एक बार फिर भारत को 'Hello' बोलेंगे ऑरकुट, यूज़र इंटरटेस्ट के हिसाब से बनाएंगे सोशल नेटवर्क
Orkut आया नये रूप में, आप भी कहें Hello!
ऑरकुट अब अपना नया सोशल नेटवर्किंग वेंचर लेकर आए हैं, जिसका नाम है, 'हेलो'। 2016 में इसे ब्राज़ील में लॉन्च किया गया। पहले ही फेज़ में ब्राज़ील में इसे एक मिलियन और भारत में 35,000 हज़ार यूज़र्स मिलें।
मुंबई में आकर ऑरकुट का भारत में तीन हफ़्तों लंबा प्रमोशनल टूर ख़त्म हुआ। मुंबई में 'हेलो' को लेकर भारत में कंपनी की क्या रणनीति होगी, इसपर ऑरकुट ने खुलकर बातचीत की।
लगभग डेढ़ दशक पहले भारत में फ़ेसबुक नहीं, बल्कि ऑरकुट नाम की एक सोशल नेटवर्किंग साइट की धूम थी। आपको बता दें कि गूगल के इस वेंचर का नाम, उस शख़्स के नाम पर ही पड़ा था, जिसने इसकी शुरूआत की थी- ऑरकुट बायुकॉकतेन। ऑरकुट अब अपना नया सोशल नेटवर्किंग वेंचर लेकर आए हैं, जिसका नाम है, 'हेलो'। 2016 में इसे ब्राज़ील में लॉन्च किया गया। पहले ही फेज़ में ब्राज़ील में इसे एक मिलियन और भारत में 35,000 हज़ार यूज़र्स मिलें। आपको बता दें कि भारत में यूज़र्स की यह संख्या 'हेलो' ने सिर्फ़ तीन हफ़्तों के भीतर जुटाई है।
मुंबई में आकर ऑरकुट का भारत में तीन हफ़्तों लंबा प्रमोशनल टूर ख़त्म हुआ। मुंबई में 'हेलो' को लेकर भारत में कंपनी की क्या रणनीति होगी, इसपर ऑरकुट ने खुलकर बातचीत की। योर स्टोरी आपके लिए उन सभी ज़रूरी सवालों के जवाब लेकर आया है, जो आपक मन में 'हेलो' का ज़िक्र होने के बाद उमड़ रहे होंगेः
भारत को चुनने के पीछे की वजहः
'ऑरकुट'की शुरूआत जब हुई थी, तब भारत इस सोशल प्लेटफ़ॉर्म का दूसरा सबसे बड़ा मार्केट था। यही वजह है कि ऑरकुट बी. ने वापसी के लिए भारत को चुना। ऑरकुट कहते हैं, 'यूएस और चीन के बाद भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मार्केट है और प्रति व्यक्ति रेवेन्यू भी लगातार बढ़ रहा है।'
फ़ाइनल प्रोडक्ट डिवेलपमेंट से पहले प्रयोग या परीक्षण (बीटा टेस्ट) के लिए कंपनी को लगभग 200 यूज़र्स की ज़रूरत थी, लेकिन पूरे देश से करीब 35,000 डाउनलोड्स का सपोर्ट मिला।
'hello.com'डोमेन कैसे मिला?
2006 में जब गूगल ने 'पिकासा'को ख़रीदा था, तब 'हेलो'उसका फोटोशेयरिंग क्लाइंट था। कुछ समय बाद पिकासा का नाम बदलकर गूगल फोटोज़ हो गया। आपको बता दें कि जब 'हेलो'लॉन्च हुआ, तब गूगल की ओर से भी ऑरकुट को इनवेस्टमेंट मिला था। आरकुट ने बताया कि गूगल से 'हेलो'नाम से ही डोमेन लोने पर सहमति बनी और यह उनके लिए बड़ी बात थी।
'हेलो' में क्या है ख़ास?
