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गरीबी के कारण बचपन में छूट गई थी पढ़ाई, पढ़ने का शौक पूरा करने के लिए सैलून को बना दिया लाइब्रेरी

तमिलनाडु के इस सैलून में टीवी की जगह मिलेंगी किताबें, पढ़ने पर मिलती है छूट

गरीबी के कारण बचपन में छूट गई थी पढ़ाई, पढ़ने का शौक पूरा करने के लिए सैलून को बना दिया लाइब्रेरी

Saturday December 28, 2019 , 3 min Read

सैलून सुनकर आपके दिमाग में भी एक दुकान की छवि आती होगी जिसमें टीवी लगा है। बीच में कुर्सियां हैं। कुर्सियों के आगे-पीछे शीशे ही शीशे हैं और एक शख्स मस्ती से लोगों की शेविंग/कटिंग कर रहा है।


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फोटो क्रेडिट: सोशल मीडिया



लेकिन तमिलनाडु का एक सैलून ऐसा नहीं है। यह सैलून अपनी खासियत के कारण इन दिनों चर्चा का विषय बन गया है। यह एक ऐसा सैलून है जिसमें एक लाइब्रेरी भी है और जहां पर 800 से अधिक किताबें हैं। यहां पर आने वाले ग्राहकों को किताबें पढ़ने के लिए कहा जाता है और शुल्क में छूट भी दी जाती है। 


यह खास सैलून है तमिलनाडु के तूतीकोरिन में और इसे चलाते हैं पी. पोनमरियाप्पन! है ना इंट्रेस्टिंग? अब आगे पढ़िए...


बचपन में पी. पोनमरियाप्पन के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। घरवाले पढ़ाई के पैसे नहीं दे पा रहे थे और इस कारण पोनमरियाप्पन अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाए। पोनमरियाप्पन को 8वीं के बाद ही पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी। गरीबी के कारण वह आगे की पढ़ाई भले ही जारी नहीं रख पाए लेकिन उन्होंने अपने शौक को मरने नहीं दिया।


पढ़ाई छूटने के बाद उन्होंने एक सैलून खोला। उन्हें किताबें पढ़ने का शौक था इसलिए उन्होंने किताबें इकठ्ठा कर उन्हें सैलून में रखने का फैसला किया। वह अपने सैलून में आने वाले ग्राहकों को किताबें पढ़ने और उनका रिव्यू करने पर 30% तक की छूट देते हैं। 


यहां ग्राहकों को सिर्फ दिखावे के लिए किताब पढ़ने के लिए नहीं कहा जाता। ग्राहक अपनी रूचि की जिस भी किताब को लेंगे, उसमें जितना भी पढ़ेंगे। जाने से पहले उन्हें सैलून की एक छोटी सी डायरी में उसका सारांश लिखने के लिए कहा जाता है। यानी ऐसा नहीं है कि आपने किताब उठाई और पन्ने पलटे और चले गए।





एनबीटी की एक खबर के अनुसार, वह बताते हैं,

‘‘मुझे हायर एजुकेशन करने का मौका नहीं मिला लेकिन मैं जानता था कि ज्ञान बढ़ाने के लिए किताबों से अच्छा साधन कोई नहीं है। तभी से मैंने किताबें इकठ्ठा करना शुरू कर दिया और स्कूल-कॉलेज जाने वाले युवाओं को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित किया।’’

पोनमरियाप्पन अपने ग्राहकों को बारी आने तक किताबें पढ़ने के लिए कहते हैं। हालांकि आज के किंडल वाले दौर में कई ऐसे युवा भी हैं जो उनकी इस बात से काफी नाराज हो जाते हैं।


कई युवाओं का कहना है कि एक तो पूरा दिन स्कूल के सिलेबस में बिताओ और फिर यह भी किताबें पढ़ने के लिए दबाव बनाते हैं। 6 साल पहले उन्होंने 250 किताबों का कलेक्शन तैयार किया था और आज की बात करें तो उनके पास 800 से अधिक किताबों का संकलन है। इनमें से अधिकतर तमिल भाषा में हैं। उनके किताब कलेक्श में कई बड़ी हस्तियों की जीवनी से लेकर करेंट जानकारियों की किताबों की भरमार है।


सोशल मीडिया पर उनके सैलून की तस्वीरें वायरल हो गईं और काफी लोगों ने उनकी इस पहल को सराहा। कई सोशल मीडिया यूजर्स का कहना है कि आज के डिजिटल इंटरनेट और किंडल के दौर में ऐसी पहल देखकर काफी अच्छा लगता है। काफी कम लोग होते हैं जो अपने शौक को पूरा करने के लिए इस तरह की पहल करते हैं।