Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

बच्चों के लिये ऐसे ख्वाब देखने है जहां कांटे कम और गुलाब की गुंजाइश ज्यादा हो: वसीम बरेलवी

बच्चों के लिये ऐसे ख्वाब देखने है जहां कांटे कम और गुलाब की गुंजाइश ज्यादा हो: वसीम बरेलवी

Friday December 20, 2019 , 3 min Read

नागरिकता संशोधन कानून पर देश के कुछ हिस्सों में मचे हंगामे पर मशहूर शायर वसीम बरेलवी का कहना है कि आजकल मीडिया हिन्दू-मुस्लिम कर रहा है जबकि यह वास्तविक विषय नही है।

k

फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया

उन्होंने कहा,

‘‘हमें हिन्दुस्तान के बच्चों के लिये ऐसे ख्वाब देखना है जहां कांटे कम हों, गुलाब की गुंजाइश ज्यादा हो । जहां हम उनके लिये ऐसा रास्ता तैयार कर सकें कि अगली नस्ल चैन से रह सके।’’

उप्र विधानपरिषद में गुरूवार को समाजवादी पार्टी के सदस्य नागरिकता संशोधन कानून पर हंगामा कर रहे थे वहीं विधान परिषद सदस्य वसीम बरेलवी खामोश बैठे सदन को निहार रहे थे ।


बाद में उन्होंने 'भाषा' को दिये गये विशेष इंटरव्यू में कहा,

‘‘हिन्दुस्तान सदियों से है, यह दो दिन का नहीं है । यह है तो सबके लिये है। यह जिद हमारी है । इस एक बात पर दुनिया से जंग जारी है' वसीम बरेलवी नागरिकता संशोधन कानून पर सीधे कुछ बोलने से बच रहे थे लेकिन उन्होंने कहा कि आज हर यूनिवर्सिटी, शिक्षण संस्थान में मेरे इस शेर के नारे लगाये जा रहे है कि' उसूलो पर जहां आंच आये टकराना जरूरी है, जो जिंदा हो तो फिर जिंदा नजर आना जरूरी है।’’
क

फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया

प्रदर्शनकारियों पर वह आगे कहते है,

'यह लोग औरों के दुख जीने निकल आये है सड़कों पर, अगर अपना ही गम होता तो यूं धरने नहीं देते।'




उन्होंने आगे कहा

‘‘मैं सदियों के बाद के हिंदुस्तान का ख्वाब देख रहा हूं मेरी शायरी अपना काम कर रही है, मेरी शायरी वक्त को आईना दिखायेगी, वक्त को दिशा देगी। मुझे ऐसे हिन्दुस्तान का ख्वाब देखना है जिसमें इन बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सकें। उसके लिये मुझे वहीं रहना जरूरी है जहां मेरी कलम चल रही है।’’

शायर बरेलवी ने कहा कि

‘‘हम शायरों फिराक, जिगर, सुमित्रानंद पंत और नीरज जी जैसे लोगों ने हिंदुस्तान को बनाने की बात की है। इसका नतीजा यह है कि आज पूरा भारतवर्ष किसी बात पर एक होकर खड़ा है। हमें अगर अपने बच्चों का, आने वाली नस्लों के भविष्य का ख्याल है तो हमें जो दिलों में फासले पैदा कर रहे हैं उनसे बचना पड़ेगा। इन फासलों को मोहब्बतों में बदलना हमारी मजबूरी भी है और हमारे संस्कार भी है।’’

उन्होंने बताया कि समाज में बहुत से ऐसे लोग है जो छिप कर एकजुट होने का काम कर रहे है लेकिन मीडिया इन तक नहीं पहुंच पाता है। हिन्दुस्तान एक दूसरे के दुख दर्द में एकजुट होने का नाम है, ऐसी रवादारी आपको कहीं नही मिल सकती है। उसको मजबूत करने की जरूरत है। अब इस स्थिति को बदलने के लिये हमें और ज्यादा मेहनत करने की जरूरत है यहीं हमारा भविष्य है।


वसीम ने एक शेर कहा,

वह मेरे चेहरे तक अपनी नफरतें लाया तो था,

मैंने उसके हाथ चूमें और बेबस कर दिया।


उन्होंने कहा कि हमें मुश्किल हालात में संयम बरत कर एकजुट रहना है। सब आपस में प्यार से रहें, मोहब्बत से रहें और जितना एक दूसरे के साथ मिलजुल कर रहेंगे उतना ही देश तरक्की करेगा।


बरेलवी ने कहा,

‘‘मुझे यकीन है कि हिन्दुस्तान अपनी जगह पर रहेगा, हमारे बुजुर्गो ने यह मुल्क हमें विरासत में सौंपा है और हमारे बच्चे, नयी पीढ़ी, नया भविष्य बनाने वाले बच्चे इस विरासत को संभाल लेंगे।’’