भारतीय स्लीपवियर मार्केट में अपने ख़ास प्रोडक्ट्स से अलग पहचान बना रहा यह स्टार्टअप ब्रैंड
तन्वी गोयनका सेखसरिया और उनके रिश्तेदार विश्वांशु अग्रवाल ने मिलकर 2015 में ‘मिस्टेयर पैरिस’ नाम से एक ब्रैंड की शुरूआत की। मुंबई आधारित यह ब्रैंड, घरेलू मार्केट में सस्ते और किफ़ायती दामों में बेहतर क्वॉलिटी के डिज़ाइनर नाइटवियर्स का विकल्प पेश करता है।
स्लीपवियर्स का वर्ल्डवाइड मार्केट साइज़ 45.6 बिलियन डॉलर्स का है, जबकि भारत में स्लीपवेयर सेगमेंट, इनरवियर सेगमेंट का ही हिस्सा है और इसका मार्केट साइज़ 3.25 बिलियन डॉलर्स का है। मिस्टेयर पैरिस की को-फ़ाउंडर 29 वर्षीय तन्वी मानती हैं कि भारत और विश्व दोनों ही जगहों पर अपेयरल कैटेगरी में स्लीपवियर्स के मार्केट को सबसे तेज़ी से बढ़ता बाज़ार माना जा रहा है।
स्टार्टअप: मिस्टेयर पैरिस
फ़ाउंडर्सः तन्वी गोयनका शेखसरिया, विश्वांशु अग्रवाल
शुरूआत: 2015
आधारित: मुंबई
सेक्टर: ई-कॉमर्स
फ़ंडिंग: बूटस्ट्रैप्ड
भारत हो या विदेश, महिलाओं के लिए फ़ैशन का मार्केट हमेशा ही काफ़ी विस्तृत रहा है। लेकिन भारत में महिलाओं के फ़ैशनेबल और किफ़ायती दामों वाले नाइटवियर्स के मार्केट पर कुछ ख़ास ध्यान नहीं दिया गया। आमतौर पर महिलाओं के पास आरामदायक और फ़ैशनलेबल नाइटवियर्स के बेहद चुनिंदा विकल्प होते हैं और उनके लिए भी उन्हें आस-पास की दुकानों या छोटे स्टोर्स पर निर्भर रहना पड़ता है। इसके अलावा दोनों ही ज़रूरतें पूरी करने के लिए बड़े ब्रैंड्स पर अधिक खर्चा करना पड़ता है। तन्वी गोयनका शेखसरिया और उनके रिश्तेदार विश्वांशु अग्रवाल ने मिलकर 2015 में ‘मिस्टेयर पैरिस’ नाम से एक ब्रैंड की शुरूआत की। मुंबई आधारित यह ब्रैंड, घरेलू मार्केट में सस्ते और किफ़ायती दामों में बेहतर क्वॉलिटी के डिज़ाइनर नाइटवियर्स का विकल्प पेश करता है।
स्लीपवियर्स का वर्ल्डवाइड मार्केट साइज़ 45.6 बिलियन डॉलर्स का है, जबकि भारत में स्लीपवेयर सेगमेंट, इनरवियर सेगमेंट का ही हिस्सा है और इसका मार्केट साइज़ 3.25 बिलियन डॉलर्स का है। मिस्टेयर पैरिस की को-फ़ाउंडर 29 वर्षीय तन्वी मानती हैं कि भारत और विश्व दोनों ही जगहों पर अपेयरल कैटेगरी में स्लीपवियर्स के मार्केट को सबसे तेज़ी से बढ़ता बाज़ार माना जा रहा है। बढ़ते ट्रेंड को ध्यान में रखते हुए विश्वांशु अग्रवाल के ज़हन में एक इंडियन स्लीपवेयर ब्रैंड को लॉन्च करने का ख़्याल आया। विश्वांशु मिस्टेयर पैरिस के फ़ाउंडर हैं और वह अपना गारमेंट एक्सपोर्ट का बिज़नेस भी सफलतापूर्वक चला रहे हैं।
