस डेटा का इस्तेमाल करते आ रहे हैं, वो रियल-टाइम शेयर्स का डेटा है.
भारत के स्टॉक एक्सचेंज की डेटा यूनिट ने नोटिस के ज़रिए इन ऐप्स से हुए नुकसान की भरपाई की मांग भी की है. योरस्टोरी को मिली नोटिस की प्रति के मुताबिक़, इसमें बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन (violation of intellectual property rights), राजस्व में घाटा और प्रतिष्ठा को नुकसान जैसी चीजें शामिल हैं.
NSE के नोटिस के मुताबिक़, नुकसान की भरपाई के लिए कुल 10 करोड़ रुपयों की मांग की गई है.
नोटिस के ज़रिए NSE ने कहा है, "...आप एक ऐसे डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं जो NSE के रियल-टाइम डेटा के हूबहू है. इसका इस्तेमाल आप कमर्शियल स्तर पर वर्चुअल ट्रेडिंग, गेमिंग और स्टिमुलेशन के लिए कर रहे हैं और इस झूठ को प्रसारित कर रहे हैं कि आपको इस डेटा का इस्तेमाल करने की आधिकारिक इजाज़त है."
इस नोटिस के भेजे जाने के बाद स्टॉक ट्रेड गेमिंग सेक्टर पर लगाम लग सकती है. ये सेक्टर कई दिनों से अंधेरे में काम कर रहा था. पहले भी NSE ने इसके विरोध में आवाज़ उठाई थी, जिसके बाद ऐसे कुछ ऐप्स बंद होने की ओर बढ़े थे. लेकिन इस नोटिस के बाद ठोस एक्शन होने की संभावना जागती है.
NSE के एक सूत्र ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर योरस्टोरी को बताया, "स्टार्टअप्स के रीसर्च और ज्ञानवर्धन के लिए जहां NSE अपना डेटा साझा करने को राज़ी है, गेमिंग और कमर्शियल स्तर पर इस्तेमाल किए जाने पर उसे गहरी आपत्ति है."
"कई ऐप्स एजुकेशन के नाम पर ये डेटा लेते हैं पर इनका इस्तेमाल गेमिंग, जुआ और सट्टेबाज़ी से पैसे कमाने के लिए करते हैं. इसके लिए वे आधिरिक डेटा ही लेते हैं जिसकी कोई कागज़ी लिखा-पढ़ी इनके पास नहीं होती है", सूत्र ने कहा.
NSE ने इन कंपनियों से मांग की है कि अपने डेटा सोर्स की जानकारी दें. इसके साथ ही NSE के साथ एक अग्रीमेंट के ज़रिए गैरकानूनी प्रॉफिट कमाने और NSE के डेटा का गलत इस्तेमाल करने का मुआवज़ा भरें. इसके साथ ही ये साफ़ किया है कि उनके निर्देश न मानने की सूरत में कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
योरस्टोरी ने इन कंपनियों के नामों की तस्दीक के लिए NSE को एक ईमेल लिखा है जिसपर हमें जवाब नहीं मिला है. हमने ऐसी कुछ कंपनियां जैसे, ज़ीटॉक्स (Ztocks), थ्रीडॉट्स (Threedots), स्टॉकट्राय (Stocktry), बुलस्प्री (Bullspree), स्टॉकग्रो (Stockgro), स्टॉक्सइलेवेन (Stockz11) और डीस्ट्रीट फाइनेंस (Dstreet Finance) से ईमेल के ज़रिए नोटिस के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया है लेकिन इन कंपनियों का भी कोई जवाब नहीं आया है.
हमने ड्रीमइलेवेन (Dream11) ऐप से भी संपर्क किया. उनके प्रवक्ता ने हमें बताया कि उनका इन्वेस्ट्रो (Investro) प्लेटफ़ॉर्म एक 'एजुकेशनल' ऐप है और अभी अपने लॉन्च के बीटा स्टेज में है. हालांकि NSE से नोटिस मिलने के संबंध में उन्होंने टिप्पणी करने से मना कर दिया है. वहीं फैंटेसी ट्रेडिंग लीग (Fantasy Trading League) के प्रवक्ता ने ऐसा कोई नोटिस मिलने की बात को नकार दिया है.
