हरप्रीत ने किया नेचर से टेक्नोलॉजी को जोड़ने का आविष्कार
पटियाला (पंजाब) के युवा इंजीनियर हरप्रीत सिंह सरीन के मौसम बताने वाले उपकरण को गूगल के सुंदर पिचाई ने न्यूयार्क स्थित मुख्यालय में लांच किया है। माइक्रोसॉफ्ट के दिल्ली में आयोजित 'इमेजिन कप' में शामिल 85 हजार प्रोजेक्ट्स में भी हरप्रीत टॉप थ्री रहे थे। उन्होंने ब्लाइंड लोगों के लिए भी एक अनोखे साफ्टवेयर का आविष्कार किया है।
समाज में निर्माण और विध्वंस करने वाली दोनो तरह की प्रतिभाएं होती हैं। एक ओर तो हरप्रीत सिंह सरीन जैसे लोग वहां रहते हैं, दूसरे ऐसे लोग भी, जो वहां भी खुराफातों से बाज नहीं आते हैं।
पटियाला (पंजाब) के फुलकियां एन्क्लेव निवासी कंप्यूटर इंजीनियर हरप्रीत सिंह सरीन ने न्यूयार्क स्थित गूगल दफ्तर में आवाज से कंट्रोल होने वाला एक ऐसा ऑटोमैटिक उपकरण तैयार किया है, जो गूगल के एक्सपेरीमेंटल प्रोजेक्ट के तहत बॉक्स के अंदर किसी की आवाज सुनकर दुनिया भर का मौसम दर्शाने लगता है। इस 'ओएसिस' नामक प्रोजेक्ट को न्यूयार्क स्थित गूगल के ऑफिस में सीईओ सुंदर पिचाई लांच कर चुके हैं। ये प्रोजेक्ट नेचर और टेक्नोलॉजी को एक साथ लाता है। इस प्रोजेक्ट को गूगल के टूल्स जैसे डायलॉग-फ्लो और क्लाउड पब-सब के साथ बनाया गया है। हरप्रीत सिंह सरीन के पिता सुरिंदरपाल सिंह सरीन भी पंजाब सरकार से इंजीनियर के रूप में रिटायर हो चुके हैं। उनकी मां स्कूल में टीचर हैं। हरप्रीत की स्कूलिंग अवर लेडी फातिमा स्कूल से हुई है। इसके बाद पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला से उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक में बी. टेक किया।
इसके बाद वह पढ़ाई के लिए न्यूयार्क चले गए। वहां से उन्होंने मास्टर फॉर एमआईटी की। इस साल अभी कुछ ही महीने पहले वह गूगल से जुड़े हैं। पंजाब की धरती सरीन जैसे तकनीकी हुनरमंदों से भरी पड़ी है। वहां के ऐसे विशेषज्ञ पूरी दुनिया के साथ पंजाब में भी नाम रोशन कर रहे हैं। लुधियाना की एक फैक्ट्री में जॉब कर अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत करने वाले प्रीतम सिंह कुलार भी एक ऐसे ही होनहार हैं। वह जिस फैक्ट्री में नौकरी की, उसी को अपनी बनाई मशीनें बेचने लगे। यद्यपि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनको साइकिल इंडस्ट्री में टेक्नोक्रेट का खिताब मिल चुका है। इससे पहले देश की साइकिल कंपनियां रिम बनाने के लिए विदेशी मशीनें इस्तेमाल करती थीं। कुलार ने अपने भाइयों के साथ मिलकर इंडस्ट्री के लिए रिम बनाने वाली आधुनिक मशीन का आविष्कार किया। उसके बाद से अब तक इंडस्ट्री उन्हीं घरेलू मशीनों पर रिम बना रही है। इस आविष्कार के लिए कुलार की पूरे विश्व में पहचान बन चुकी है।
