तिहाड़ जेल में अनोखी पहल, कैदियों को दी जाएगी आर्ट की ट्रेनिंग
देश की सर्वोच्च अदालत ने कई बार जेलों में कैदियों की संख्या कम करने और उनकी हालत सुधारने से संबंधित अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा, लेकिन निराशाजनक बात है कि विचाराधीन कैदियों और दोषियों के बुनियादी हक और मानवाधिकारों पर ध्यान नहीं दिया जाता।
देश की राजधानी दिल्ली की सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में कैदियों के लिए एक अच्छी पहल शुरू हो रह है, जहां कैदियों को दी जाएगी आर्ट की शिक्षा।
ललित कला अकादमी और तिहाड़ प्रशासन मिलकर जेल में चलाएंगे गैलरी, साथ ही तिहाड़ जेल में आर्ट स्कूल भी शुरू हो रहा है जिसमें कैदियों के लिए सालभर ललित कला अकादमी की ओर से वर्कशॉप्स होती रहेंगी।
भारत में कैदियों की हालत काफी बदतर है। जेलों में न जाने कितने ऐसे कैदी हैं जो समुचित पैसों के आभाव में जेलों में सड़ रहे हैं। अधिकतर जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को ठूसं दिया जाता है और मानव अधिकार का भी ध्यान नहीं रखा जाता। देश की सर्वोच्च अदालत ने भी कई बार जेलों में कैदियों की संख्या कम करने और उनकी हालत सुधारने से संबंधित अपने आदेश का पालन सुनिश्चित करने को कहा, लेकिन निराशाजनक बात है कि विचाराधीन कैदियों और दोषियों के बुनियादी हक और मानवाधिकारों पर ध्यान नहीं दिया जाता। हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में सबसे बड़ी जेल तिहाड़ में कैदियों के लिए एक अच्छी पहल शुरू हो रह है जहां कैदियों को आर्ट की शिक्षा दी जाएगी।
तिहाड़ जेल में जल्द ही दो परमानेंट आर्ट गैलरी शुरू हो रही हैं। ललित कला अकादमी और तिहाड़ प्रशासन मिलकर इन गैलरी को चलाएंगे। इसके अलावा तिहाड़ जेल में आर्ट स्कूल भी शुरू हो रहा है, जिसमें कैदियों के लिए सालभर ललित कला अकादमी की ओर से वर्कशॉप होती रहेंगी। अकादमी से जुड़े कलाकार जेल परिसर आकर कैदियों को पेंटिंग करना सिखाएंगे। तिहाड़ समेत देश की कई जेलों में विचाराधीन और दोषी दोनों कैदियों के मौलिक अधिकार और मानवाधिकार का ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसे में तिहाड़ जेल की यह पहल काफी सराहनीय है।
इस पहल के तहत जेल में कैदियों में छिपे आर्ट के हुनर को निखारा जाएगा। ललित कला अकादमी के एडमिनिस्ट्रेटर सी. एस. कृष्णा शेट्टी ने कहा, 'गुस्से, लालच, जलन जैसी बुराइयों की चपेट में लोग क्राइम कर बैठते हैं। मुझे लगता है कि उनमें से कई अफसोस और पछतावे में परेशान रहते हैं। यहां आर्ट काम आ सकती है।' उन्होंने कहा कि इससे कई कैदी यकीनन हुनरमंद भी होंगे और एक आर्ट स्कूल उन्हें बेहतर इंसान बनाने में मदद करेगा। इसी मकसद से हम यहां वर्कशॉप्स का सिलसिला शुरू कर रहे हैं। कैदियों का आर्टवर्क इसके बाद जेल प्रशासन प्रदर्शनी में रखेगा और बेच भी सकेगा।
आर्ट गैलरी की शुरुआत 19 से 25 अगस्त के बीच जेल में एक एग्जिबिशन से हो रही है, जिसमें ललित कला अकादमी की ओर से 20 मशहूर आर्टिस्ट तिहाड़ में करीब 80 कैदियों की एक वर्कशॉप लगाएंगे। ये कैदी सिर्फ तिहाड़ ही नहीं देश की अलग-अलग जेलों के कैदी होंगे। खासतौर पर उन्हें पूरी सिक्योरिटी के बीच लाया जाएगा और जेल में ही इनके रहने का इंतजाम किया जाएगा। इसके बाद कैदियों का बनाया गया आर्टवर्क 25 अगस्त से 1 सितंबर तक ललित कला अकादमी, मंडी हाउस में एक एग्जिबिशन का हिस्सा बनेगा।
तिहाड़ जेल के अंदर दो परमानेंट गैलरी भी खोली जाएंगी। कृष्णा कहते हैं, यहां हर तीन-चार महीने में ललित कला अकादमी में लगने वाली एग्जिबिशन पहुंचेगी ताकि कैदी बाहर के कलाकारों के भावों से भरे आर्टवर्क को देख सकें। कैदियों के लिए आर्ट फिल्म की भी बीच-बीच में स्क्रीनिंग करवाई जाएगी। हमारे समाज में आम आदमी या साधारण अपराधी के लिए जेल का मतलब वह जगह होती है, जहां सजा के लिए शरीर को कष्ट भोगना पड़ता है। शायद इसीलिए अपराधी वहां जाना नहीं चाहता और आम इन्सान जाने के खयाल से भी डरता है, लेकिन मानव अधिकार के मुताबिक हर इंसान को जिंदगी के कुछ मूलभूत अधिकार तो मिलने ही चाहिए। ऐसे में तिहाड़ जेल का यह कदम काफी सकारात्मक है।
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