कैसे काम करता है फैंटेसी स्टॉक ट्रेडिंग
वर्चुअल यानी कृत्रिम (नकली या आभासी) स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करने करने के लिए यूजर 10 रुपये जैसी मामूली फीस भरकर खेलना शुरू कर सकते हैं. ये प्लेटफ़ॉर्म असल स्टॉक मार्केट की मूवमेंट और एक्सचेंज जैसे डेटा पर चलते हैं. यहां आप नकली पैसों से वर्चुअल स्टॉक खरीद सकते हैं, पोर्टफ़ोलियो बना सकते हैं और दूसरों से कॉम्पटीशन कर सकते हैं.
हालांकि इसमें असल शेयर और पैसे शामिल नहीं होते, एक एंट्री फीस को छोड़कर. लेकिन असल स्टॉक मार्केट डेटा इस्तेमाल होता है जिसपर NSE को आपत्ति है.
अक्सर यहां के कृत्रिम पोर्टफ़ोलियो बिलकुल असल स्टॉक मार्केट पर होने वाले एक्सचेंज की तरह परफॉर्म करते हैं.
ये रियल टाइम या पुराना डेटा लगभग 30 ऐसे वेंडर्स जिनको इसका इस्तेमाल करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है या खुद स्टॉक एक्सचेंज से मिल जाता है. लाइव डेटा एक्सेस करने का दाम लगभग 40 लाख प्रति 6 महीने पड़ता है. वहीं अगर इसे 5 मिनट की देरी से एक्सेस किया जाए तो ये दाम महज़ 2 लाख प्रति 6 महीने हो जाते हैं.
अगर ये गेमिंग ऐप्स ये डेटा सीधे स्टॉक एक्सचेंज से मांगते हैं तो उन्हें इसकी खरीद में मुश्किल आ सकती है. क्योंकि नियमों के मुताबिक़ ये डेटा खरीदकर वो इसका इस्तेमाल गेमिंग, सट्टेबाज़ी, प्रेडिक्शन या जुएबाज़ी में नहीं कर सकते. जबकि NSE सूत्र के मुताबिक़ इन ऐप्स का व्यापार ही सट्टेबाज़ी पर आधारित होता है.
कुछ कंपनियों को अनुचित लाभ?
NSE की डेटा यूनिट द्वारा भेजे गए नोटिस ने इस बात पर भी सवाल उठाए हैं कि आधिरिक तौर पर उनके डेटा का इस्तेमाल कौन कर सकता है.
नाम न छापने की शर्त पर एक स्टॉक गेमिंग ऐप के फाउंडर कहते हैं, "हो सकता है कोई एजुकेशनल ऐप हो जो स्टॉक मार्केट डेटा का इस्तेमाल लोगों के ज्ञानवर्धन के लिए करता हो. और गेमिंग का फीचर उसने सिर्फ इसलिए जोड़ा हो कि यूजर्स अपना ज्ञान चेक कर सकें. ऐसे में वो कोर्स के पैसे लेते हैं और गेमिंग को मुफ्त रखते हैं. वहीं ऐसा भी हो सकता है कि ऐसा ही दूसरा ऐप गेमिंग और एजुकेशन दोनों का फीचर देता हो, जहां वो एजुकेशन फ्री रखे और गेमिंग के पैसे ले. इसके बारे में आप क्या कहेंगे?"
ऐसी ही एक अन्य ऐप के फाउंडर बताते हैं कि वह कंपनी को बंद करने या किसी और के साथ मर्ज करने पर विचार कर रहे हैं. वो कहते हैं, "हम और पैसे नहीं फूंक सकते. हम वीसी से पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं और लीगल प्रोसेस की फीस बहुत ज्यादा है."
एक पैरेलल मार्केट
फैंटेसी स्टॉक गेमिंग ऐप्स बीते कुछ साल से एक ऐसे 'ग्रे' एरिया में चल रहे हैं जहां कोई नियम-कानून नहीं दिखते हैं.
इसके शुरुआती वर्जन्स में 'इंडियन ट्रेडिंग लीग' जैसे ऐप शामिल हैं. इसे चलाने वाली कंपनी सैमको वेंचर्स (SAMCO Ventures) को स्टार क्रिकेटर कपिल देव एंडॉर्स करते थे, ऐसा ख़बरें कहती हैं. ऐसा ही एक और ऐप था कारोबारी राज कुंद्रा का 'स्टॉक रेस'.
