अप्रैल-जून तिमाही में फिनटेक स्टार्टअप्स की चांदी, मिली 48 हजार करोड़ की फंडिंग
नैसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक पिछली तिमाही में स्टार्टअप कंपनियों में कुल जितना निवेश हुआ, उसका 26 फीसदी फिनटेक स्टार्टअप्स को मिला है.
उद्योग संगठन नैसकॉम ने एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली अप्रैल-जून की तिमाही में भारतीय स्टार्टअप्स (Indian Startups) में कुल छह अरब डॉलर (47,870 करोड़ रुपए) का निवेश हुआ है. वेंचर कैपिटल फर्म सिकोया कैपिटल और टाइगर ग्लोबल की अगुवाई में भारतीय स्टार्टअप्स को यह अभूतपूर्व सफलता मिली है.
यह रिपोर्ट कहती है कि पिछली तिमाही में स्टार्टअप कंपनियों में कुल जितना निवेश हुआ, उसका 26 फीसदी फिनटेक से जुड़ी स्टार्टअप कंपनियों को मिला है. मीडिया और एंटरटेन्मेंट के क्षेत्र में काम कर रही स्टार्टअप कंपनियों को 19 फीसदी फंडिंग मिली है. इस निवेश में उद्यम प्रौद्योगिकी वाली कंपनियों की हिस्सेदारी 16 फीसदी और खुदरा प्रौद्योगिकी वाली स्टार्टअप कंपनियों की हिस्सेदारी 9 फीसदी है.
इसके अलावा एडटेक में काम कर रहे स्टार्टअप्स के हिस्से में 8 फीसदी निवेश आया है और हेल्थटेक स्टार्टअप को 5 फीसदी का निवेश मिला है. इस सूची को गौर से देखें तो सबसे ज्यादा निवेश फिनटेक स्टार्टअप कंपनियों में ही हुआ है.
सबसे ज्यादा निवेश पाने वाली कंपनियां
सबसे ज्यादा निवेश आकर्षित करने वाली कंपनियां हैं सिकोया कैपिटल, टाइगर ग्लोबल, अल्फा वेव और एसेल. टाइगर ग्लोबल में कुल जितना इंवेस्टमेंट हुआ है, उसका 40 प्रतिशत फिनटेक क्षेत्र में हुआ है और 20 प्रतिशत एंटरप्राइज टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में हुआ है. सिकोया कैपिटल अपने उद्यम प्रौद्योगिकी में 25 प्रतिशत और फिनटेक में 20 प्रतिशत निवेश पाने में सफल रहा है.
निवेश में 40 फीसदी की कमी आई है
एक तरफ तो पिछली तिमाही में छह अरब डॉलर का निवेश हुआ है और फिनटेक कंपनियां सबसे ज्यादा फायदे में रही हैं. लेकिन वहीं यदि इस निवेश की तुलना पिछली तिमाही के निवेश से करें तो देखेंगे कि कुल निवेश में तकरीबन 40 फीसदी की कमी आई है.
पीडब्ल्यूसी इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि अप्रैल-जून तिमाही में स्टार्टअप कंपनियों में हुआ 6.8 अरब डॉलर का इन्वेस्टमेंट पिछली तिमाही के मुकाबले 40 फीसदी कम है. यह रिपोर्ट कहती है कि इसके पहले लगातार तीन तिमाहियों तक भारतीय स्टार्टअप तकरीबन 10 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने में सफल रहे, जो इस बार घटकर 6.8 फीसदी डॉलर रह गया है.
अगर पिछले 3-4 तिमाहियों में भारतीय स्टार्टअप्स के यूनिकॉर्न बनने की यात्रा को देखें तो पाएंगे कि अप्रैल-जून की तिमाही में केवल चार स्टार्टअप ही यूनिकॉर्न बन पाए. एडटेक स्टार्टअप फिजिक्सवाला, ऑनलाइन ब्यूटी उत्पाद मंच पर्पल, नियोबैकिंग फर्म ओपन और एसएएएस मंच लीडस्क्वेयर्ड वो चार स्टार्टअप हैं, जो पिछली तिमाही में 100 करोड़ के जादुई आंकड़े को पार कर गए. जबकि इसकी पिछली तिमाही जनवरी-मार्च में तकरीबन 16 स्टार्टअप कंपनियां यूनीकॉर्न बनी थीं.
Edited by Manisha Pandey