हरप्रीत सिंह सरीन बताते हैं कि यह 'ओएसिस' प्रोजेक्ट एक तरह का ऑटोमैटिक एयर सिस्टम है। इससे दुनिया के किसी भी देश के मौसम को लेकर सवाल किए जा सकते हैं, जिससे देश के मौसम के मुताबिक वातावरण बदल सकता है। बादल के साथ बारिश है तो बॉक्स में बादल के साथ बारिश शुरू हो जाएगी। धूप खिली है तो धूप निकल आएगी। उल्लेखनीय है कि पंजाब के युवा समय-समय पर अपने इस तरह के कामों से देश-दुनिया को चमत्कृत करते रहते हैं। हरप्रीत सिंह सरीन जिन दिनो पटियाला में बी-टेक कर रहे थे, पढ़ाई के दौरान तभी से वह ब्लाइंड लोगों के लिए एक खास तरह के एटीएम प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं। इन खास तरह की उपलब्धियों के लिए हरप्रीत सिंह सरीन को अभी हाल ही में कीनिया में आयोजित एक प्रोग्राम में वर्ल्ड सिख पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह अवार्ड कीनिया के उपराष्ट्रपति ने दिया।
यह पुरस्कार हर साल दुनिया भर में बसे सिखों में से किसी एक ऐसे व्यक्ति को दिया जाता है, जिसने दुनिया के लिए कोई अनोखा आविष्कार किया हो। सरीन को यह अवार्ड साइंस एवं आईटी में उनकी अनोखी कामयाबी के लिए दिया गया है। इस सम्मान समारोह में पटियाला से उनके माता-पिता भी भाग लेने के लिए कीनिया पहुंचे। कार्यक्रम के दौरान दोनो ने लोगों के साथ अपने फोटो भी शेयर किए। गूगल ने अपनी वेबसाइट पर इस पूरे प्रोग्राम का वीडियो भी अपलोड किया है जिसमें दंपति कभी सैन फ्रांसिस्को तो कभी दुनिया के दूसरे देशों का नाम लेकर वहां के मौसम के बारे में सवाल कर रहे हैं? इस अवार्ड प्रोग्राम में ही सरीन ने यहां दुनिया भर से इकट्ठे सिखों के सामने खुलासा किया कि इसी साल गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने इसे न्यूायार्क में लांच किया था।
समाज में निर्माण और विध्वंस करने वाली दोनो तरह की प्रतिभाएं होती हैं। एक ओर तो हरप्रीत सिंह सरीन जैसे लोग वहां रहते हैं, दूसरे ऐसे लोग भी, जो वहां भी खुराफातों से बाज नहीं आते हैं। अभी पिछले दिनो ही अमेरिका की न्यूजर्सी स्थित रूटर यूनिवर्सिटी के कंप्यूटर नेटवर्क पर एक साथ कई साइबर हमले करने के लिए एक भारतीय को 8.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 59 करोड़ रुपये) चुकाने पड़े। उसको घर में नजरबंद कर दिया गया। वह युवक और कोई नहीं, बल्कि न्यूजर्सी में रहने वाला 22 वर्षीय भारतीय पारस झा है। उसको अमेरिकी जिला न्यायाधीश माइकल शिप ने कंप्यूटर फ्रॉड और दुर्व्यवहार अधिनियम का उल्लंघन करने का दोषी करार दिया है। पारस ने क्लिक फ्रॉड वाले बॉटनेट बनाने में हिस्सा लिया था, साथ ही उसने वायरस वाले सॉफ्टवेयर के जरिये हजारों डिवाइसों को नुकसान पहुंचाया।
अदालत ने उसको ढाई हजार घंटों तक सामुदायिक सेवा करने का भी आदेश दिया है। इन हमलों से विश्वविद्यालय का केंद्रीय प्रमाणीकरण सर्वर बंद कर दिया गया, जिससे काफी समय तक यूनिवर्सिटी का काम ठप रहा। पारस अपने तीन साथियों के साथ मिलकर अमेरिका में कई अन्य जगहों पर भी साइबर हमले कर चुका है। दूसरी तरफ निर्माण में जुटे हरप्रीत सिंह सरीन अब ब्लाइंड लोगों के लिए वह साफ्टवेयर भी तैयार कर चुके हैं, जिसके जरिये कलर ब्लाइंडनेस के शिकार लोग भी कंप्यूटर सेट पर रंगों की पहचान कर सकते हैं। गौरतलब है कि लगभग चार साल पहले दिल्ली में आयोजित माइक्रोसॉफ्ट के 'इमेजिन कप' में 85 हजार प्रोजेक्ट्स का जब प्रदर्शन किया गया था, जिसमें हरप्रीत सिंह सरीन के प्रोजेक्ट को देश में तीसरा स्थान मिला था।
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