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सोलर एनर्जी स्टार्टअप से सुभग ने कमाए 20 करोड़

सोलर एनर्जी स्टार्टअप से सुभग ने कमाए 20 करोड़

Saturday October 27, 2018 , 6 min Read

सोलर एनर्जी के क्षेत्र में 'कहो' स्टार्टअप से छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, अरुणाचल, नॉर्थ ईस्ट तक अपनी पहुंच बना चुके सुभग जैन दो वर्षों में भी बीस करोड़ रुपए की कमाई कर चुके हैं। उनकी नजर देश के पिछड़े एवं अत्यंत अविकसित क्षेत्रों पर है।

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सोलर एनर्जी सेक्टर में टाटा पावर जैस बड़े प्लेयर तो काम कर ही रहे हैं, रिन्युएबल एनर्जी में बढ़ते मौके और जरूरतों को देख मायसन, 8-मिनट और ऊर्जा जैसे स्टार्टअप भी इंडस्ट्री में पैर जमाते जा रहे हैं।

दुनिया भर में आज जिस तरह सौर ऊर्जा को लेकर तमाम गतिविधियां चल रही हैं, इस क्षेत्र में अपार कारोबारी संभावनाएं पैदा हो गई हैं। इसी संभावनाशील क्षेत्र में नवोदित बिजनेसमैन सुभग जैन ने अपने 'कहो' नामक सोलर एनर्जी स्टार्टअप से कुछ ही वक्त में लगभग बीस करोड़ रुपए कमा लिए हैं। उनकी कंपनी अब छत्तीसगढ़, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, नॉर्थ ईस्ट और राजस्थान में अपनी पहुंच बना चुकी है। सौर ऊर्जा का दोहन और इसका इस्तेमाल लगातार सरल होता जा रहा है। इसके लिए नई-नई तकनीकों को इजाद किया जा रहा है। करियर और कारोबार की दृष्टि से भी यह क्षेत्र काफी संभावनाशील हो गया है। यही कारण है कि यहां नौकरी के साथ-साथ स्टार्टअप की दृष्टि से भी इसका क्षितिज व्यापक हुआ है।

देश के विभिन्न राज्यों को सौर ऊर्जा क्षेत्र में प्रशिक्षित करने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी, राष्ट्रीय उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय विकास संस्थान आदि में कोर्स चलाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि सौर ऊर्जा क्षेत्र स्टार्टअप के लिए आज सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो चला है। सौर ऊर्जा और इंडस्ट्री से ताल्लुक रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के भारत दौरे से सौर ऊर्जा सेक्टर में नई क्रांति का संदेश मिला है। फ्रांस इस मामले में दुनिया का अग्रणी देश है। अगर फ्रांस यहां अपनी नई तकनीक लेकर आता है और यहां निवेश करता है तो इससे रोजगार की संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, सौर ऊर्जा के दोहन के क्षेत्र में बड़ी मदद मिलेगी।

सोलर एनर्जी सेक्टर में टाटा पावर जैस बड़े प्लेयर तो काम कर ही रहे हैं, रिन्युएबल एनर्जी में बढ़ते मौके और जरूरतों को देख मायसन, 8-मिनट और ऊर्जा जैसे स्टार्टअप भी इंडस्ट्री में पैर जमाते जा रहे हैं। हमारे देश के जहां ज्यादातर बड़े शहरों में बिजली मूलभूत आम जरूरत बन चुकी है, अभी भी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां बिजली लग्जरी आवश्यकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए सुभग जैन के वर्ष 2012 में शुरू हुए स्टार्टअप 'कहो' ने छोटे इलाकों की बिजली संबंधी परेशानियां जानने-समझने के बाद सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हाथ डाला। सोलर इलेक्ट्रिफिकेशन में उनका पहला टारगेट बने देश के नक्सल प्रभावित इलाके, जहां ग्रिड इलेक्ट्रिसिटी स्थिर रूप से मौजूद नहीं है। इसके लिए 'कहो' स्टार्टअप ऑफ ग्रिड या स्टैंड अलोन सोलर लाइट, इनवर्टर और टीवी जैसे प्रोडक्ट बना रहा है।

इन्हें बनाने के लिए कंपनी लिथियम आयन बैटरी भी अपने नोएडा प्लांट में ही मैन्यूफैक्चर कर रही है। इस सेटअप की मदद से बैटरी सोलर पावर को सेव कर लेती है और इसे जरूरत पड़ने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। 'कहो' स्टार्टअप ब-2-बी बिजनेस मॉडल पर काम कर रहा है। फिलहाल, कंपनी सिर्फ सरकारी प्रोजेक्ट्स पर टेंडर के जरिए काम कर रही है। वह सरकार की सौभाग्य योजना और दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत अब तक करीब पचास हजार लोगों तक बिजली की सुविधा पहुंचा चुकी हैं।

