देश की प्रगति के लिए एक दूसरे की परंपराओं, नज़रिए का सम्मान हो : प्रधानमंत्री
भाषा ‘असहिष्णुता’ पर बहस के बीच शांति, एकता और सौहार्द पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से एक दूसरे की परंपराओं और नजरिये का सम्मान करने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना विकास में बाधा डाल सकता है।
प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युवा महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा,
‘‘हमारा विविधता वाला देश है। यह हमारी सबसे बड़ी शक्ति है। सौहार्द हमारी शक्ति है।’’
उन्होंने रेखांकित किया कि उनकी सरकार देश के विकास के लिए काम कर रही है। मोदी ने कहा, ‘
अगर हम सौहार्द, जुड़ाव भावना बनाकर नहीं रखेंगे तो हम प्रगति नहीं कर पाएंगे। अगर एकता और सौहार्द नहीं होगा, अगर हम एक दूसरे की परंपराओं और नजरिये का सम्मान नहीं करेंगे तो विकास की राह में व्यवधान आ सकता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर शांति, एकता और सौहार्द नहीं होगा तो समृद्धि, संपन्नता और रोजगार सृजन का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
उन्होंने स्वामी विवेकानंद की जयन्ती के मौके पर युवाओं से कहा, ‘‘इसलिए यह समय की मांग है कि हम शांति, एकता और सौहार्द बनाकर रखें। ये देश की प्रगति के लिए गारंटी है।’’ मोदी ने कहा कि भारत ने विश्व को दिखाया है कि सैकड़ों भाषाओं, अलग अलग क्षेत्रों और इतनी विविधता वाला देश शांति के साथ रह सकता है।
उन्होंने इस संबंध में विवेकानंद की शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा,
यह हमारी संस्कृति है.. हम इस संस्कृति में पले बढ़े हैं.. हमें इसे बचाकर रखना है। हमें एकता बढ़ानी है और सौहार्द का सेतु मजबूत करना है।
कुछ महीने पहले गौमांस खाने की अफवाहों पर उत्तर प्रदेश के दादरी में एक मुस्लिम व्यक्ति की हत्या के बाद शुरू ‘असहिष्णुता’ पर बहस के बीच, प्रधानमंत्री की ये टिप्पणियां महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।