विश्वांशु बताते हैं कि पहले मिस्टेयर पैरिस स्लीपवियर बनाता था और देशभर में तमाम डिस्ट्रीब्यूटर्स के ज़रिए अपने प्रोडक्ट्स बेचता था। तन्वी ने बताया कि शुरूआत के लगभग दो साल बाद यानी 2017 में मिस्टेयर पैरिस ने ऑनलाइन वेंचर स्थापित करने और ब्रैंड बिल्डिंग के बारे में सोचा। ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर आने के बाद मिस्टेयर पैरिस को सही मायनों में सफलता मिलनी शुरू हुई। ब्रैंड का दावा है कि औसत रूप से हर महीने कंपनी 2,000 पीस की सेल कर रही है। कंपनी की मैनुफ़ैक्चरिंग यूनिट दमन में है। मिस्टेयर पैरिस 499 रुपए से 1999 रुपए की रेंज में अपने प्रोडक्ट्स मुहैया कराता है।
30 वर्षीय विश्वांशु ने परड्यू से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है और टेक्स्टाइल सेक्टर में उनकी कंपनी क्रिएटिव गारमेंट्स का अच्छा नाम है। विश्वांशु के अनुभव का लाभ मिस्टेयर पैरिस को भी मिलता है। वहीं को-फ़ाउंडर तन्वी ने न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के स्टर्न स्कूल ऑफ़ बिज़नेस से ग्रैजुएशन किया और इसके बाद आईआईएम बेंगलुरु से एमबीए की डिग्री ली। मिस्टेयर पैरिस की अभी तक की यात्रा के बारे में बात करते हुए तन्वी ने मुख्य रूप से दो चुनौतियां गिनाईं।
उन्होंने कहा, “हमारे सामने शुरूआती स्तर में सबसे बड़ी चुनौती थी, एक प्रभावी सेलिंग मॉडल विकसित करने की। हमने सोचा था कि ब्रैंड की उपस्थिति एकसाथ सभी माध्यमों और प्लेटफ़ॉर्म्स पर होगी, लेकिन वक़्त के साथ हमें समझ आया कि यह संभव नहीं था।” ब्रैंड के सामने आई दूसरी चुनौती के बारे में तन्वी ने कहा कि उनके पास संसाधनों की कमी थी और इसलिए टार्गेट ऑडियंस तक पहुंचना बेहद टेढ़ी खीर साबित हुआ।
मिस्टेयर पैरिस की टीम के बारे में बात करते हुए तन्वी ने बताया कि फ़िलहाल तो स्टार्टअप के पास 7 लोगों की कोर टीम है, लेकिन, ब्रैंड धीरे-धीरे काम और टीम दोनों ही के विस्तार पर विचार कर रहा है। तन्वी ने बताया कि एक बार मिस्टेयर पैरिस भारतीय बाज़ार में अपनी पैठ बना ले, इसके बाद कंपनी लॉन्जरे, मैटरनिटी वियर और लेज़र वियर के सेगमेंट में भी उतरने की योजना बना रही है।
तन्वी कहती हैं, “अपने बिज़नेस को मैनेज करने के लिए आपको कुछ एक्स्ट्रा करने की ज़रूरत होती है। सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि आपके अंदर बेशुमार आत्मविश्वास और साहस होना चाहिए। मैंने अपने ब्रैंड के साथ अभी तक के सफ़र में बहुत कुछ सीखा, लेकिन मैं मानती हूं कि जोख़िम उठाकर फ़ैसले लेने की मेरी योग्यता ने मेरी सबसे ज़्यादा मदद की।”
यह भी पढ़ें: दिल्ली की इन दो बहनों ने पैरिस से शुरू किया फ़ैशन ब्रैंड, दुनियाभर के 90 स्टोर्स में बिकते हैं इनके प्रॉडक्ट्स