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बाबुल सुप्रियो को हुआ सफ़ेद बाघ से प्यार

बाबुल सुप्रियों ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मुकुंदपुर में दुर्लभ प्रजाति के सफ़ेद बाघ के दीदार किये और उन्होंने इस शानदार वन्यप्राणी की शान में मशहूर गीत ‘कहो ना प्यार है’ गुनगनाया

बाबुल सुप्रियो को हुआ सफ़ेद बाघ से प्यार

Saturday June 04, 2016 , 2 min Read

केन्द्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री और जानेमाने पार्श्व गायक बाबुल सुप्रियो ने मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मुकुंदपुर में दुर्लभ प्रजाति के सफ़ेद बाघ के दीदार किये और उन्होंने इस शानदार वन्यप्राणी की शान में मशहूर गीत ‘कहो ना प्यार है’ गुनगनाया।

सुप्रियो ने प्रदेश के उर्जा एवं जनसंपर्क मंत्री राजेन्द्र शुक्ल के साथ रीवा जिले के मुकुंदपुर में स्थित ‘मोहन व्हाइट टाइगर सफारी’ का कल भ्रमण किया और सफ़ेद बाघ के दीदार किये। सफ़ेद बाघ को देखना कैसा अनुभव रहा के सवाल पर सुप्रियो ने संवाददाताओं से सामने मशहूर गीत ‘कहो ना प्यार है’ का मुखड़ा गाकर सुनाया।

केन्द्र की मोदी सरकार के दो वर्ष पूरे करने के मौके पर केन्द्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह रीवा में कल कई कार्यकमों में शामिल हुए। इस दौरान वह रीवा जिले में स्थित मुंकुंदपुर की मोहन व्हाइट टाइगर सफारी भी गये और वहां सफ़ेद बाघ को देखा।

सुप्रियो ने शुक्ल और प्रदेश के अधिकारियों द्वारा विंध्य के गौरव सफ़ेद बाघ को इस क्षेत्र में पुर्नस्थापित करने के लिए व्हाइट टाइगर सफारी के निर्माण हेतु किये गये प्रयासों की तहे-दिल से सराहना करते हुए कहा, ‘‘सफारी में प्रवेश करते ही सफ़ेद शेर (घ) को सामने देखना वाकई में एक रोमांचकारी अनुभव था।’’

बाबुल सुप्रियो ने कहा, ‘‘मुझे इस जानकारी ने काफी प्रभावित किया कि सफ़ेद बाघ मूल रूप से विंध्य क्षेत्र का वन्यप्राणी है और किस प्रकार रीवा के पूर्व महाराजा मार्तण्ड सिंह ने पहले सफ़ेद बाघ मोहन को पकड़ा और पाला था। इसके बाद उन्होंने सफ़ेद बाघों का यहाँ संरक्षण किया और दुनिया के कई हिस्सों ने इस नस्ल के बाघों को यहाँ से भेजा।’’

वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, सफ़ेद बाघों की उत्पत्ति विंध्य के रीवा जिले से मानी जाती है। यहाँ के राजा मार्तण्ड सिंह को 1951 में पहला सफ़ेद बाघ (मोहन) मिला था और आज दुनिया में जितने भी सफ़ेद बाघ हैं, उन्हें उसी मोहन का वंशज बताया जाता है। वक़्त गुज़रने के साथ विंध्य क्षेत्र सफ़ेद बाघ विहीन हो गया। बीते कुछ वर्षों में चली कोशिशों ने अंतत: मुकुंदपुर व्हाइट टाइगर सफारी का रूप लिया है। (पीटीआई)