सोशल नेटवर्किंग के लिए पहले से ही कई साइट्स और ऐप्स ग्लोबल मार्केट में मौजूद हैं, लेकिन ऑरकुट मानते हैं कि 'हेलो', सोशल नेटवर्किंग स्पेस में एक मिसाल के तौर पर सामने आएगा। फ़ेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम जैसे सबसे बड़े प्रतियोगियों और 'हेलो'के बीच सबसे मूलभूत अंतर पर बात करते हुए ऑरकुट ने बताया कि इन प्लेटफ़ॉर्म्स के माध्यम से आप अपने दोस्तों या सोशल नेटवर्किंग फ़्रेंड्स के साथ ही कॉन्टेन्ट शेयर कर सकते हैं, लेकिन 'हेलो'की मदद से आप अपने इंटरेस्ट के हिसाब से उसके किसी भी यूज़र के साथ कॉन्टेन्ट शेयर कर सकते हैं।
ऑरकुट कहते हैं, 'हेलो'का उद्देश्य ही है कि आपको नए लोगों से जोड़ा जाए। 'हेलो'में हमारे पास एक ख़ास टोपोलॉजी है- हमारे पास कुल 120 इंटरेस्ट कैटेगरीज़ हैं, जिन्हें हम 'पर्सोनाज़'कहते हैं। इन कैटेगरीज़ में आप किसी का भी चुनाव कर सकते हैं और अपने इंटरेस्ट का कॉन्टेन्ट देख सकते हैं, जो शायद आपको अपने सर्कल के फ्रेंड्स से न उपलब्ध हो पा रहा हो।
बीटा टेस्टिंग और शुरूआती रोल-आउट के बाद यह बात समझ आई कि ऐप की फ़ंक्शनिंग काफ़ी जटिल है। इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए ऑरकुट ने समझाया कि फ़ेसबुक और स्नैपचैट जैसे सोशल ऐप्स भी काफ़ी जटिल हैं, लेकिन कुछ वक़्त तक इस्तेमाल करने के बाद लोग इनके साथ काफ़ी सहज हो गए। वह मानते हैं कि 'हेलो'ऐप के साथ सिर्फ़ एक-दो दिन बिताने के बाद ही यूज़र, इसकी फ़ंक्शनिंग को पूरी तरह से समझ जाएगा और अच्छे से इसका इस्तेमाल कर सकेगा। साथ ही, उन्होंने जानकारी दी कि उनका अजेंडा है कि लोकल डिज़ाइनर्स के साथ काम किया जाए, जिनके पास इंडियन प्रोडक्ट्स के यूएक्स/यूआई का अनुभव हो और इसकी मदद से 'हेलो'को इंडियन ऑडियंस के हिसाब से कस्टमाइज़ किया जा सके।
भारत को ग्लोबल सोशल नेटवर्क से जोड़ना
भारतीय मार्केट में अपनी पैठ को गहरा बनाने के लिए ऑरकुट ने जेट सिन्थेसिस को 'हेलो'के लोकल पार्टनर के तौर पर चुना है। जेट सिन्थेसिस, एक तकनीकी और डिजिटल इनोवेशन कंपनी है और अब यह भारत में 'हेलो'के ऑपरेशन्स संभालेगी। जेट सिन्थेसिस एक डिजिटल एंटरटेनमेंट कंपनी है, जो गेमिंग, म्यूज़िक, डिजिटल और सोशल एंटरटेनेंट, आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग टेक्नॉलजी और सेलेब्रिटी वीडियो ब्लॉगिंग (जैसे 100 एमबी का सचिन तेंदुलकर फ़ैन ऐप) के बिज़नेस डिविज़न्स पर काम कर रही है।
