फूड और बेवरेज सेक्टर में नाइट्रोजन की डिमांड बढ़ने से एयर सेप्रेशन इंडस्ट्री में 5% की वृद्धि
फूड और बेवरेज इंडस्ट्री में में गैस पैकेजिंग, फ्रीजिंग टेक्नोलॉजी और रैपिड रेफ्रिजरेशन में नाइट्रोजन का इस्तेमाल होता है इसलिए नाइट्रोजन की डिमांड बढ़ी है. नाइट्रोजन की डिमांड बढ़ना भी एक प्रमुख फैक्टर है जिसकी वजह से एयर सेप्रेरेशन इंडस्ट्री मे उछाल आया है.
वर्तमान समय में वैश्विक एयर सेप्रेशन प्लांट मार्केट की क़ीमत 5.9 बिलयन डॉलर है. 2013 से 2021 के बीच में इसमें 4.4% की CAGR (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) की वृद्धि हुई है. वर्तमान समय मे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि भविष्य मे यह बाज़ार 5% की CAGR वृद्धि से 2028 तक 7.9 बिलयन डॉलर का हो जायेगा. एयर सेप्रेशन प्लांट की मांग इसलिए बढ़ गई है क्योंकि फूड और बेवरेज, तेल और गैस, आयरन और स्टील सेक्टर जैसे कई अन्य सेक्टर में नाइट्रोजन और अन्य गैसों की मांग बढ़ी है इसलिए एयर सेप्रेशन का बाज़ार उन्नति की राह पर है.
आपको बताते चलें कि एयर सेप्रेशन प्लांट एक ऐसी मशीन होती है जिसके जरिए वातावरण की हवा मे मौजूद अन्य गैसों को अलग किया जाता है ताकि इन गैसों का इस्तेमाल अन्य चीजों के लिए किया जा सके. उदाहरण के लिए, वातावरण की हवा मे आक्सीजन, नाइट्रोजन और ऑर्गन होती है. इन सेप्रेशन प्लांट में इन गैसों को जरूरत के अनुसार अलग किया जाता है. सेप्रेशन प्लांट क्रायोजेनिक और नॉन-क्रायोजेनिक हो सकते हैं. क्रायोजेनिक मॉडल अपने उच्च स्तर की शुद्धता के लिए प्रसिद्ध हैं, अक्सर इसमें 99% से भी ज्यादा शुद्धता से गैसों को अलग किया जाता है. वहीं नॉन-क्रायोजेनिक सेप्रेशन प्रक्रियाएं सस्ती होती हैं, इसमें नाइट्रोजन और ऑक्सीजन को निकालने पर उनकी केवल 85 प्रतिशत से 95 प्रतिशत तक ही शुद्धता होती है.
वर्तमान समय में एयर सेप्रेशन मार्केट में चीन और अमेरिका का दबदबा है. लेकिन अब एशिया के अन्य हिस्सों जैसे कि जापान और भारत मे भी यह बाज़ार फल फूल रहा है. इसके अलावा उत्तर अमेरिका और यूरोप की भी इस बाज़ार में हिस्सेदारी बढ़ रही है. अगर भारत की बात करें तो यहां पर हाल मे जो प्रोजेक्ट लांच हुए हैं उनसे भारत की छवि एयर सेप्रेशन बाजार के नक्शे पर बढ़ी है. जब से कोविड महामारी आई तब से खास करके एयर प्लांट सेप्रेशन की मांग बढ़ी है. हालांकि कई सर्वे के अनुसार कोविड के अलावा भी कई सारे फैक्टर हैं जिनसे यह बाजार उन्नति कर रहा है.
एयर सेप्रेरेशन बाज़ार की उन्नति का कारण और इस इंडस्ट्री का मूल्यांकन
एयर सेप्रेशन प्लांट इंडस्ट्री में अनुमान है कि 5% CAGR की विकास दर भारत सहित उभरते बाजारों में गतिविधियों से काफी हद तक प्रभावित होगी. इसका मतलब है कि बाजार में कई नई कम्पनियों के आने और मौजूदा ऑपरेटरों द्वारा भारत को अन्य देशों के मुकाबले एक प्रमुख हिस्सेदार बनाने के लिए विस्तार किया जा रहा है. भारत में केंद्र और राज्य सरकारों का समर्थन भी काबिलेतारीफ़ है. सरकारों द्वारा संयुक्त उद्यम, स्थानीय बाजार को बढ़ावा देना, और आम तौर पर व्यापार करने में आसानी में सुधार करना आदि विभिन्न तरह के सहयोग से एयर सेप्रेशन मार्केट मे भारत का दबदबा बढ़ेगा.
फूड और बेवरेज इंडस्ट्री में में गैस पैकेजिंग, फ्रीजिंग टेक्नोलॉजी और रैपिड रेफ्रिजरेशन में नाइट्रोजन का इस्तेमाल होता है इसलिए नाइट्रोजन की डिमांड बढ़ी है. नाइट्रोजन की डिमांड बढ़ना भी एक प्रमुख फैक्टर है जिसकी वजह से एयर सेप्रेरेशन इंडस्ट्री मे उछाल आया है. उदाहरण के लिए एक चिप्स के पैकेट में बहुत सारी जगह खाली रहती है. क्या आपको पता है चिप्स में जो हवा भरी रहती है वह नाइट्रोजन रहती है.
नाइट्रोजन को इसलिए भरा जाता है क्योंकि इससे चिप्स ख़राब नही होता है और वे ताजे बने रहते हैं. फूड प्रोसेसिंग के लिए नाइट्रोजन बहुत उपयोगी होती है. नाइट्रोजन किण्वन के साथ-साथ परत लगने वाले टैंकों को कम करने के लिए जानी जाती है.
नाइट्रोजन एक अक्रिय गैस भी है. इसी वजह से यह फूड पैकेजिंग इंडस्ट्री में हवा को बाहर रखने और यथासंभव ऑक्सीकरण को कम करने के लिए बहुत उपयोगी होती है. यह शेल्फ लाइफ को बढ़ाने और खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता और स्वाद को बनाए रखने में मदद करती है. भारत में नाइट्रोजन की इस बढ़ती मांग के कारण बाजार की विकास दर दोगुनी हो गई है. वर्तमान में यह विकास दर सालाना 11.2 प्रतिशत है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 'मेक-इन-इंडिया' अभियान विशेष रूप से फूड और बेवरेज सेक्टर मे चलने से एयर सेप्रेशन प्लांट बाजार में वृद्धि देखने को मिली है.
भविष्य के लिए उपयोग एयर सेप्रेशन प्लांट का उपयोग
जैसे जैसे जनसंख्या में वृद्धि होगी वैसे वैसे फूड, बेवरेज और अन्य उत्पादों की मांग बढ़ेगी. इसके अलावा आयरन और स्टील प्रोडक्ट की मांग में वृद्धि होने की संभावना है क्योंकि वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है, इस वजह से नाइट्रोजन की मांग में वृद्धि होगी. यह देखना दिलचस्प होगा कि मांग बढ़ने पर दुनिया कैसी प्रतिक्रिया देती है. इस क्षेत्र के उत्पादकों और कम्पनियों को बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उम्मीदों पर खरा उतरने और उत्पादन में तेजी लाने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना है कि ये महत्वपूर्ण गैसें जिनको ज़रूरत है, हर कीमत पर उन्हें उपलब्ध हों.
बैनर तस्वीर: Claind
(लेखक अमित साहनी Absstem Industrial Solutions Pvt. Ltd के सीईओ हैं.)
Edited by रविकांत पारीक