एक वक्त था, जब सुभग जैन के 'कहो' ने भी फंडिंग के लिए अन्य स्टार्टअप की तरह बैंकों का रुख किया लेकिन कोलैटरल न होने की वजह से उन्हें परेशानी झेलनी पड़ी। इससे कंपनी की ग्रोथ की रफ्तार धीमी पड़ने लगी। पूंजी की परेशानी से उबरने के लिए कंपनी अब वेंचर कैपिटलिस्ट को अप्रोच कर रही है, साथ ही इक्विटी फंडिंग के भी रास्ते पर जाने की सोच रही है। कंपनी का साल दर साल रेवेन्यू दोगुना होता जा रहा है। इतना ही नहीं, इसे चारगुना करने का लक्ष्य है। इसी मकसद से कंपनी भारतीय रेलवे के साथ भी काम करने की तैयारी में है। गौरतलब है कि बैटरी मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर सेटअप तक के कारोबार में अच्छी खासी पूंजी की जरूरत पड़ती है। सुभग जैन 'कहो' की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में अब तक लगभग डेढ़ करोड़ निवेश कर चुके हैं।

इस निवेश की ज्यादातर पूंजी बैटरी बनाने में जा रही है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में दुनि‍या लगातार तरक्‍की कर रही है। दुनि‍याभर के वि‍शेषज्ञ यह मानते हैं कि‍ आने वाला वक्‍त सौर ऊर्जा की है। यह तेजी से पॉपुलर हो रहा है मगर इसके बारे में लोगों को बहुत कम जानकारी है, लोग केवल इतना जानते हैं कि‍ सूरज की रोशन से बि‍जली पैदा की जाती है और यह बहुत महंगा और झंझट भरा काम है। मगर सच्‍चाई ये है कि‍ सौर ऊर्जा पैदा करना और यूज करना अब लगातार आसान होता जा रहा है। इस क्षेत्र में लगातार नई तकनीक आ रही हैं। अगर आप करि‍यर बनाने को लेकर संजीदा हैं तो सौर ऊर्जा का ये कोर्स आपकी बहुत मदद कर सकता है। आप नौकरी कर सकते हैं और खुद का बि‍जनेस भी शुरू कर सकते हैं।

नेशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी एडवांस सोलर प्राफेशनल कोर्स करवाता है। इसमें सौर ऊर्जा की बारीकि‍यां सि‍खाई जाती हैं। इसमें आज की तकनीक से रूबरू कराया जाता है। इसमें Solar Photovoltaic technologies, ऑन ग्रि‍न ऑफ ग्रि‍ड सि‍स्‍टम, सोलर थर्मल टेक्नोलॉजी, लो टेंपरेचर हाई टेंपरेचर, सोलर रि‍सोर्स मैनेजमेंट, मैनेजमेंड एंड बि‍जनेस इंटरप्रि‍न्‍योरशि‍प जैसे टॉपि‍क कवर करवाए जा रहे हैं। यह कोर्स हरि‍याणा के गुड़गांव में इंस्‍टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी करा रहा है। बाहरी छात्रों के लि‍ए यहां ठहरने के भी इंतजाम हैं। छह माह के कोर्स की फीस 55 हजार रुपए है। इसके अलावा फीस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी भी लगता है। यहां कुल 40 सीटे हैं, जो पहले आओ पहले पाओ के आधार पर भरी जाती हैं।

वि‍ज्ञान में सामान्‍य ग्रेजुएट छात्र भी दाखि‍ला ले सकते हैं। आवेदन ज्‍यादा होने पर छात्रों का चयन इंटरव्यू के जरि‍ए कि‍या जाता है। दिल्ली-एनसीआर के युवाओं में सौर ऊर्जा के प्रति विशेष उत्साह देखा जा रहा है। यह साइबर सिटी इक तरह से देश का बड़ा स्टार्टअप हब है। यहां पर अभी आइटी, ई-कॉमर्स और हेल्थ सेक्टर के स्टार्टअप की भरमार है। स्टार्टअप से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में गुरुग्राम सोलर एनर्जी स्टार्टअप का भी हब बनने जा रहा है। वर्ष 2022 तक भारत रिन्युएबल सोर्स से 175 गीगावाट बिजली पैदा करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुका है, जिसमें से 100 गीगावाट बिजली सोलर एनर्जी से पैदा होने की संभावना है। इससे यह तय है कि इस क्षेत्र में नए कारोबारी अवसर और रोजगार का व्यावक सृजन होने जा रहा है।

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