वन्यजीवन को लेकर अपने पैशन से बनाया सफल करियर, आज महिलाओं को भी सफारी टूरिज़म में प्रशिक्षण देती हैं रत्ना
रत्ना का परिवार मध्य प्रदेश में नेशनल पार्क के पास रहा करता था और यहीं से रत्ना के मन में प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति दिलचस्पी ने घर करना शुरू कर दिया था। कम उम्र में ही रत्ना ने वन्यजीवन को लेकर अपने इस पैशन को ही करियर के तौर पर चुनकर आगे बढ़ने का फैसला भी कर लिया था।
प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति अपने लगाव को ही अपना करियर बना लेने वाली रत्ना सिंह आज तमाम उन स्टीरियोटाइप को तोड़ रही हैं जहां यह कहा जाता है कि वन्यजीवों से जुड़े काम करना पुरुषों का काम है। मालूम हो कि रत्ना सिंह देश की पहली प्रोफेशनल क्वालिफाइड महिला सफारी गाइड हैं।
रत्ना का परिवार मध्य प्रदेश में नेशनल पार्क के पास रहा करता था और यहीं से रत्ना के मन में प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति दिलचस्पी ने घर करना शुरू कर दिया था। कम उम्र में ही रत्ना ने वन्यजीवन को लेकर अपने इस पैशन को ही करियर के तौर पर चुनकर आगे बढ़ने का फैसला भी कर लिया था।
घर जैसा लगता है जंगल
रत्ना के अनुसार जब भी वह जंगलों के बीच होती हैं उन्हें यह सब घर जैसा लगता है। रत्ना के अनुसार करियर का चयन करने के दौरान भी उन्हें इस बारे में जरा भी सोचना नहीं पड़ा था, वो हमेशा से वन्यजीवों के साथ खुद को जुड़ा हुआ महसूस करती थीं।
अपने पैशन को करियर की शक्ल देने के लिए रत्ना ने ट्रेनिंग लेने का फैसला किया और इसके तहत उन्होने मध्य प्रादेश में ताज ग्रुप द्वारा स्थापित किए गए देश के पहले वाइल्डलाइफ गाइड स्कूल में दाखिला भी ले लिया।
तोड़े स्टीरियोटाइप
साल 2006 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रत्ना ने ताज सफारी के साथ काम करना शुरू कर दिया और यह सिलसिला लगातार 10 सालों तक चला। इस दौरान रत्ना एक तरफ जहां अपनी इस नौकरी को बेहद पसंद भी कर रही थीं, वहीं दूसरी तरफ उनका सामना कुछ ऐसे लोगों से भी हुआ जो उनके मनोबल को तोड़ना चाहते थे, लेकिन रत्ना के इरादों के आगे जल्द ही वे सभी नतमस्तक हो गए।
मीडिया से बात करते हुए रत्ना बताती हैं कि शुरुआत में इस काम से जुड़े कुछ लोगों को यह लगता था कि एक महिला होने के नाते वे में जंगल में गाड़ी कैसे चला पाएँगी या मुश्किल हालातों का सामना कैसे कर पाएँगी, लेकिन उन्होने अपने काम से उन सब की बातों को बेबुनियाद साबित कर दिया। अपनी नौकरी के दौरान रत्ना मध्य भारत के जंगलों को घूमने आए पर्यटकों के साथ बतौर गाइड काम करती थीं।
इस दौरान रत्ना स्थानीय युवाओं को बतौर गाइड काम करने के लिए तैयार करते हुए उन्हें ट्रेनिंग भी दिया करती थीं, इसके लिए वे सालाना कैंप का आयोजन भी करती थीं, हालांकि अब वे खुद से ही मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के टाइगर रिज़र्व में युवाओं को प्रशिक्षित करने का काम कर रही हैं।
ऐसे रहती हैं सुरक्षित
रत्ना के अनुसार टूरिस्टों के साथ बतौर गाइड जंगल में भ्रमण के दौरान उन्हें सुरक्षित रहने के लिए काफी सचेत रहना पड़ता है और इसके लिए वे जंगल में उस दौरान लंगूर और बंदरों जैसे जानवरों द्वारा निकाली जा रही आवाज़ों और हिरण जैसे जानवरों की हरकतों के जरिये खतरों को भापने का काम करती हैं।
आज रत्ना के इस काम को देखते हुए बड़ी संख्या में युवा खासकर महिलाएं बतौर वाइल्डलाइड सफारी गाइड काम करने की इच्छा जता रहे हैं और रत्ना उन्हें गाइड करने के साथ ही ट्रेन करने का भी काम कर रही हैं।
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Edited by रविकांत पारीक