कोरोना एक लड़ाई: वो देश जहाँ उपराष्ट्रपति हैं पाँच और पूरे देश में वेंटिलेटर सिर्फ चार
स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में अफ्रीकी महाद्वीप की हालात बेहद खराब है, ऐसे में कोरोना वायरस महामारी के दौरान तमाम देशों को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा।
कोरोना वायरस के प्रकोप से इस समय दुनिया के लगभग सभी देश जूझ रहे हैं। अमेरिका जैसे देश जहां स्वास्थ्य सेवाएँ अन्य देशों की तुलना में बेहतर हैं वहाँ भी कोरोना के चलते हजारों मौतें हुई हैं, इस बीच कुछ देश तो ऐसे भी हैं जहां की स्वास्थ्य सेवाएँ ही चरमराई हुई हैं।
इन्ही में से एक देश है दक्षिणी सूडान। इस पूरे देश में आपात मेडिकल स्थिति में काम आने वाले वेंटिलेटर की संख्या सिर्फ चार है। गौरतलब है कि इस देश में उपराष्ट्रपतियों की संख्या 5 है। अब इस देश की मौजूदा तैयारी और हालत देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाला समय इस देश के लिए कितना खतरनाक हो सकता है।
दक्षिणी सूडान की आबादी करीब 1.2 करोड़ के आस-पास है। देश में कुल 24 आईसीयू हैं। इस तरीके से देश में हर पाँच लाख आबादी पर एक आईसीयू और 30 लाख आबादी पर एक वेंटिलेटर है।
इतने बुरे हालात सिर्फ दक्षिणी सूडान के ही नहीं हैं, बल्कि पश्चिमी अफ्रीकी देश लाइबेरिया के बाद 49 लाख आबादी पर सिर्फ 6 वेंटिलेटर हैं, गौरतलब है कि इनमें से एक वेंटिलेटर का इस्तेमाल अमेरिकी दूतावास करता है।
डबल्यूएचओ की रिपोर्ट की मानें तो अफ्रीकी महाद्वीप में 5 हज़ार से भी कम आईसीयू हैं। इस अनुसार हर 10 लाख आबादी के पास 5 आईसीयू ही मौजूद हैं, जबकि यूरोप में हर 10 लाख आबादी पर 4 हज़ार आईसीयू मौजूद हैं।
कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते प्रकोप के साथ पूरी दुनिया में वेंटिलेटर की मांग बड़ी तेजी के साथ बढ़ती जा रही है। भारत में भी कई कंपनियों ने अपने स्तर पर वेंटिलेटर का निर्माण शुरू कर दिया है।
Edited by Ranjana Tripathi