ऑरकुट ने बताया, 'सिलिकन वैली एक बहुत ही टाइट ईको-सिस्टम हो चुका है। एक कॉमन फ़्रेंड के माध्यम से हम जेट सिन्थेसिस के संपर्क में आए।' ऑरकुट ने बताया, 'भारत के मोबाइल लैंडस्कोप को ध्यान में रखते हुए हमें किटकिट जितने पुराने ऐंड्रॉयड वर्ज़न्स के लिए सपोर्ट तैयार करना पड़ा और अपने प्लेटफ़ॉर्म को लोअर बैंडविथ के हिसाब से बनाना पड़ा।'
पर्सोनाज़ या इंटरेस्ट कैटेगरीज़ के बारे में बात करते हुए ऑरकुट ने कहा कि प्लेटफ़ॉर्म पर बॉलिवुड और क्रिकेट आदि को ख़ास जगह दी गई है और साथ ही, चाय के क्रेज़ को ध्यान में रखते हुए चाय-लवर नाम से एक अलग पर्सोना तैयार किया गया है। ऑरकुट ने कहा कि 'ऑरकुट'के पुराने यूज़र्स और 'हेलो'के नए यूज़र्स के साथ मिलना बेहद रोमांचक रहा।
डेटा सिक्यॉरिटी की भी पुख़्ता तैयारी
ऑरकुट, 'हेलो'के ईकोसिस्टम में ऐडवरटाइज़िग को लाना चाहते हैं कि लेकिन उनके मन में डेटा सिक्यॉरिटी को लेकर थोड़ी झिझक है। ऑरकुट कहते हैं कि वह अपने यूज़र्से के डेटा को शेयर या सेल नहीं करना चाहते, बल्कि वह इसका इस्तेमाल सिर्फ़ ऐप पर यूज़र्स के एक्सपीरिएंस को बेहतर बनाने के लिए करना चाहते हैं।
फ़ेसबुक और 'हेलो'की ऐड फ़ंक्शनिंग के अंतर के बारे में ऑरकुट ने कहा कि फ़ेसबुक आपके डेटा के माध्यम से यह पता लगाता है कि आप कौन हैं और इस हिसाब से ही सर्फ़िंग के दौरान आपको ऐड दिखाई देते हैं, जबकि 'हेलो'ऐप, किस कॉन्टेन्ट में आपकी रुचि है, इस हिसाब से ऐड दिखाता है। जेट सिन्थेसिस के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ राजन कहते हैं कि यह ज़रूरी नहीं है कि ब्रैंड को सही यूज़र मिले, बल्कि ज़रूरी यह है कि यूज़र को सही ब्रैंड मिले।
'हेलो'ऐप को भारत में जेट सिन्थेसिस के यूज़र बेस का भी बड़ा लाभ मिल सकता है। इस संदर्भ में जेट सिन्थेसिस के प्रेज़िडेंट अनुभव तिवारी कहते हैं कि बतौर कंपनी हमारे बॉलिवुड स्टार्स और खिलाड़ियों आदि से अच्छे संपर्क हैं और इसका लाभ भी 'हेलो'को मिल सकता है।
ऑरकुट की यात्रा में अब कौन से पड़ाव?
ऑरकुट चाहते हैं कि जल्द ही 'हेलो'के ज़रिए यूएस, कनाडा, यूके, फ्रांस, जर्मनी, जापान, कोरिया और सिंगापुर के बाज़ारों तक भी पहुंचा जाए, लेकिन ऑरकुट कहते हैं कि फ़िलहाल उनका पूरा ध्यान भारतीय बाज़ार पर है।
ऑरकुट मानते हैं कि ऑरकुट से जुड़ी सबसे उम्दा चीज़ थी, एक सामुदायिक भावना। उन्होंने कहा, 'ऑरकुट एक ऐसा प्लेटफ़ॉर्म था, जहां पर लोग पूरी आज़ादी के साथ अपनी भावनाएं ज़ाहिर कर सकते थे। हम अब भी उस ही अवधारणा के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक दशक पहले तक हम जिस जेनरेशन को टारगेट कर रहे थे, वर्तमान जेनरेशन उससे पूरी तरह अलग है और हमें बिल्कुल नहीं शुरूआत करनी है।'
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