लगातार हो रही बारिश के आगे बेबस बेंगलुरु; भारी बारिश से क्यों बेहाल है कर्नाटक?
महाराष्ट्र में जुलाई-अगस्त के महीने में आई बाढ़ ने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था, जून के महीने में असम में आई बाढ़ ने तबाही का मंज़र खड़ा कर दिया था. कर्नाटक के साथ-साथ बिहार के बाढ़ में डूबे होने की खबरें भी आ रही है.
लौटने से पहले मानसून जमकर बरस रहा है. रविवार व सोमवार को बेंगलुरु में भारी वर्षा हुई थी और लगातार हो रही है.
बेंगलुरू में बाढ़ की वजह से लोग बेहाल हैं, सड़कों पर पानी भर जाने की खबरें आ रही हैं, बेंगलुरु एयरपोर्ट पर भी पानी भर गया है, घरों में पानी भर जाने से लोगों ने बचाव के लिए होटल के कमरों में ठहरने को मजबूर हैं, दफ्तर नाव में जा रहे हैं- ऐसी खबरें पढने को मिल रही हैं.
बेंगलुरु में आई यह बाढ़, भारत के शहरों में आने वाली पहली बाढ़ नहीं है. देश के विभिन्न हिस्से बाढ़ से प्रभावित होते रहते हैं और इसमें बड़े-बड़े शहर भी शामिल हैं. महाराष्ट्र में जुलाई-अगस्त के महीने में आई बाढ़ ने जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया था, जून के महीने में असम में आई बाढ़ ने तबाही का मंज़र खड़ा कर दिया था. कर्नाटक के साथ-साथ बिहार के बाढ़ में डूबे होने की खबरें भी आ रही है.
जब बाढ़ आती है तो जान-माल की काफी क्षति होती है, लोग विस्थापित हो जाते हैं, पशु मर जाते हैं, महामारी फैलने का डर होता है इत्यादि. एक अध्ययन के मुताबिक़, पिछले 50 सालों में भारत में मौसम से सम्बंधित आकस्मिक मृत्यु में बाढ़ और चक्रवातों से सबसे अधिक जान गई है, लगभग 75 प्रतिशत.
शहरी बाढ़ तब आती है जब किसी शहर का सीवेज और नहर तटीय बाढ़, नदी की बाढ़ या भारी बारिश के कारण आए पानी के तेज प्रवाह को संभाल नहीं पाते हैं. ज़्यादातर मामलों में, शहरी बाढ़ का कारण शहरों में जल निकासी की ख़राब व्यवस्था होती है. बेगलुरु के ड्रेनेज सिस्टम को लेकर लोगों ने बेंगलुरु नगर निगम के प्रति रोष जताया. उनका कहना है कि हर साल बेंगलुरु में बाढ़ जैसे हालात बनते हैं, क्योंकि पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं है.
कर्नाटक के सीएम बोम्मई ने कहा कि बेंगलुरू ने ऐसी बारिश पिछले 90 सालों में नहीं देखी है. कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई के अनुसार एक से पांच सितंबर के दौरान बेंगलुरु में सामान्य से 150 फीसदी ज्यादा बारिश हुई. महादेवपुरा, बोम्मनहल्ली और केआर पुरम में 307 फीसदी ज्यादा बारिश हुई. शहर की 164 झीलें लबालब हो गई हैं.
अगर हम बाढ़ पर हुए शोध की ओर रूख करें और बाढ़ का कारण समझने की कोशिश करें तो हाल के वर्षों में आई बाढ़ और चक्रवात के पीछे जलवायु परिवर्तन इनके प्रमुख कारण की तरह दिखेंगे. बाढ़ की तीव्रता को प्रभावित करने में जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की बड़ी भूमिका है.
ये दोनों मानवजनित चुनौतियां हैं.
इस साल में आये एक रिपोर्ट से पता चलता है कि बाढ़ की तीव्रता का अनुमान लगाने में चक्रवात के आने का समय भी अहम है. शोध में बताया गया है कि मानसून से पहले आने वाले चक्रवातों में शुष्क भूमि के कारण गंभीर बाढ़ की संभावना कम होती है.
जलवायु परिवर्तन के अलावा, कई प्रकार से भूमि का दोहन, बाढ़ के प्रमुख कारण हैं. इसका कारण अवैज्ञानिक तरीके से भूमि का दोहन है, जैसे कि खाई खोदना, रेल लाइनों, बिजली लाइनों और राजमार्गों जैसे गलियारों का विकास और रिसोर्ट आदि का निर्माण.
(फीचर इमेज क्रेडिट: @IYC twitter)
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