खेलने वाले प्रतिभागियों को 'प्ले पॉइंट्स' खरीदकर या सीधे फीस भर कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेना होता था. स्टॉक में बढ़त या घाटे का सही अनुमान लगाने वाले को कैश प्राइज मिलता था.
आज स्टॉक गेमिंग ऐप बेहतर हो गए हैं. वहीं कोविड-19 के दौर में युवाओं के बीच बढ़ने वाली पैसों के मामलों की समझ, अपने पैसे कमाने की इच्छा और अपना पोर्टफ़ोलियो बेहतर करने चाह ने उन्हें इन गेम्स की तरफ ले जाने में अपनी भूमिका निभाई है.
भारत में अलग-अलग राज्यों में गेमिंग और गैंबलिंग ऐप्स को लेकर अलग-अलग नियम हैं. ऐसे में इन ऐप्स को सेबी (SEBI) के नियमों के साथ-साथ राज्यों के नियमों का पालन भी करना पड़ता है. कई राज्यों में इन्हें अलग से लाइसेंस भी लेना पड़ सकता है.
सेबी ने न ही कभी इन ऐप्स पर बैन लगाया है, न ही इन ऐप्स के इन्वेस्टर या कस्टमर को किसी भी तरह की अनुचित प्रैक्टिस से बचाने के लिए कोई नियम बनाए हैं. हालांकि 2016 में ITL और स्टॉक ट्रेड की सफलता के बाद सेबी ने एक नोटिस जारी किया था. जिसमें 'खरीददारों' के लिए ये 'चेतावनी' दी गई थी कि सेबी न इन ऐप्स को मंज़ूरी या बढ़ावा देता है, न ही इनपर होने वाले एक्सचेंज को कोई मान्यता देता है.
सेबी ने उस वक़्त ये भी साफ़ किया था कि इन ऐप्स से निवेशकों के बचाव के लिए सेबी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेगा, न ही इससे जुड़ी किसी तरह की शिकायत पर कोई सुनवाई करेगा. सेबी के नोटिस के मुताबिक़, "स्टॉक ब्रोकर ऐसे किसी गेम, लीग, स्कीम या कॉम्पटीशन में हिस्सा न लें जो इनाम के पैसे, गिफ्ट या मेडल देते हों."
सेबी के इस नोटिस के बाद BSE और NSE, दोनों ने कुछ इसी तरह के नोटिस जारी किए. सेबी ने 2016 में कंसल्टेशन पेपर जारी किए और ऐसे संकेत भी दिए कि इन ऐप्स को बैन कर दिया जाएगा. इसके बाद 2020 में एक बार फिर चेतावनीनुमा एक नोटिस जारी किया.
2016 में 'इंडिया कॉर्प लॉ' में छपे एक पर्चे में वरिष्ठ अधिवक्ता सुमित अगरवाल और सुरभि पुरोहित ने लिखा, "यहां पॉलिसी से जुड़े मसलों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है."
उनके मुताबिक़, "इंटरनेट आधारित इस तरह के गेम्स में नियमित मार्केट को किनारे रखते हुए निवेशकों और मार्केट का अध्ययन करने वालों को एक वैकल्पिक जगह उपलब्ध करवाते हैं." वे आगे लिखते हैं, "नियमित ट्रेडिंग और निवेश का सीधा जुड़ाव असल मार्केट से होता है, जिसपर उनका प्रभाव भी पड़ता है. मगर वर्चुअल गेम्स में ऐसा ऐसा नहीं होता. अगर ये गेम्स इसी तरह बढ़ते गए तो ये एक पैरेलल वर्चुअल अनियमित मार्केट को जन्म देने की ताकत रखते हैं."
नाम न छापने की शर्त पर एक अन्य लीगल एक्सपर्ट इन ऐप्स की कानूनी और परिचालन संबंधी असपष्टता पर जोर देते हैं. वे कहते हैं, "ये महज़ अधिग्रहण का खेल लगता है. मुमकिन है कि ये कंपनियां गेमिंग के ज़रिए अपना यूजर बेस बढ़ा रही हों और बाद में वे इसके ऊपर कोई अन्य प्रोडक्ट ऑफर करने लगें. या फिर खुद एक्वायर हो जाना चाहें. मुझे नहीं लगता कि केवल वर्चुअल ट्रेडिंग के दम पर लंबे समय तक किसी प्रोडक्ट को चलाया जा सकता है."
Edited by Prateeksha Pandey