Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

कैसे फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में मदद कर रही है सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' स्कीम

कैसे फूड प्रोसेसिंग सेक्टर में मदद कर रही है सरकार की 'वोकल फॉर लोकल' स्कीम

Wednesday July 27, 2022 , 3 min Read

आत्मनिर्भर भारत (Aatmanirbhar Bharat) अभियान के तहत फूड प्रोसेसिंग सेक्टर (food processing sector) में चलाए जा रहे "वोकल फॉर लोकल" (vocal for local) कार्यक्रम के तहत मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज एक केंद्र प्रायोजित योजना "पीएम फॉर्मेलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज स्कीम (PMFME)" चला रहा है.

इसके तहत देश में माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज को लगाने के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यापारिक मदद उपलब्ध कराई जाती है. यह योजना 2020-21 से 2024-25 के बीच पांच साल के लिए लागू की गई है. इसमें 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. यह योजना प्राथमिक तौर पर एक जिला, एक प्रोडक्ट (One District One Product (ODOP) की अवधारणा पर काम करती है, ताकि सामग्री के उपार्जन (procurement of inputs), उपलब्ध सामान्य सेवाओं और प्रोडक्ट्स की मार्केटिंग का फायदा उठाया जा सके.

एनुअल सर्वे ऑफ इंडस्ट्रीज 2015-16 और राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) के 73वें दौर के सर्वे के मुताबिक, देश में 25 लाख अन-रजिस्टर्ड फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज मौजूद हैं.

यह जानकारी खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्यमंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में दी.

food-processing-sector-vocal-for-local-scheme-aatmanirbhar-bharat

सांकेतिक चित्र

PMFME स्कीम का निर्माण, सूक्ष्म उद्योगों के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान और इन उद्यमों को उन्नत करने व औपचारिक क्षेत्र में लाकर, इनमें काम करने वाले समूहों व सहकारी संगठनों की संभावनाओं का लाभ लेने के लिए किया गया है. इस योजना का उद्देश्य फूड प्रोसेसिंग के असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले पुराने और नए सूक्ष्य उद्यमों की प्रतिस्पर्धा शक्ति को बढ़ाना और इस क्षेत्र को औपचारिक क्षेत्र में लाना है. इस योजना के तहत माइक्रो फूड प्रोसेसिंग एंटरप्राइजेज को यह मदद दी जाती है:

  • व्यक्तिगत/सामूहिक स्तर के सूक्ष्म उद्यम को सहारा देना: योग्य परियोजना की कुल कीमत पर 35 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी, जिसकी अधिकतम सीमा 10 लाख रुपये प्रति ईकाई है.

  • स्वसहायता समूहों को शुरुआती पूंजी के लिए मदद उपलब्ध करवाना: खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में काम करने वाले स्व-सहायता समूहों को कार्य पूंजी के लिए प्रति सदस्य 40,000 रुपये तक की आर्थिक मदद, साथ ही हर संगठन को छोटे उपकरण खरीदने के लिए 4 लाख रुपये की आर्थिक मदद.

  • सार्वजनिक अवसंरचना को सहायता: एफपीओ, एसएचजी, सहकारी समूहों या किसी भी सरकारी एजेंसी को सार्वजनिक अवसंरचना विकास के लिए कुल परियोजना कीमत की 35 प्रतिशत तक पूंजी सब्सिडी उपलब्ध करवाना, जिसकी अधिकतम सीमा 3 करोड़ रुपये होगी. इस सार्वजनिक अवसरंचना निर्माण की कुल क्षमता का एक बड़ा हिस्सा दूसरी ईकाईयों और आम जनता के लिए किराये पर उपयोग के लिए भी खुला रहेगा.

  • ब्रॉन्डिंग और मार्केटिंग सहायता: एफपीओ/एसएचजी/सहकारी समूहों या किसी सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम की एसपीवी को ब्रॉन्डिंग और मार्केटिंग में लगने वाली पूंजी का 50 प्रतिशत तक अनुदान

  • क्षमता विकास: योजना का उद्देश्य उद्यमिता विकास कार्यकुशलता (ईडीपी+) के लिए प्रशिक्षण भी है: खाद्य एवम् प्रसंस्करण उद्योग जगत की जरूरतों को पूरा करने और उत्पाद विशेष कार्यकुशलता के निर्माण के लिए बनाया गया कार्यक्रम.

तकनीकी उन्नति और सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यमों को औपचारिक बनाने की दिशा में इस योजना के लिए क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण अहम तत्व हैं. क्षमता निर्माण के तहत उद्यमशीलता विकास, खाद्य सुरक्षा एवम् मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा निश्चित किए गए पैमानों के पालन, सामान्य स्वच्छता और दूसरे अनिवार्य कानूनी प्रावधानों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.